भारत और पाकिस्तान के बीच ड्रोन तकनीक की दौड़ में जानिए कौन है आगे?
punjabkesari.in Thursday, May 08, 2025 - 01:26 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव हमेशा से ही एक गंभीर मुद्दा रहा है, लेकिन अब यह पारंपरिक युद्ध की बजाय नई तकनीकी जंग में बदल चुका है। दोनों देशों के बीच ड्रोन तकनीक का खेल काफी तेज़ी से बढ़ रहा है, जहां दोनों देशों ने बिना पायलट वाले एयरक्राफ्ट (ड्रोन) को अपनी सेनाओं का हिस्सा बना लिया है। इस ड्रोन रेस में कौन आगे है, यही बड़ा सवाल है। भारत ने हाल ही में अमेरिका से 31 प्रिडेटर ड्रोन खरीदे हैं, जो तकनीकी रूप से सबसे एडवांस्ड और घातक माने जाते हैं। इनकी कीमत लगभग 950 करोड़ रुपये प्रति ड्रोन है, लेकिन इनकी मारक क्षमता भी बेहद खतरनाक है। इनमें से 15 ड्रोन भारतीय नौसेना के पास होंगे, जबकि बाकी थलसेना और वायुसेना में वितरित किए जाएंगे।
इसके अलावा, भारत ने पहले ही इजराइल से हीरोन जैसे ड्रोन हासिल किए हैं और अब वह इन तकनीकों को अपनाकर देश में स्वदेशी ड्रोन भी विकसित कर रहा है। DRDO और HAL जैसी भारतीय कंपनियां इस क्षेत्र में तेजी से काम कर रही हैं और 2020 में चीन के साथ सीमा तनाव के बाद ड्रोन तकनीक को और बढ़ावा दिया गया है। भारत का मुख्य लक्ष्य निगरानी, सटीक हमले और सुरक्षा को बढ़ाने के लिए ड्रोन तकनीक का प्रयोग करना है। भारतीय कंपनियां इसे स्वदेशी रूप से तैयार करने में जुटी हैं, ताकि आत्मनिर्भरता को बढ़ाया जा सके और विदेशी निर्भरता कम की जा सके।
पाकिस्तान का ड्रोन अभियान: तेज़ी से बढ़ती ताकत
पाकिस्तान भी इस रेस में पीछे नहीं है। उसने तुर्की और चीन से कई आधुनिक ड्रोन जैसे 'बैराक्टर TB2', 'एकेंजी', 'वैंग लोंग 2' और 'CH-4' खरीदे हैं। इसके साथ ही पाकिस्तान अपनी स्वदेशी ड्रोन क्षमता को भी बढ़ा रहा है। पाकिस्तान का 'शहपर II' ड्रोन काफी चर्चित है, जो 1000 किमी तक उड़ सकता है और इसे सीथ मिसाइल से लैस किया जा सकता है। पाकिस्तान की ऑर्डनेंस फैक्ट्री और अन्य एजेंसियां अब लगातार ऐसे हथियारबंद ड्रोन बना रही हैं, जो युद्ध के मैदान में बड़ा फर्क डाल सकते हैं। पाकिस्तान की रणनीति स्पष्ट है – भारत के एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देना और समय रहते सटीक जवाब देना। पाकिस्तान के ड्रोन की उड़ान क्षमता और सटीकता इसे भारत के खिलाफ काफी प्रभावशाली बना सकती है, विशेष रूप से ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन के माध्यम से।
किसका पलड़ा भारी है?
अगर हम तकनीकी दृष्टिकोण से देखें तो भारत के पास अधिक संसाधन, बड़ी आर्थिक ताकत और वैश्विक साझेदारियां हैं। अमेरिका और इजराइल जैसे देशों से मिल रहे अत्याधुनिक ड्रोन भारत को एक मजबूत बढ़त देते हैं। इसके अलावा, भारत में घरेलू स्तर पर ड्रोन निर्माण को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, जो भविष्य में भारत की ताकत को और बढ़ा सकता है। वहीं, पाकिस्तान की रणनीति स्मार्ट और लागत-प्रभावी है। उसने चीन और तुर्की से ड्रोन खरीदे हैं, जो उसे किसी भी रणनीतिक स्थिति में फायदा पहुंचा सकते हैं। पाकिस्तान के ड्रोन की उड़ान क्षमता लंबी है, और वे भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम को चुनौती देने की क्षमता रखते हैं।
ड्रोन का भविष्य और युद्ध में भूमिका
आजकल के युद्धों में ड्रोन अहम भूमिका निभा रहे हैं। चाहे LOC पर घुसपैठ रोकनी हो या समुद्र में निगरानी करनी हो, ड्रोन इन सभी गतिविधियों में बेहद महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं। आने वाले कुछ सालों में ड्रोन तकनीक और भी अधुनिक होगी, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोनॉमस ऑपरेशन जैसे फीचर्स होंगे। भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों के बीच किसी भी प्रकार की झड़प या टकराव की स्थिति में ड्रोन सबसे पहले सक्रिय किए जाएंगे, क्योंकि ये कम जोखिम में सटीक जानकारी और हमला दोनों कर सकते हैं। आने वाले समय में ड्रोन से होने वाले हमले किसी युद्ध में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
तनाव के बीच ड्रोन की अहमियत
भारत और पाकिस्तान के बीच टकराव के संभावित माहौल में ड्रोन तकनीक की अहमियत और बढ़ जाती है। यह कम लागत, तेज गति, और सटीकता प्रदान करता है, जो इसे भविष्य में युद्ध के मैदान में महत्वपूर्ण बनाता है। ड्रोन की मदद से, दोनों देशों के सैन्य बल कम जोखिम के साथ सटीक हमले और निगरानी कर सकते हैं।