अयोध्या राम मंदिर पर जहर उगल रहे पाकिस्तान में राम के नाम के हैं इतने शहर और रोड, बांग्लादेश का भी जानें हाल

punjabkesari.in Tuesday, Jan 30, 2024 - 02:24 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः भारत से विभाजन के बाद बने मुस्लिम देश पाकिस्तान में  एक जमाने में तमाम जगहों के नाम हिंदू देवी देवताओं और राम के नाम पर थे लेकिन पाकिस्तान और बांग्लादेश में आजादी के बाद से काफी नाम बदले जा चुके हैं। अयोध्या राम मंदिर पर  जहर उगल रहे पाकिस्तान में अब भी कई जगहों के नाम राम और कई जगहों के नाम हिदू देवी-देवताओं के नाम पर हैं। ऐसा ही भारत का हिस्सा रहे बांग्लादेश में भी है लेकिन पाकिस्तान में कट्टरवाद के चलते बहुत से नाम बदले जा चुके हैं। पाकिस्तान में पंजाब के वजीराबाद जिले में चिनाब नदी के किनारे बसा का एक छोटा सा शहर है रसूल नगर बंटवारे और आजादी के बाद भी इस शहर का नाम बहुत दिनों तक रामनगर था।  ये खेतीहर लोगों का छोटा खूबसूरत शहर था। जब बंटवारा होने लगा तो यहां से सिख और हिंदू ज्यादातर भारत भाग आए और 50 के दशक में इस जगह का नाम बदल दिया गया।

 

रसूल नगर  इसलिए भी खास है, क्योंकि यहीं अंग्रेजों और सिखों के बीच 18 नवंबर 1848 के एक बड़ी लड़ाई लड़ी गई थी, जिसे रामनगर की लड़ाई कहते हैं। एक जमाने में ये पंजाब के पूर्व शासक जिन्हें पंजाब का शेर के नाम से प्रसिद्ध रणजीत सिंह के राज में खास बाजार का केंद्र था,  ने अपना समय इस क्षेत्र में चिनाब नदी के तट पर बिताया था। जब नवंबर 1848 में सिखों और ब्रिटिशों के बीच रामनगर की लड़ाई लड़ी गई तब सिखों ने ब्रिटिशों के अचानक हमले के कोशिश को नाकाम कर दिया लेकिन इसके बाद जब युद्ध हुआ तो सिख हार गए। इसके बाद फिर दूसरा युद्ध भी हुआ। जिसमें सिखों की जीत हुई. ये बहुत बड़ी बात थी. सिख बहुत बहादुरी से लड़े थे। लेकिन जिस जगह ये रामनगर की लड़ाई लड़ी गई। वो अब रसूलपुर है. भगवान राम के नाम पर बने इस शहर के असल नाम को स्थानीय लोग भले भूल चुके हों लेकिन सिखों के इतिहास में ये लड़ाई और जगह हमेशा हमेशा के लिए रामनगर के तौर पर अमिट है।

 

पाकिस्तान में नाम बदलने की परंपरा विभाजन के तुरंत बाद ही शुरू हो गई थी। विभाजन के बाद नए बने देश ने ख़ुद को भारतीय विरासत से दूर करने की कोशिश की. तब पाकिस्तान ने एक ऐसे मुस्लिम देश की पहचान बनाने की कोशिश की, जो पड़ोसी दक्षिण एशियाई देशों की बजाय अरब देशों के ज़्यादा क़रीब हो। वैसे कराची में अब भी रामचंद्र टेंपल रोड बरकरार है। ये रोड कराची के राम मंदिर की ओर जाती है, लिहाजा इसका नाम रामचंद्र टेंपल रोड है। इसी तरह वहां आत्माराम प्रीतमदास रोड, बलूचिस्तान में हिंगलाज और ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में हरिपुर प्रांत के नाम बने हुए हैं। लाहौर में ऐसी कई जगहें हैं जिनके हिंदू या सिख नाम थे, जो बदले गए. जैसे लाहौर का एक इलाका था कृष्ण नगर। इसका नाम बदलकर इस्लामपुर रख दिया गया। जैन मंदिर चौक को बाबरी मस्जिद चौक कर दिया गया. बलूचिस्तान में ”हिंदू बाग” नाम को अब ”मुस्लिम बाग” कहा जाता है।

 

 इसी तरह लाहौर से बिल्कुल सटा हुआ भी एक कस्बा है, जिसका नाम नक्शे पर अब भी रामपुर ही है। ये बिल्कुल शहर के बगल में है. अगर आप कराची से ट्रेन के जरिए लाहौर की तरफ़ जा रहे हैं, तो टंडो आदम रेलवे स्टेशन के बाद शाहदादपुर स्टेशन आता है। इससे लगभग 18 किलोमीटर दूर, ब्राह्मणाबाद या मंसूरा के पुराने शहर के निशान मौजूद हैं। यहां एक स्तूप भी है, जिसे कुछ इतिहासकार बौद्ध स्तूप या पूजा स्थल कहते हैं। बांग्लादेश में चिटगांव में एक तहसील रामनगर के नाम से है  और जेसोर सदर में एक कस्बा रामनगर यूनियन के तौर पर जाना जाता है। वैसे बांग्लादेश के चिटागांग डिविजन में एक शहर ब्राह्णणबारिया अब भी मौजूद है तो लक्ष्मीपुर जिला भी। इसी तरह ढाका डिविजन में गोपालगंज और नारायणगंज जैसे जिले अब भी हैं। नेपाल में भी जरूर अलग अलग जिलों में रामनगर नाम से 09 जगहें हैं, जो गांव या कस्बे के तौर पर हैं औऱ सभी तकरीबन नगरपालिका क्षेत्र हैं। 
 


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Content Writer

Tanuja

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