Tulsidas Jayanti 2019: रामचरितमानस की ये चौपाइयां दूर करेंगी विवाह में आ रही बाधाएं

punjabkesari.in Wednesday, Aug 07, 2019 - 10:43 AM (IST)

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रामायण हिंदू धर्म का महाकाव्य माना जाता है। इस ग्रंथ में श्री राम व उनके जीवन की संपूर्ण गाथा कही गयी है। संस्कृत के इस अनुपम महाकाव्य में 24,000 श्लोक जिसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि हैं, जिन्हें 'आदिकवि' भी कहा जाता है। बता दें रामायण के 7 अध्याय हैं जिन्हें काण्ड कहा जाता है। आज यानि 07 अगस्त, 2019 बुधवार श्रावण शुक्ल तिथि सप्तमी को श्री रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जयंती है। ये हिंदी साहित्य के महान कवि थे, जिन्होंनें रामचरित मानस की रचना की थी। इनके द्वारा रचित चौपाईयां आज भी जीवंत हैं। कहते हैं रामचरित मानस में व्यावहारिक जीवन में उन्नति के लिए कई चौपाईयां लिखी गई हैं। मगर आपको बता दें इसमें भगवान शिव की स्तुति के लिए भी कई चौपाईयों वर्णित हैं।

तो अगर आप भी सावन में भोलेनाथ को खुश करना चाहते हैं मगर इसमें सफल नहीं हो पा रहे तो श्रावण के इस पावन महीने में इन चौपाईयों द्वारा भगवान शंकर की स्तुति कर लें। निश्चित रूप से आपको इनका आशीर्वाद प्राप्त होगा।
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बोधमयं नित्यं गुरु, शंकर रूपिणम।
यमाश्रितो हि वक्रोपि, चन्द्रः सर्वत्र वन्द्यते॥1॥


भावार्थ- रामचरितमानस की ये चौपाई बालकांड में वर्णित है, जिसमें भगवान शिव को गुरु स्वरूप मानकर प्रणाम करने की महिमा बताई गई है। इसका चौपाई या दोहे का अर्थ है कि मैं ज्ञानमय, नित्य शंकर रूपी गुरु के स्वरूप में वंदना करता हूं। जिनके माथे पर विराजमान टेढ़ी चंद्रमा भी सभी जगह वंदित होते हैं।

महामंत्र जोइ जपत महेसू। कासीं मुकुति हेतु उपदेसू।
महिमा जासु जान गनराऊ। प्रथम पूजिअत नाम प्रभाऊ॥2॥

भावार्थ- कहा जाता है ये एक चौपाई एक ऐसा महामंत्र है जिसे महेश्वर यानि शिव शंकर स्वयं जपते हैं, उनके द्वारा दिया उपदेश काशी में मुक्ति का कारण है।
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संभु सहज समरथ भगवाना। एहि बिबाहां सब बिधि कल्याना॥
दुराराध्य पै अहहिं महेसू। आसुतोष पुनि किएं कलेसू॥3॥


भावार्थ- रामचरितमानस की इस चैपाई में भगवान शिव की महिमा बताई गई है कि शिव के रूप में भोलेनाथ सहज हैं। यूं तो इनकी आराधना करना कठिन है, मगर कहा जाता है तप करने से वे जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं।

जौं तपु करै कुमारि तुम्हारी। भाविउ मेटि सकहिं त्रिपुरारी॥
जद्यपि बर अनेक जग माहीं। एहि कहँ सिव तजि दूसर नाहीं॥4॥


भावार्थ- इसमें भगवान शंकर जैसे वर प्राप्ति के बारे में कहा गया है। मान्यता है अविवाहित कन्या शिव जी जैसा वर पाने की अपनी कामना को पूरा करना के लिए श्रावण में इस चौपाई को जपें।
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बर दायक प्रनतारति भंजन। कृपासिंधु सेवक मन रंजन॥
इच्छित फल बिनु सिव अवराधें। लहिअ न कोटि जोग जप साधें॥5॥


भावार्थ- तुलसीदास द्वारा रचित इस चौपाई में कहा गया है कि भगवान शंकर वर देने वाले और शरण में आए हुए भक्तों के दुखों का नाश करते हैं। कहा जाता है इनकी पूजा-आराधना के बिना करोड़ों जप और योग भी व्यर्थ माने जाते हैं।

पाणिग्रहण जब कीन्ह महेसा, हिय हरसे तब सकल सुरेसा।
वेद मंत्र मुनिवर उच्चरहीं, जय जय जय संकर सुर करहीं॥6॥

भावार्थ- इस चौपाई को विवाह में आ रही बाधाओं के लिए खास माना गया है। जो भी श्रावण में इस चौपाई का जाप करता है तो भगवान शिव से शीघ्र विवाह होने का वरदान प्राप्त होता है। ज्योतिष  विशेषज्ञों के अनुसार प्रातः काल शुभ मुहूर्त में शिव-पार्वती के सामने इसका जाप करना चाहिए।
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Jyoti

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