UN महासभा में अफगानिस्तान पर प्रस्ताव से भारत रहा दूर, कहा-सिर्फ सजा की नीति से नहीं चलेगा काम

punjabkesari.in Tuesday, Jul 08, 2025 - 07:54 PM (IST)

International Desk: भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘अफगानिस्तान की स्थिति’ पर लाए गए प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया। भारत ने अपने रुख का बचाव करते हुए कहा कि सिर्फ "दंडात्मक कदमों" पर आधारित दृष्टिकोण से अफगान जनता की अपेक्षाओं की पूर्ति संभव नहीं। 

 

भारत ने क्यों नहीं डाला वोट?
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने बताया कि “किसी भी युद्ध के बाद के हालात में सकारात्मक व्यवहार को प्रोत्साहित और हानिकारक गतिविधियों को हतोत्साहित करने के लिए संतुलित दृष्टिकोण जरूरी है।” भारत का मानना है कि केवल एकतरफा और दंडात्मक नीति से बात नहीं बनेगी। भारत ने यह भी याद दिलाया कि **दूसरे युद्धोत्तर परिप्रेक्ष्यों में अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ज्यादा संतुलन दिखाया है। जर्मनी ने  प्रस्ताव पेश किया जो 116 वोटों से पारित हुआ,  विरोध में 2 देश  और मतदान से 12 देश  दूर रहे जिनमें भारत भी  शामिल रहा।
 

 भारत की अफगानिस्तान को लेकर प्राथमिकताएं 

  •  50,000 मीट्रिक टन गेहूं  मानवीय सहायता 
  •  330 टन दवाइयाँ और टीके
  •  40,000 लीटर मैलाथियान (कीटनाशक)
  •  58.6 टन अन्य आवश्यक सामग्री 


क्षमता निर्माण और शिक्षा 

  •  अफगान छात्रों को भारत, ईरान, तुर्किये, कजाखस्तान आदि देशों में पढ़ाई के अवसर
  •  संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य और खेल के क्षेत्रों में सहयोग
  •  अफगानिस्तान के सभी प्रांतों में 500+ विकास साझेदारी परियोजनाएं जारी
     

भारत ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना चेतावनी दी कि "अलकायदा, आईएस, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों और उनके क्षेत्रीय प्रायोजकों को अफगान क्षेत्र का उपयोग नहीं करने देना चाहिए।"राजदूत हरीश ने कहा कि भारत अफगान जनता के साथ ऐतिहासिक और मजबूत संबंध  रखता है, और उनकी मानवीय एवं विकासात्मक जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।


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Content Writer

Tanuja

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