कार्बन कर लगाने की यूरोपीय संघ की घोषणा पर भारत ने जताई चिंता
punjabkesari.in Wednesday, Mar 01, 2023 - 09:26 PM (IST)

नयी दिल्ली, एक मार्च (भाषा) भारत ने कार्बन कर लगाने की यूरोपीय संघ की घोषणा पर बुधवार को चिंता जताते हुए कहा कि ऐसे कदम से देश को मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर नजरिये में बदलाव करने की जरूरत पड़ेगी।
भारत ने एफटीए को लेकर यूरोपीय संघ के साथ बातचीत जनवरी में दोबारा शुरू की थी। इसे लेकर दोनों पक्षों के बीच बातचीत का दौर जारी है।
वाणिज्य विभाग में संयुक्त सचिव निधि मणि त्रिपाठी ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम में इस साल एक अक्टूबर से कार्बन कर लगाने की यूरोपीय संघ की घोषणा पर चिंता जताई। यह कर लगने पर जनवरी, 2026 से कुछ उत्पादों के आयात पर 20-35 प्रतिशत तक कर लगने लगेगा।
यूरोपीय संघ के साथ एफटीए पर वार्ता के लिए भारत की मुख्य वार्ताकार की भूमिका निभा रहीं त्रिपाठी ने कहा, ‘‘मैं यह तो नहीं कहूंगी कि हम इसे लेकर बेचैन हैं लेकिन हमें यह घोषणा थोड़ी चिंता में डाल रही है। इसके दायरे में पांच-छह ऐसे क्षेत्र आ रहे हैं जो भारतीय उद्योगों एवं आपूर्ति शृंखलाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं।’’
इसके अलावा यूरोपीय संघ की तरफ से लाए जा रहे ‘ग्रीन डील’ प्रावधान को भी लेकर कुछ आशंकाएं हैं। इस कानून में कुछ क्षेत्रों पर जंगलों की कटाई से संबंधित बंदिशें लगाने की बात कही गई है।
इसपर त्रिपाठी ने कहा, ‘‘इस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं कि हमें भी एफटीए को लेकर अपने नजरिये में बदलाव की जरूरत पड़ सकती है।’’
उन्होंने कहा कि दोनों ही पक्षों को व्यापार समझौते पर व्यावहारिक नजरिये से गौर करने की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह मौका गंवाना नहीं चाहिए। दोनों पक्षों के लिए अवसर भुनाने का यह सही समय है।’’
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
भारत ने एफटीए को लेकर यूरोपीय संघ के साथ बातचीत जनवरी में दोबारा शुरू की थी। इसे लेकर दोनों पक्षों के बीच बातचीत का दौर जारी है।
वाणिज्य विभाग में संयुक्त सचिव निधि मणि त्रिपाठी ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम में इस साल एक अक्टूबर से कार्बन कर लगाने की यूरोपीय संघ की घोषणा पर चिंता जताई। यह कर लगने पर जनवरी, 2026 से कुछ उत्पादों के आयात पर 20-35 प्रतिशत तक कर लगने लगेगा।
यूरोपीय संघ के साथ एफटीए पर वार्ता के लिए भारत की मुख्य वार्ताकार की भूमिका निभा रहीं त्रिपाठी ने कहा, ‘‘मैं यह तो नहीं कहूंगी कि हम इसे लेकर बेचैन हैं लेकिन हमें यह घोषणा थोड़ी चिंता में डाल रही है। इसके दायरे में पांच-छह ऐसे क्षेत्र आ रहे हैं जो भारतीय उद्योगों एवं आपूर्ति शृंखलाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं।’’
इसके अलावा यूरोपीय संघ की तरफ से लाए जा रहे ‘ग्रीन डील’ प्रावधान को भी लेकर कुछ आशंकाएं हैं। इस कानून में कुछ क्षेत्रों पर जंगलों की कटाई से संबंधित बंदिशें लगाने की बात कही गई है।
इसपर त्रिपाठी ने कहा, ‘‘इस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं कि हमें भी एफटीए को लेकर अपने नजरिये में बदलाव की जरूरत पड़ सकती है।’’
उन्होंने कहा कि दोनों ही पक्षों को व्यापार समझौते पर व्यावहारिक नजरिये से गौर करने की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह मौका गंवाना नहीं चाहिए। दोनों पक्षों के लिए अवसर भुनाने का यह सही समय है।’’
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