Dhumavati Jayanti: देवी धूमावती को Invite करने के लिए इस शुभ मुहूर्त में करें विशेष आह्वान
punjabkesari.in Monday, Jun 02, 2025 - 03:18 PM (IST)

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Dhumavati Jayanti 2025: धूमावती जयंती एक रहस्यपूर्ण देवी का उत्सव है। धूमावती जयंती ज्येष्ठ माह की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन देवी धूमावती की उत्पत्ति, रहस्य और उनके द्वारा सिखाई गई जीवन की कठोर सच्चाइयों को समझने का पर्व है।
Who is Goddess Dhumavati कौन हैं देवी धूमावती ?
देवी धूमावती दस महाविद्याओं में से सातवीं महाविद्या हैं। वे न तो सजी-संवरी स्त्री हैं, न ही सुंदरता का प्रतीक कही जा सकती हैं। वे विधवा, वृद्धा और त्याग की प्रतिमा हैं, यही उनका अलौकिक रहस्य है। वे जीवन की उन परिस्थितियों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिन्हें समाज नकार देता है जैसे अकेलापन, निराशा, विघ्न और मृत्यु की अनुभूति।
शास्त्रीय संकेत: “यत्र धूमस्तत्र देवी” — जहां धुआं है, वहां देवी हैं अर्थात भ्रम, अज्ञान और असत्य के भीतर भी देवी छिपी होती हैं, उन्हें पहचानना साधक की दृष्टि पर निर्भर है।
When is Dhumavati Jayanti कब है धूमावती जयंती
सनातन पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 2 जून दिन सोमवार की रात 8 बजकर 34 मिनट से शुरु होने वाली है। जो 3 जून मंगलवार की रात 9 बजकर 56 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि अनुसार धूमावती जयंती 3 जून मंगलवार को मनाई जाएगी।
Auspicious time of Dhumavati Jayanti Puja धूमावती जयंती पूजा का शुभ मुहूर्त
3 जून को धूमावती जयंती का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 2 मिनट से 4 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक है। लाभ उन्नति मुहूर्त सुबह 10 बजकर 35 मिनट से दोपहर 12 बजकर 19 मिनट तक रहने वाला है। निशिता काल मुहूर्त रात 11 बजकर 59 मिनट से देर रात 12 बजकर 40 मिनट तक है।
Worship Method of Goddess Dhumavati देवी धूमावती की पूजा विधि
देवी धूमावती की साधना उन्हीं के लिए है जो सत्य के कठोर रूप को स्वीकारने का साहस रखते हैं। धूमावती की पूजा डर को नहीं, बल्कि आत्म साक्षात्कार को आमंत्रित करती है।
Keep these things in mind before worshiping Goddess Dhumavati देवी धूमावती की पूजा करने से पहले रखें इन बातों का ध्यान
स्थान: शांत, एकांत, नीम के पेड़ के नीचे या काली मंदिर के समीप।
समय: मध्य रात्रि (12 से 3 बजे के बीच), जब शून्यता चरम पर होती है।
संकल्प: मैं जीवन के हर पक्ष को स्वीकार करता हूं, सुंदर और कुरूप दोनों।
आसन: काले ऊन का आसन, जिससे ऊर्जा का अपवाह न हो।
ध्यान: आंखें बंद कर धूम की कल्पना करें, धुएं के भीतर से एक वृद्धा प्रकट हो रही हैं, उनकी आंखें तेजस्वी हैं लेकिन करुणा से भरी हुईं हैं।
नैवेद्य: नीम की पत्तियां, बिना नमक का काला चना, सूखा नारियल। देवी को खट्टा, नमक या मिठास नहीं अर्पित करते क्योंकि वे रस रहित तत्त्व का प्रतीक हैं।
Dhumavati Jayanti Special aahan धूमावती जयंती विशेष आह्वान
एक दीपक जलाएं और उसके धुएं को हथेलियों से चेहरे की ओर खींचें। यह धूमावती को अपने भीतर आमंत्रित करने का प्रतीकात्मक कर्म है।
Tantric secret of Dhumavati Jayanti धूमावती जयंती का तांत्रिक रहस्य
तंत्र में ऐसा माना जाता है कि धूमावती की साधना करने वाला साधक सामान्य सामाजिक जीवन के नियमों से परे चला जाता है। उसे भय, मोह और मृत्यु का भान नहीं रहता।