Dhumavati Jayanti: धूमावती जयंती के दिन शमशान में करें इस मंत्र का जाप, रुठी खुशियों खुद आकर खड़ी हो जाएंगी आपके द्वार
punjabkesari.in Tuesday, Jun 03, 2025 - 06:31 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Dhumavati Jayanti 2025: शास्त्रों में मां भगवती के अनेकों रूप बताए गए हैं। नवदुर्गा और दस महाविद्या भी इन्हीं के महाशक्तिशाली स्वरूप हैं। मां दुर्गा के 9 रूपों को नवदुर्गा कहा जाता है। 10 महाविद्याएं मां दुर्गा के ही रूप हैं, जो तंत्र क्रिया में सिद्धियां देती हैं। इन्हीं 10 महाविद्याओं में से 7वीं महाविद्या देवी धूमावती हैं। जिनकी जयंती हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाए जाने का विधान शास्त्रों में वर्णित है।
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Seventh Mahavidya Dhumavati सातवीं महाविद्या धूमावती- जीवन में चल रहे हर अभाव और संकट को दूर करती हैं मां धूमावती। इनके कोई भी स्वामी नहीं हैं। ऋग्वेद में इन्हें 'सुतरा' कह कर संबोधित किया गया है। इनकी साधना करने वाला महाप्रतापी और सिद्ध पुरूष के रूप में जाना जाता है। बड़ी से बड़ी परेशानी मिनटों में दूर करने के लिए मां धूमावती की पूजा सर्वोत्तम साधन है।इनकी आराधना श्मशान में की जाती है। इनका आह्वान किसी महान संकट से निकलने के लिए ही किया जाता है। ये जहां भी विराजमान होती हैं, समस्त दुष्ट शक्तियां तुरंत ही वहां से भाग जाती हैं। यद्यपि इनकी पूजा कभी भी घर में नहीं की जाती है।
मां धूमावती की साधना करने वाला व्यक्ति हमेशा खुश रहता है। अगर आप भी प्रसन्न रहना चाहते हैं तो मां के इस मंत्र का जाप करें-
Maa Dhumavati Mantra मां धूमावती मंत्र- ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा
माता धूमावती की विधिवत पूजा और व्रत रखने से संकट व बाधाएं दूर होती हैं। जो लोग लाख प्रयत्न करने पर भी धन कमाने में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, उन्हें धूमावती जयंती के दिन मां धूमावती का व्रत जरूर करना चाहिए। यदि व्रत नहीं रख सकते तो पूजा जरूर करनी चाहिए।
ज्योतिष विद्वानों का मानना है की जो व्यक्ति इस रोज देवी धूमावती की पूजा करते हैं, उन्हें केतु से संबंधित अशुभ प्रभावों से सदा के लिए निजात मिलता है।
Do not do these things on the day of Dhumavati Jayanti धूमावती जयंती के दिन न करें ये काम
वाद-विवाद और झगड़ा न करें।
घर आए किसी भी याचक को खाली हाथ न लौटाएं।
क्रोध करने से भी बचें।