Life में पाएंगे सब कुछ अगर समझ गए ये बात!

punjabkesari.in Tuesday, Mar 10, 2020 - 02:50 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अंतर्ज्ञान बार-बार समझाता है-हे मानव! अपने जीवन का महत्व समझ। जीवन खेल नहीं, यह वरदान है। यह यूं ही नहीं मिलता लेकिन सार्वजनिक अनुभव यही कहता है कि व्यक्ति मृत्यु के निकट जाए बिना जीवन का महत्व समझता ही नहीं। अपने जीवनकाल में प्रत्येक मनुष्य को कभी न कभी किसी न किसी कारण जीते जी मौत के मुंह में जाने और किसी तरह वापस जीवनधारा में लौटने का अनुभव अवश्य होता है। उस समय मनुष्य का मन अत्यंत गूढ़ हो उठता है। वह आत्मा-परमात्मा के संबंध में स्वाभाविक ज्ञान प्राप्त करने लगता है, परंतु यह घड़ी ज्यादा देर नहीं टिकती। मौत से बच निकलने के बाद शीघ्र ही मनुष्य अपने उस अनुभव को भूल कर सामान्य जीवन जीने लगता है।
PunjabKesariयही स्थिति मनुष्य को उसके मनुष्य धर्म का पालन नहीं करने देती। ऐसी ही अवस्था में मनुष्य अध्यात्म, आत्म-परमात्म और परमसत्ता के ङ्क्षचतन से विमुख हो जाता है और काम, क्रोध, लोभ, मोह के प्रभावों में पड़ा जीवन के थपेड़े झेलता रहता है। अंतर्ध्वनि को अनसुना करते हुए वह अपने जीवन के महत्व को समझने के लिए आत्मयोग में नहीं ठहरता। ऐसी स्थिति में वह एक क्षण के लिए भी इतनी सरल बात नहीं समझ पाता कि जीवन को सबसे अच्छे तरीके से महसूस करने के लिए उसे शिशु के समान बन जाना चाहिए। अपने शिशुकाल में वह ऐसा रह भी चुका होता है। उसे अपनी शैशवावस्था में जी गई अपनी पक्षियों जैसी जीवनचर्या भी याद नहीं होती। वह भूल जाता है कि कभी उसने तितलियों जैसा प्रशांत उड़ता-फिरता अपना अस्तित्व संभाला था।
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आधुनिकता की अबूझ मानवीय समस्याओं से ग्रस्त मनुष्य को यह चिंतन भी अवश्य करते रहना चाहिए कि जिस पकार सृष्टि के विकार-बिगाड़ में उसकी आदतों का बड़ा योगदान है, उसी प्रकार सृष्टि के उपकार और प्राकृतिक उद्धार के लिए उसका सादा जीवन-उच्च विचार वाला सिद्धांत भी अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।


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Jyoti

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