पाकिस्तान-सऊदी की डिफैंस डील से चीन खुश, एक्सपर्ट बोले-पश्चिमी मोर्चे पर भारत के लिए नया खतरा बढ़ा

punjabkesari.in Thursday, Sep 18, 2025 - 06:56 PM (IST)

Bejing: सऊदी अरब और पाकिस्तान ने बुधवार को एक ऐतिहासिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत, यदि किसी एक देश पर हमला होता है तो उसे दोनों पर हमला माना जाएगा। इसे खाड़ी क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच दशकों पुरानी सुरक्षा साझेदारी को और मजबूत करने वाला कदम माना जा रहा है। मोगैंबो यानि चीन ने इस समझौते की सराहना की है।

 

चीन का रुख और रणनीति
चीनी थिंक टैंक ग्लोबल टाइम्स  ने लिखा कि यह डील भारत और इजरायल के लिए रणनीतिक चुनौती  है। चीन पहले से ही चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (CPEC) और ग्वादर पोर्ट के जरिए पाकिस्तान में गहराई से जुड़ा हुआ है। बीजिंग मानता है कि पाकिस्तान-सऊदी गठजोड़ से अमेरिका की खाड़ी क्षेत्र में पकड़ कमजोर होगी । चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह डील भारत और इजरायल को घेरने की रणनीति का बड़ा प्लान है। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका पर लंबे समय से भरोसा करने वाले अरब देशों को अब वाशिंगटन की सुरक्षा गारंटी पर संदेह होने लगा है। हाल ही में कतर पर हुए इजरायली हमले ने इस चिंता को और गहरा कर दिया है।

 

पाकिस्तान-सऊदी रिश्ते
सऊदी अरब को पाकिस्तान का "एटीएम" कहा जाता है क्योंकि वह लंबे समय से इस्लामाबाद की आर्थिक मदद करता रहा है।  दोनों देशों की दोस्ती दशकों पुरानी है, जो अब रक्षा क्षेत्र में औपचारिक रूप से और मजबूत हो गई है। पाकिस्तान पहले से ही चीन का करीबी सहयोगी है, ऐसे में इस डील से उसका रणनीतिक महत्व और बढ़ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता दक्षिण एशिया और मध्य-पूर्व की सुरक्षा संतुलन  को प्रभावित कर सकता है।

 


भारत और इजरायल पर असर
भारत और इजरायल, दोनों ही सऊदी और पाकिस्तान के इस कदम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। इस डील से भारत को अपने  पश्चिमी मोर्चे  पर नए खतरे का सामना करना पड़ सकता है। इजरायल, जो पहले से ही गाजा और हिज्बुल्लाह से जूझ रहा है, उसे भी अरब देशों के ऐसे रक्षा गठजोड़ से  रणनीतिक दबाव  महसूस हो सकता है। भारत को अब  मध्य-पूर्व की कूटनीति  और ज्यादा सावधानी से चलानी होगी, खासकर सऊदी अरब के साथ ऊर्जा और व्यापार के रिश्तों में।

 

 


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Content Writer

Tanuja

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