आपातकाल में तेल और गैस पर सरकार का होगा पूरा हक, जानिए ड्राफ्ट नियमों में क्या है खास

punjabkesari.in Sunday, May 11, 2025 - 03:37 PM (IST)

नेशनल डेस्क: देश की ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए सरकार अब एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। राष्ट्रीय आपातकाल यानी नेशनल इमरजेंसी की स्थिति में देश में उत्पादित सभी कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस पर केंद्र सरकार का "पूर्व-अधिकार" होगा। इसका मतलब है कि आपात स्थिति में सरकार इन संसाधनों को सबसे पहले अपने नियंत्रण में ले सकेगी। यह प्रावधान नए ड्राफ्ट नियमों में प्रस्तावित किया गया है, जो इस वर्ष की शुरुआत में संसद में पारित ऑयलफील्ड्स (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) अमेंडमेंट बिल का हिस्सा है।

क्या होता है पूर्व-अधिकार (Pre-emption Right)?
पूर्व-अधिकार का मतलब होता है कि किसी संसाधन पर किसी विशेष पक्ष को पहले दावा करने का कानूनी अधिकार होता है। अक्सर सरकार को यह अधिकार आपातकाल या राष्ट्रीय संकट के समय दिए जाते हैं। तेल और गैस जैसे रणनीतिक संसाधनों पर यह अधिकार सरकार को किसी भी संभावित खतरे या जरूरत के समय तत्काल उपयोग की अनुमति देता है।

आपातकाल में क्या करेगी सरकार?
यदि देश में युद्ध, बाहरी हमला या कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा जैसी स्थिति आती है, तो सरकार किसी भी प्राइवेट या विदेशी कंपनी द्वारा उत्पादित कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस को अपने नियंत्रण में ले सकेगी।
सरकार इस संसाधन के लिए प्रोड्यूसर्स को उस समय के फेयर मार्केट प्राइस यानी उचित बाजार मूल्य का भुगतान करेगी। इससे ना सिर्फ सरकार की आपूर्ति सुरक्षित रहेगी बल्कि उद्योग को भी आर्थिक नुकसान नहीं होगा।

ड्राफ्ट नियमों में क्या कहा गया है?
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा जारी ड्राफ्ट के अनुसार:

  • सरकार को किसी भी लीज पर दिए गए क्षेत्र से उत्पादित कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, और उससे बने पेट्रोलियम उत्पादों पर प्राथमिकता से खरीदने का अधिकार होगा।

  • यह अधिकार सिर्फ आपातकाल की स्थिति में लागू होगा।

  • अगर तेल या गैस का निर्यात या भारत के भीतर रिफाइनिंग से पहले बिक्री की अनुमति दी गई है, तब भी सरकार उसे अपने नियंत्रण में ले सकती है।

  • ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि इस अधिकार के बदले में भुगतान बाजार दर पर ही किया जाएगा।

किन परिस्थितियों में लागू होगा यह नियम?
हालांकि ड्राफ्ट में नेशनल इमरजेंसी की स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है, लेकिन उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि निम्नलिखित परिस्थितियां इसमें शामिल हो सकती हैं:

  • युद्ध या युद्ध जैसे हालात

  • प्राकृतिक आपदाएं जैसे भूकंप, बाढ़, तूफान

  • महामारी जैसी गंभीर स्वास्थ्य आपात स्थिति

  • आतंकवादी हमले या बाहरी खतरा

किन-किन घटनाओं पर कंपनियों को मिलेगी छूट?
ड्राफ्ट नियमों में यह भी कहा गया है कि अगर कोई अप्रत्याशित घटना होती है, तो कंपनियों को कुछ दायित्वों से छूट दी जा सकती है। इनमें शामिल हैं:

  • प्राकृतिक आपदाएं (एक्ट ऑफ गॉड)

  • युद्ध, विद्रोह या दंगा

  • महामारी या महामारी जैसा संकट

  • बिजली गिरना, आग लगना या विस्फोट

इन सभी स्थितियों को फोर्स मेज्योर यानी ‘अप्रत्याशित परिस्थिति’ माना जाएगा, और ऐसी स्थिति में पट्टेदार को दंड से राहत मिल सकती है।

क्या बदलेगा नया कानून?
इस साल संसद में पारित ऑयलफील्ड्स (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) अमेंडमेंट बिल पुराने 1948 के कानून की जगह लेगा। इसका उद्देश्य:

  • देश में तेल और गैस का घरेलू उत्पादन बढ़ाना

  • विदेशी और घरेलू निवेश को आकर्षित करना

  • भारत के ऊर्जा ट्रांजिशन लक्ष्य को आगे बढ़ाना


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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