26/11 Attack: 15 साल पहले जब आतंकी हमले से दहल उठी थी मायानगरी, जानें खौफनाक मंजर की पूरी कहानी
punjabkesari.in Sunday, Nov 26, 2023 - 01:22 PM (IST)

नेशनल डेस्क: मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले को 15 साल पूरे हो गए हैं। 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने देश को ऐसा दर्द दिया जिसे शायद ही कोई भूल सके। आज भी उस दर्दनाक घटना को याद कर रूह कांप उठती है। कैसे उन दरींदों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर 160 से ज्यादा मासूम लोगों की जान ले ली थी। इस दौरान पूरी मुंबई बम धमाकों और गोलीबारी की आवाज से दहल उठी थी। लेकिन इस मुश्किल घड़ी में हमारे देश के जवानों ने हिम्मत नहीं हारी और डटकर सामना किया। आइए जानते हैं इस आतंकी हमले की पूरी कहानी....
शिवाजी टर्मिनस पर शुरू हुआ आतंकी खेल
मुंबई के रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर पहुंचकर आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी और हैंड ग्रेनेड फेंके थे। हमला इतना भीषण था कि 58 बेगुनाह यात्रियों की मौत हो गई थी जबकि कई लोग गोली लगने और भगदड़ में गिर जाने की वजह से घायल हो गए थे। इन आतंकियों ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्टेशन के अलावा आतंकियों ने ताज होटल, होटल ओबेरॉय, लियोपोल्ड कैफ़े, कामा अस्पताल और दक्षिण मुंबई के कई स्थानों पर हमले किए थे।
हेमंत करकरे शहीद होने वाले पहले अधिकारी
एंटी टेररिस्ट स्क्वॉयड के चीफ हेमंत करकरे 26-11 के मुंबई हमलों में शहीद होने वाले पहले अधिकारी थे। हेमंत मुंबई आतंकी निरोधी दस्ता यानी मुंबई एटीएस के प्रमुख थे। जब वह रात में खाना खा रहे थे, तभी उन्हें क्राइम ब्रांच से शहर में आतंकी हमला होने का फोन आया। इसके बाद वह घर से निकले और एसीपी अशोक काम्टे, इंस्पेक्टर विजय सालस्कर के साथ मोर्चा संभाला। कामा अस्पताल के बाहर मुठभेड़ में आतंकी अजमल कसाब और इस्माइल खान ने उन पर अंधाधुंध गोलियां चला दीं। इस दौरान हेमंत करकरे के सीने में तीन गोलियां लगीं और वह शहीद हो गए थे।मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।
तुकाराम ने पकड़ा था आतंकी कसाब
हेमंत करकरे के अलावा मुंबई पुलिस के इस एएसआई के हौसले की जितनी तारफी की जाए उतनी कम है। तुकाराम ने न केवल बिना हिथियार के आतंकी अजमल कसाब को सामना किया, बल्कि आखिर में उसे पकड़ने में कामयाबी हासिल की। इस दौरान कसाब ने उनपर कई गोलियां चलाईं जिससे वह शहीद हो गए। मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।पुलिसकर्मियों के अलावा हवलदार गजेंद्र सिंह, नागप्पा आर. महाले, किशोर के. शिंदे, संजय गोविलकर, सुनील कुमार यादव और कई दूसरे लोगों ने भी बहादुरी की मिसाल पेश की थी।
समुद्री रास्ते से मुंबई में हुए थे दाखिल
बता दें कि, 26 नवंबर 2008 में लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकी समुद्री रास्ते से मुंबई में दाखिल हुए और 166 बेगुनाह लोगों को गोलियों से छलनी करके मौत के घाट उतार दिया था। इस हमले में कई लोग जख्मी भी हुए थे। भारतीय सेना ने कई आतंकियों को मार गिराया था जबकि अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था।
कसाब को मिली थी फांसी
मुंबई हमले मामले की सुनवाई के बाद कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी लगी दी गई जबकि हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद आज भी पाकिस्तान में पाकिस्तान में खुला घूम रहा है। पकड़े जाने के बाद पूछताछ के दौरान कसाब ने कईं बड़े खुलासे किए थे। कसाब ने पूछताछ में बताया कि उसका पूरा मोहम्मद अजमल आमीर कसाब है और वो 21 साल का है। वो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के उकाड़ा जिले के दिपालपुर का रहने वाला था। 2005 तक उसने कई जगहों पर छोटे-मोटे काम किए, लेकिन उसी साल उसका अपने पिता के साथ जोरदार झगड़ा हुआ और वो घर छोड़ कर लाहौर चला गया।
इसी दौरान उसकी मुलाकात मुजफ्फर खान से हुई। उसके बाद दोनों रावलपिंडी गए और वहां चोरी करने की योजना बनाई। लेकिन इसके लिए उन्हें एक बंदूक की जरूरत थी, लिहाजा वो लश्कर-ए-तैयबा के एक स्टॉल पर गए। वहां उन्हें बताया गया कि हथियार तो मिल सकता है, लेकिन उसे चलाना आना चाहिए। इसलिए कसाब ने हथियार चलाना सीखने के लिए लश्कर में शामिल होने का फैसला किया।