जगन्नाथ मंदिर खुलते ही उड़ी सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां, पुजारियों ने नहीं माना कोई नियम(Video)
punjabkesari.in Friday, Jun 05, 2020 - 04:26 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भगवान जगन्नाथ को समर्पित स्नान पूर्णिमा पर्व यहां स्थित बारहवीं शताब्दी के मंदिर में शुक्रवार को पहली बार श्रद्धालुओं की अनुपस्थिति में मनाया गया। हालांकि इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ी। धार्मिक आयोजन के दौरान पुजारियों ने ना तो मास्क लगाया और ना ही सामाजिक दूरी के नियमों का पालन किया।
#WATCH Snana Poornima festival of Lord Jagannath, Lord Balabhadra & Devi Subhadra being held at Shree Jagannath Temple of Puri today. DM Puri says, no devotees have been allowed at the festival. pic.twitter.com/0f5vCk4QTC
— ANI (@ANI) June 5, 2020
इस धार्मिक आयोजन का एक वीडियो भी सामने आया है, बड़ी संख्या में लोगों को एकत्रित होकर आयोजन पूरा करते देखा गया है। कई सेवादारों को दैव प्रतिमाओं के आसपास भीड़ लगाते देखा गया। कुछ सेवादारों ने प्रतिमाओं को तड़के एक बज कर 40 मिनट पर मुख्य मंदिर से बाहर निकाला। अनुष्ठान में शामिल होने से पहले इन सेवादारों की कोरोना वायरस जांच की गई थी। यह आयोजन प्रतिवर्ष रथयात्रा पर्व से पहले होता है।
भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा, भगवान जगन्नाथ और भगवान सुदर्शन को मंदिर परिसर में ‘स्नान वेदी' पर बैठाया गया और उन्हें मंत्रोच्चार के साथ 108 घड़ों के सुगंधित जल से स्नान कराया गया। दैव प्रतिमाओं को स्नान कराने के लिए जिस कुएं से जल निकाला गया उसे गरबदु सेवादार ‘सोना कुआं' (स्वर्ण कुआं) कहते हैं। भगवान बलभद्र को 33 घड़ों के जल से स्नान कराया गया, भगवान जगन्नाथ को 35 घड़ों के जल से स्नान कराया गया, देवी सुभद्रा को 22 घड़ों के जल से और भगवान सुदर्शन को 18 घड़ों के जल से स्नान कराया गया। इस बार ‘हरि बोल' का उद्घोष करने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ मौजूद नहीं थी।
इससे पहले पुरी के जिला कलक्टर बलवंत सिंह ने बताया था कि जिले में वीरवार रात दस बजे से लेकर शनिवार दोपहर दो बजे तक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 लागू रहेगी। भगवान जगन्नाथ के मंदिर के पास लोगों को एकत्रित होने से रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस की टुकड़ियां तैनात की गई हैं। उन्होंने कहा था कि कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि भगवान जगन्नाथ के ‘स्नान पूर्णिमा' पर्व के दौरान में किसी भी श्रद्धालु को अनुमति नहीं दी जाएगी और सारे धार्मिक कार्य कुछ सेवादारों की उपस्थिति में ही संपन्न होंगे। केवल सेवादारों और मंदिर के अधिकारियों को ही मंदिर में जाने दिया जाएगा। श्रद्धालुओं के लिए टेलीविजन पर धार्मिक आयोजन का सीधा प्रसारण किया गया।