"क्या हम उनके लिए लाल कालीन बिछाए?" लापता रोहिंग्या नागरिकों पर सुनवाई के दौरान CJI के कड़े सवाल
punjabkesari.in Tuesday, Dec 02, 2025 - 03:44 PM (IST)
नेशनल डेस्क : सुप्रीम कोर्ट ने पांच लापता रोहिंग्या नागरिकों का पता लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कड़े और महत्वपूर्ण सवाल उठाए। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता से सीधे सवाल किया कि “क्या हमें उनके लिए लाल कालीन बिछाना चाहिए?” सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सीमा की संवेदनशीलता को लेकर अपनी गंभीर चिंता भी जाहिर की।
क्या अवैध तरीके से आए लोगों को रखना हमारा दायित्व?
CJI सूर्यकांत ने इस दौरान कहा कि उत्तर भारत की सीमाएं बेहद संवेदनशील हैं। उन्होंने बताया कि लोग अक्सर सुरंगों के रास्ते देश में प्रवेश करते हैं और इसके बाद भोजन, आश्रय और बच्चों की शिक्षा का अधिकार मांगने लगते हैं। उन्होंने पूछा कि क्या कानून को इतना खींचा जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हमारे बच्चे इन सुविधाओं के हकदार नहीं हैं।
कोर्ट ने केंद्र से भी सवाल किया कि क्या कोई आधिकारिक आदेश है जो रोहिंग्या समुदाय को ‘शरणार्थी’ घोषित करता हो। यदि कोई व्यक्ति कानूनी दर्जे के बिना अवैध रूप से देश में आया है, तो क्या उसे यहीं रखने का हमारा कोई दायित्व है।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगर उनका कानूनी दर्जा नहीं है और वे घुसपैठिए हैं, तो क्या हम उन्हें लाल कालीन पर स्वागत करेंगे। इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनका मकसद निर्वासन को रोकना नहीं है, बल्कि कस्टडी से गायब होने की आशंका के चलते सुप्रीम कोर्ट से न्याय की मांग है। CJI ने इस पर कहा कि हेबियस कॉरपस जैसी मांगें बहुत कल्पनात्मक लगती हैं।
केंद्र का रुख
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस पीआईएल पर सुनवाई नहीं होने की बात कही। उन्होंने कहा कि प्रभावित व्यक्ति या उनका परिवार स्वयं कोर्ट में आ सकता है। वहीं, याचिकाकर्ता ने जोर देकर कहा कि अवैध रूप से किसी को “ट्रैफिक आउट” नहीं किया जा सकता।
