भारत में जासूसी करने वालों की नहीं खैर, कानून के शिकंजे में देशद्रोही, जानिए कितनी मिलती है सजा

punjabkesari.in Tuesday, May 20, 2025 - 10:17 AM (IST)

नेशनल डेस्क। भारत में देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों के लिए कानून बेहद सख्त है। जासूसी यानी देश की गोपनीय जानकारी दुश्मन तक पहुंचाना एक गंभीर अपराध है जो देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालता है। भारतीय कानूनों में जासूसी से जुड़े अपराधों के लिए कड़े प्रावधान हैं जिनमें मुख्य रूप से ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट 1923 और हाल ही में लागू हुई भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 शामिल हैं। हरियाणा की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी ने इस संवेदनशील मुद्दे को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। आइए समझते हैं कि भारत में जासूसी के लिए क्या सजा मिल सकती है और इस बारे में कानून क्या कहता है।

जासूसी से जुड़े प्रमुख कानूनी प्रावधान

भारत में जासूसी के मामलों में मुख्य रूप से दो कानून लागू होते हैं:

  • ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923: यह कानून देश की गोपनीय जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। इसकी प्रमुख धाराएं इस प्रकार हैं:

    • धारा 3 (रक्षा या गोपनीय जानकारी से संबंधित जासूसी): यदि कोई व्यक्ति देश की सुरक्षा से जुड़ी कोई भी जानकारी (जैसे सैन्य योजनाएं, हथियार, या रक्षा ठिकाने) किसी विदेशी एजेंट या दुश्मन देश को देता है तो उसे 14 साल तक की जेल हो सकती है। गंभीर मामलों में तो आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
    • धारा 4 (विदेशी एजेंटों के साथ अनधिकृत संपर्क): यदि कोई व्यक्ति बिना अनुमति के किसी विदेशी एजेंट से संपर्क करता है तो उसे 2 साल तक की कैद हो सकती है।
    • धारा 5 (गोपनीय जानकारी लीक करना या दुश्मन को देना): यदि कोई व्यक्ति देश की गोपनीय जानकारी लीक करता है या उसे दुश्मन को सौंपता है तो उसे 3 साल तक की सजा भुगतनी पड़ सकती है।
    • धारा 10 (कम गंभीर जासूसी गतिविधियां): कुछ कम गंभीर जासूसी गतिविधियों के लिए भी 3 साल तक की जेल या जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023: यह नया कानून भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह लाया गया है और इसमें भी देश की सुरक्षा से जुड़े अपराधों के लिए सख्त प्रावधान हैं:

    • धारा 152 (भारत की प्रभुता, एकता या अखंडता को खतरे में डालना): इस धारा के तहत जासूसी जैसी गतिविधियां शामिल हो सकती हैं जिससे भारत की प्रभुता, एकता या अखंडता को खतरा पैदा होता है। इसके लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास तक की सजा दी जा सकती है। यदि कोई व्यक्ति देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने या सैन्य जानकारी साझा करने में शामिल पाया जाता है, तो उसे फांसी या उम्रकैद की सजा हो सकती है।

जासूसी के हालिया मामले

हाल ही में हरियाणा और पंजाब में एक जासूसी रैकेट का भंडाफोड़ हुआ जिसमें यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया। ज्योति पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का गंभीर आरोप है। उसके खिलाफ ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट की धारा 3, 4 और 5 के तहत मामला दर्ज किया गया है। जांच में यह भी सामने आया है कि वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI और दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारी दानिश के संपर्क में थी।

सजा का निर्धारण कैसे होता है?

जासूसी के मामलों में सजा की मात्रा कई कारकों पर निर्भर करती है जिनमें प्रमुख हैं:

  • अपराध की गंभीरता: यदि जासूसी से देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा पहुंचा हो तो अदालत कड़ी सजा सुना सकती है।
  • सबूत: कोर्ट में पेश किए गए सबूत जैसे इलेक्ट्रॉनिक संदेश, कॉल रिकॉर्ड या वित्तीय लेनदेन सजा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं।
  • इरादा: यदि यह साबित हो जाता है कि जासूसी जानबूझकर और देश को नुकसान पहुंचाने के इरादे से की गई थी तो सजा और कठोर होगी।
  • पिछला रिकॉर्ड: यदि आरोपी का कोई आपराधिक इतिहास है तो उसकी सजा बढ़ाई जा सकती है।

जासूसी मामलों की कानूनी प्रक्रिया

भारत में जासूसी के मामलों की कानूनी प्रक्रिया बेहद सख्त और सुव्यवस्थित होती है। चूंकि जासूसी एक संज्ञेय अपराध है इसलिए पुलिस बिना वारंट के भी गिरफ्तारी कर सकती है। जांच की प्रक्रिया में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) जैसी खुफिया एजेंसियां गहनता से सबूतों का विश्लेषण करती हैं। ऐसे मामलों की सुनवाई अक्सर फास्ट-ट्रैक कोर्ट में की जाती है ताकि जल्द से जल्द न्याय सुनिश्चित हो सके। यदि आरोपी निचली अदालत में दोषी पाया जाता है तो वह उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर कर सकता है जिसमें औसतन 20 महीने तक का समय लग सकता है।

भारत सरकार देश की सुरक्षा को सर्वोपरि मानती है और जासूसी जैसे गंभीर अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती है। यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी इस बात का ताजा उदाहरण है कि खुफिया एजेंसियां और कानून देश की सुरक्षा को खतरा पैदा करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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