भारत ने चीन पर कंसा शिकंजा, 5 साल के लिए सोलर ग्लास पर लगाई एंटी-डंपिंग ड्यूटी
punjabkesari.in Saturday, May 10, 2025 - 01:26 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः भारत ने घरेलू सोलर ग्लास उद्योग को सस्ते आयात से बचाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने चीन और वियतनाम से आयात किए जाने वाले कुछ विशेष प्रकार के सोलर ग्लास पर प्रति टन 664 डॉलर तक की एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने का फैसला किया है। यह शुल्क अगले 5 वर्षों तक प्रभावी रहेगा।
सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि यह कदम भारतीय निर्माताओं को अनुचित मूल्य पर होने वाले आयात से संरक्षण देने के उद्देश्य से उठाया गया है। इस फैसले का सीधा असर बाजार में दिखा। सोलर ग्लास निर्माता बोरोसिल रिन्यूएबल्स लिमिटेड के शेयरों में शुक्रवार को जबरदस्त तेजी देखी गई।
बीएसई पर कंपनी का शेयर 10% की छलांग लगाकर 532.15 रुपए पर बंद हुआ। बोरोसिल रिन्यूएबल्स, बोरोसिल ग्रुप की एक प्रमुख इकाई है और भारत की अग्रणी सोलर ग्लास उत्पादक कंपनियों में शामिल है। यह कदम भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ नीति और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने की रणनीति के अनुरूप है।
भारत सरकार ने चीन और वियतनाम से आयात किए जाने वाले कुछ खास प्रकार के सोलर ग्लास पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने का फैसला डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज (DGTR) की जांच के बाद लिया है। वाणिज्य मंत्रालय की इस जांच इकाई ने दोनों देशों से टेक्सचर्ड, टफन्ड (टेम्पर्ड), कोटेड और अनकोटेड ग्लास की डंपिंग को लेकर विस्तृत जांच की थी।
जांच के आधार पर DGTR ने सरकार को इन उत्पादों पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने की सिफारिश की। इन ग्लास उत्पादों का इस्तेमाल आमतौर पर सोलर पैनल्स में होता है और इन्हें सोलर ग्लास, लो आयरन सोलर ग्लास, सोलर पीवी ग्लास, हाई ट्रांसमिशन फोटोवोल्टिक ग्लास आदि नामों से जाना जाता है।
बोरोसिल रिन्यूएबल्स की अपील पर शुरू हुई कार्रवाई
DGTR की यह जांच प्रमुख घरेलू निर्माता बोरोसिल रिन्यूएबल्स लिमिटेड की याचिका पर आधारित थी। इसके बाद सरकार ने 570 से 664 डॉलर प्रति टन तक की एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने का ऐलान किया।
बोरोसिल रिन्यूएबल्स ने बीएसई को दी गई फाइलिंग में इस फैसले का स्वागत किया है। कंपनी का कहना है कि यह निर्णय देश में सोलर ग्लास निर्माण को गति देगा और स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित करेगा।
सरकार का यह कदम 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान और घरेलू विनिर्माण क्षेत्र को मजबूती देने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।