जीवन में कैसे मिलता है सुखद अहसास

punjabkesari.in Sunday, Mar 01, 2015 - 09:08 AM (IST)

राजा भोज स्वयं तो विद्वान थे ही, वे अन्य विद्वानों का भी खूब सम्मान करते थे । एक बार उनकी राजसभा में बाहर के विद्वान भी आमंत्रित थे । भोज ने उन सभी से आग्रह किया, ‘‘आप सभी विद्वान अपने जीवन में घटित कोई आदर्श घटना एक-एक कर सुनाएं ।’’ बस फिर क्या था, सभी विद्वानों ने अपनी-अपनी आपबीती कह सुनाई । अंत में एक दीन-हीन सा दिखने वाला विद्वान अपने आसन से उठा और बोला, ‘‘मैं क्या बताऊं महाराज, वास्तव में तो मैं आपकी इस विद्वत सभा में आने का अधिकारी ही नहीं था, किंतु मेरी पत्नी का बड़ा आग्रह था, इसलिए चला आया।यात्रा का ध्यान करते हुए मेरी पत्नी ने एक पोटली में मेरे लिए 4 रोटियां बांध दीं ।

मार्ग में भूख लगने पर जब मैं एक जगह खाना खाने लगा तभी एक कुतिया मेरे पास आकर बैठ गई । साफ  लग रहा था कि वह भूखी थी। मुझे उस पर दया आ गई और मैंने उसके सामने एक रोटी रख दी । वह उसे तुरंत खा गई। इसके बाद मैंने जैसे ही खाने के लिए रोटियों को छुआ, वह फिर रोटी मिलने की इच्छा से दुम हिलाने लगी ।

मुझे लगा जैसे वह कह रही हो कि बाकी रोटियां भी मुझे ही दे दो । मैंने सभी रोटियां भी उसके आगे डाल दीं ।बस महाराज यही है मेरे जीवन में हाल में घटित सत्य और आदर्श घटना । स्वयं भूखा रहकर एक भूखे जीव को मैंने तृप्त किया और ऐसा करने से जो सुखद अहसास मुझे हुआ, वह मैं जीवन भर नहीं भूलूंगा ।’’राजा इस वृत्तांत से भाव-विभोर हो गए। उस विद्वान को उन्होंने मूल्यवान वस्तुएं भेंट कीं और कहा, ‘‘यही है जीवन का आदर्श ।’’

 

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News