क्यों धारण करते हैं भगवान शिव बाघ की खाल ?
punjabkesari.in Monday, Dec 30, 2019 - 03:50 PM (IST)

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अक्सर भगवान शिव के बारे में बहुत सी कथाओं व कहानियों में हम सबने सुना ही होगा कि उनका स्वरुप कैसा है? जैसा कि सबने पढ़ा ही होगा कि वे हाथ में डमरू, गले में सर्प माला, सिर पर चांद, व शरीर पर बाघ की खाल धारण करते हैं। ऐसा स्वरुप पढ़कर या सुनकर पहली बार तो हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है। लेकिन जिसका धन, मन, धन भोलेनाथ की सेवा में लग जाए वे इस बात की ओर कभी ध्यान नहीं देता है। कुिंतु फिर भी क्या आप में से कभी किसी ने ये सोचा है कि भगवान बाघ की खाल क्यों धारण करते हैं? अगर नहीं तो आज हम आपको इससे जुड़ी एक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे पढ़कर आपको हैरानी होगी।
इस पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव एक बार ब्रह्मांड का गमन करते-करते एक जंगल में पहुंचे, जोकि कईं ऋषि-मुनियों का स्थान और वे सब अपने परिवार के साथ रहते थे। भगवान शिव इस जंगल से निर्वस्त्र गुजर रहे थे और वे इस बात से अनजान थे कि उन्होंने वस्त्र धारण नहीं कर रखे। शिवजी का सुडौल शरीर देख ऋषि-मुनियों की पत्नियां उनकी ओर आकर्षित होने लगी। वह धीरे-धीरे सभी कार्यों को छोड़ केवल शिवजी पर ध्यान देने लगी। तत्पश्चात जब ऋषियों को यह ज्ञात हुआ कि शिवजी के कारण (जोकि इस बात से अंजान थे कि वे भगवान शिव हैं और उन्हें वे एक साधारण व्यक्ति जान रहे थे) उनकी पत्नियां मार्ग से भटक रही हैं तो वे बेहद क्रोधित हुए।
तभी सभी ने मिलकर भगवान को बाघ से मरवाने की योजना बनाई। एक दिन शिव जहां से गुजर रहे थे, उन्होंने जैसे ही शिव को देखा कि वे उनके द्वारा बनाए गए जाल में फंस गए हैं तो उन्होंने उस गड्ढे में एक बाघ को भी गिरा दिया, ताकि वह शिवजी को मारकर खा जाए।
लेकिन आगे जो हुआ उसे देख सभी हैरान हो गए। कुछ समय बाद भगवान ने बाघ को मारकर उसकी खाल को शरीर पर लपेट लिया और ये देखकर सब हैरान हो गए और तभई उन्होंने जाना कि वे कोई साधारण नहीं हैं। सभी ने मिलकर भगवान को प्रणाम किया व उनका परिचय पूछा, सभी ने जाना कि देवों के देव महादेव हैं। इसी को आधार मानते हुए यह बताया जाता है कि क्यों शिवजी बाघ की खाल पहनते हैं या फिर उस खाल के ऊपर विराजमान होते हैं।