Narasimha Dwadashi: कष्टों से निजात पाने के लिए आज मनाई जाएगी नरसिंह द्वादशी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

punjabkesari.in Thursday, Mar 21, 2024 - 07:55 AM (IST)

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Narsimha Dwadashi 2024: पंचांग के अनुसार हर वर्ष होली दहन से पूर्व फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन नरसिंह द्वादशी का पर्व मनाया जाता है। इसे नरसिंह या गोविंद जयंती भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह जी की पूजा करने का विधान है। नरसिंह भगवान विष्णु का एक ऐसा अवतार था, जिसमें शरीर का आधा हिस्सा मानव का और आधा हिस्सा शेर का था। भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर अपने भक्त प्रह्लाद को बचाया और हिरण्यकश्यप का वध करके उसके पापों का नाश किया था। तो आइए जानते हैं नरसिंह द्वादशी 2024 की डेट और पूजा मुहूर्त क्या है - 

Narasimha Dwadashi 2024 date नरसिंह द्वादशी 2024 डेट
साल 2024 में नरसिंह द्वादशी 21 मार्च को मनाई जाएगी। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली द्वादशी तिथि को गोविंद द्वादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन नरसिंह जी की पूजा करता है, उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती और सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

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Narasimha Dwadashi 2024 auspicious time नरसिंह द्वादशी 2024 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 21 मार्च 2024 को देर रात 2.22 पर शुरू होगी और अगले दिन 22 मार्च 2024 को प्रात: 4.44 पर इसका समापन होगा।

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आज का पंचांग- 21 मार्च, 2024

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पूजा मुहूर्त - सुबह 06.24 से  सुबह 07.55 तक 

सुबह 10.57 से  दोपहर 12.28 तक 

Narasimha Dwadashi importance नरसिंह द्वादशी महत्व
माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती और जीवन में आने वाली हर परेशानी से छुटकारा मिलता है। यह दिन विष्णु जी के भक्तों के लिए बहुत खास होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने इस तिथि के दिन नरसिम्हा के रूप में राक्षस हिरण्यकश्यप का वध किया और अपने भक्त प्रह्लाद की जान बचाई थी। इस दिन व्रत रखने से संकट से मुक्ति मिलती है और दुश्मनों पर जीत हासिल होती है।

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Narasimha Dwadashi 2023 puja method नरसिंह द्वादशी 2023 पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और इसके बाद नरसिंह जी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
फिर भगवान विष्णु जी की पूर विधि-विधान के साथ पूजा करें।
इसके बाद उन्हें अबीर, गुलाल, चंदन, पीले अक्षत, फल, पीले पुष्प, धूप, दीप, पंचमेवा, नारियल आदि अर्पित करें।
अब उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं और धूप जलाकर प्रणाम करें।
इसके बाद उनके मंत्र, चालीसा और स्तोत्र का पाठ करें।
अंत में उनकी आरती करके अपनी भूल-चूक के लिए माफी मांग लें।

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Content Editor

Prachi Sharma

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