जानिए, देवी-देवता के चित्र या मूर्ति घर में कहां और क्यों लगानी चाहिए ?
punjabkesari.in Saturday, May 03, 2025 - 07:24 AM (IST)

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God idols should face which direction: वास्तु शास्त्र केवल दिशाओं और ऊर्जा का विज्ञान नहीं है, बल्कि यह दैवीय ऊर्जा को पृथ्वी तत्व से जोड़ने की एक पवित्र प्रणाली भी है। पारंपरिक वास्तु सिद्धांतों के अनुसार देवी-देवता के चित्र या मूर्तियां घर में कहां और क्यों लगानी चाहिए, जिससे दिव्यता और सकारात्मक ऊर्जा का वास बना रहे, जानते हैं-
According to Vastu Shastra, where and at what place should the pictures of Gods and Goddesses be placed in the house वास्तु के अनुसार घर में देवी-देवताओं के चित्र कहां और किस स्थान पर लगाने चाहिए:
मुख्य द्वार (Main gate) मुख्य द्वार को घर की जन्म द्वार ऊर्जा कहा जाता है। यदि वहां रक्षात्मक देवताओं के चित्र या यंत्र हों तो बुरी शक्तियां अंदर नहीं आतीं। हनुमान जी का चित्र दक्षिण मुख, भगवान नरसिंह का चित्र पूर्व मुख, भैरव जी का चित्र उत्तरमुख और मां दुर्गा का चित्र पश्चिम मुख की ओर लगाएं। मुख्य द्वार के ऊपर अंदर की ओर हनुमान जी का सिंदूरी चित्र या उनके पंचमुखी स्वरूप का चित्र अवश्य लगाएं।
शयनकक्ष (Bedroom) शयन कक्ष को मानसिक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है, अतः वहां सौम्य, संतुलित और युगल (द्वैत) देवताओं का होना रिश्तों में सामंजस्य बनाए रखता है जैसे शिव-पार्वती, लक्ष्मी-नारायण या राधा-कृष्ण (मूल रूप से बैठे हुए चित्र) यहां अकेले गणेश जी या अकेली मां दुर्गा विराजित न करें, इससे मानसिक उथल-पुथल हो सकती है।
रसोई घर (Kitchen) रसोई अग्नि कोण में होती है, जहां भोजन बनता है और वह पूरे परिवार की ऊर्जा को प्रभावित करता है। यहां पर
अन्नपूर्णा देवी या लक्ष्मी जी का धान-पात्र लिए हुए स्वरूप लगाएं। अन्नपूर्णा देवी की तस्वीर पूर्व की ओर दीवार पर लगाएं ताकि खाना बनाते समय उनका मुख रसोइये की ओर हो।
तिजोरी या धन रखने की जगह (place to keep money) यहां पर श्री लक्ष्मी जी का कमल पर बैठे स्वरूप और कुबेर देव का चित्र लगाया जा सकता है। लक्ष्मी कमल पर बैठी हुई दर्शाती हैं कि धन स्थिर है। खड़े हुए स्वरूप से धन जल्दी खर्च होता है। तिजोरी के ऊपर या पास श्री यंत्र या कुबेर यंत्र स्थापित करें।
स्टडी रूम / कार्य स्थल Study Room / Work Place – इस दिशा में वीणा धारण किए हुए सरस्वती देवी और चार मुखों वाले
ब्रह्मा जी का चित्र लगाएं। पूर्व या उत्तर दिशा में सरस्वती जी का चित्र हो लेकिन बहुत रंगीन नहीं श्वेत वस्त्रों वाला चित्र सर्वोत्तम है।
ज्ञान और सृजनात्मक ऊर्जा के देवता होने से यह कॉम्बिनेशन छात्रों, लेखकों, कलाकारों के लिए अत्यंत फलदायी होता है।
पूजा स्थान Places of worship – पंच तत्वों के प्रतीक पृथ्वी (गणेश), जल (विष्णु), अग्नि (शिव), वायु (सूर्य), आकाश (दुर्गा/शक्ति) हैं। पूजा घर उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में होना चाहिए। सूर्य का चित्र पूर्व में और शिव-पार्वती का उत्तर में होना विशेष लाभकारी है।
कुछ विशेष वास्तु रहस्य :
घर में एक ही प्रकार के देवता का चित्र या मूर्ति अधिक न रखें जैसे 3-4 गणेश जी की मूर्तियां या 2-3 शिवलिंग- ये ऊर्जा को विचलित करता है।
देवताओं की आंखों से आंखें न मिलें। चित्र ऐसे लगाएं कि बैठने या सोने की जगह पर उनकी सीधी दृष्टि आप पर न हो यह मानसिक थकावट बढ़ा सकता है।
देवी-देवताओं के पीछे त्रिभुज, सूर्य या कमल का चिन्ह हो तो वह चित्र अत्यंत ऊर्जावान होता है। ऐसे चित्रों में ब्रह्मांडीय ऊर्जा खिंचती है।
आपका घर ऊर्जा से भरपूर और दिव्यता से संरक्षित रहेगा।