Puja Niyam: अगर आप भी करते हैं इस समय पूजा तो नहीं मिलेगा पूर्ण फल, आज ही बदल लें ये आदत
punjabkesari.in Friday, Jun 28, 2024 - 08:26 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Puja Niyam: अक्सर आपने देखा होगा कि दोपहर के समय मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। इतना ही नहीं हमारे घर में भी हम लोग भगवान के मंदिर में दोपहर में पूजन नहीं करते हैं क्योंकि हिंदू धर्म शास्त्र में पूजा-पाठ को लेकर कई नियम बनाए गए है। उन्हीं में से एक नियम ये भी कहता है कि दोपहर के समय भगवान का पूजन नहीं करनी चाहिए। इससे घर की सुख-समृद्धि चली जाती है लेकिन ऐसा क्यों ? तो आज जानते हैं कि आखिर क्यों दोपहर के समय पूजन नहीं करना चाहिए-
बता दें कि ज्योतिष शास्त्र की मानें तो दोपहर 12 बजे से लेकर 3 बजे का समय देवताओं के आराम का समय माना जाता है और इस समय यदि पूजन किया जाता है तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। इस वजह से इस विशेष अवधि में देवी-देवताओं की पूजा का विधान नहीं है। वहीं अकसर देखने में आता है कि कई लोग दोपहर के समय शिवलिंग पर जल चढ़ा देते हैं। ऐसे में आपको बता दें कि ज्योतिष मान्यताओं के मुताबिक, दोपहर के बाद यदि आप जल अर्पण करते हैं तो वह गर्म जल के समान होता है। गर्म जल चढ़ाने से भगवान शिव नाराज होते हैं, जिस कारण आपको जीवन में कई कष्ट झेलने पड़ते हैं।
इसके अलावा कई लोग सत्यनारायण भगवान की पूजा दिन में भी कर लेते हैं, खासतौर पर पूर्णिमा के दिन लेकिन बता दें कि ऐसा भूलकर भी नहीं करना चाहिए। आप सुबह और संध्या के समय ही पूजा करें लेकिन इसी के साथ आपको ये भी बता दें कि यदि कोई प्रातःकाल से पूजा पाठ कर रहा है और पूजा करते करते दोपहर हो जाए तो कोई आपत्ति नहीं है। इससे आपको शुभ फलों की ही प्राप्ति होती है लेकिन दोपहर 12 बजे के बाद पूजा को कभी भी प्रारंभ नहीं करनी चाहिए। यह पूरी तरह से शास्त्रों में गलत और वर्जित माना गया है। इससे आपको पूजा-पाठ के अशुभ फल प्राप्त होते हैं।
बताते चलें कि बिना पूजा-पाठ के तो दिन की कल्पना भी नहीं की जाती है। पूजा-पाठ करने से मन को शांति मिलती है, घर में हमेशा खुशी का वातावरण रहता है और हमेशा प्रभु का आशीर्वाद बना रहता है। ऐसे में ये जानना भी जरूरी है कि भगवान की पूजा के लिए कौन सा समय उचित होता है। बता दें कि धर्म शास्त्रों के अनुसार पूजा करने के लिए सबसे अच्छा समय प्रातः काल को माना गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस समय तन और मन दोनों पवित्र होते हैं और हम पूरी तरह से ईश्वर में ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। इस समय का पूजन सीधे ईश्वर तक जाता है और मन की शुद्धि में मदद करता है। ऐसे में सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए। जिससे आपको धर्म, कर्म ,धन और मोक्ष चारों फल की हो।