Gold New Rule: सोना खरीदने से पहले जरूर जान लें ये नया नियम, सरकार ने किया बड़ा बदलाव
punjabkesari.in Monday, Jul 21, 2025 - 10:37 AM (IST)

नेशनल डेस्क: भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए अब 9 कैरेट सोने को भी अनिवार्य हॉलमार्किंग के दायरे में शामिल कर लिया है। अब तक केवल 14 कैरेट या उससे अधिक शुद्धता वाले सोने के गहनों पर ही हॉलमार्क लगाया जाता था। लेकिन अब 375 PPT यानी 9K सोने से बने गहनों पर भी हॉलमार्क देना अनिवार्य कर दिया गया है। यह नया नियम जुलाई 2025 से लागू हो गया है।
क्या होता है हॉलमार्क और क्यों जरूरी है ये?
हॉलमार्क एक सरकारी मुहर होती है जो यह तय करती है कि जिस गहने को आप खरीद रहे हैं उसमें सोने की शुद्धता कितनी है। BIS हॉलमार्क ही एकमात्र ऐसा मानक है जिसे भारत सरकार ने स्वीकृति दी है और जो ग्राहकों को गारंटी देता है कि उन्हें असली और शुद्ध सोना मिल रहा है।
अब तक किन कैरेट पर मिलती थी हॉलमार्किंग?
इससे पहले केवल 24K, 23K, 22K, 20K, 18K और 14K सोने के गहनों पर ही हॉलमार्किंग होती थी। 9 कैरेट सोना जो अब तक इस सूची से बाहर था, अब उसे भी अनिवार्य हॉलमार्किंग की कैटेगरी में जोड़ दिया गया है।
ग्राहकों को क्या होगा फायदा?
इस बदलाव से सबसे बड़ा फायदा आम ग्राहकों को होगा।
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कम कीमत में गहने खरीदना होगा आसान
अब 9 कैरेट के गहने हॉलमार्क सहित मिल सकेंगे जिससे शुद्धता की चिंता खत्म होगी। -
महंगे सोने का विकल्प मिलेगा
जब सोने की कीमतें बहुत ऊंची होती हैं तब 9 कैरेट के गहने खरीदना अधिक किफायती होगा। -
डिजाइन और विकल्प बढ़ेंगे
9 कैरेट सोने में नए डिजाइन और आधुनिक स्टाइल के गहने आसानी से बनाए जा सकते हैं जिससे युवाओं को आकर्षक विकल्प मिलेंगे।
ज्वैलर्स के लिए क्या है नियम?
ऑल इंडिया जेम एंड ज्वैलरी डोमेस्टिक काउंसिल ने कहा है कि अब सभी ज्वैलर्स और हॉलमार्किंग सेंटरों को BIS के इस नए नियम का पालन करना होगा। 9 कैरेट सोने की हॉलमार्किंग अब वैकल्पिक नहीं बल्कि अनिवार्य होगी।
क्या-क्या शामिल नहीं हैं इस नियम में?
हालांकि सोने की कुछ वस्तुएं इस नियम के दायरे से बाहर रखी गई हैं:
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सोने की घड़ियों और पेन पर यह नियम लागू नहीं होगा।
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सोने के सिक्के जो 24 कैरेट से बने हों और जिन्हें केवल सरकारी टकसाल या रिफाइनरी में तैयार किया गया हो, उन पर भी विशेष नियम लागू होंगे।
निर्यात और कारोबार को भी मिलेगा फायदा
सेनको गोल्ड लिमिटेड के एमडी और सीईओ सुवंकर सेन ने बताया कि यह कदम निर्यात के नजरिए से भी अहम साबित हो सकता है। 9 कैरेट गहनों में इनोवेशन करना आसान होगा और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी मांग बढ़ेगी।
क्यों है यह फैसला अहम?
भारत में हर वर्ग के लोग सोने के गहने खरीदते हैं। लेकिन जैसे-जैसे सोने की कीमतें बढ़ती हैं, वैसे-वैसे सस्ता विकल्प ढूंढना जरूरी हो जाता है। ऐसे में 9 कैरेट सोना एक बेहतर और सुरक्षित विकल्प बन सकता है क्योंकि अब उस पर भी शुद्धता की मुहर लगना जरूरी हो गया है।
अब हॉलमार्किंग से जुड़े नियम और भी कड़े हुए
BIS एक्ट 2016 के तहत हॉलमार्किंग सिर्फ एक लेबल नहीं बल्कि कानूनी प्रमाण है कि किसी गहने या धातु में कितनी मात्रा में कीमती धातु मौजूद है। इसके उल्लंघन पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
ग्राहकों के लिए जरूरी सुझाव
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गहना खरीदते समय हॉलमार्क का चिन्ह जरूर देखें
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9K के गहनों पर भी अब हॉलमार्क मांगें
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बिल और प्रमाण पत्र जरूर लें
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केवल पंजीकृत ज्वैलर्स से ही खरीदारी करें
हॉलमार्किंग में क्या होता है शामिल?
BIS हॉलमार्क में आमतौर पर ये तीन चीजें अंकित होती हैं:
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BIS का लोगो
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सोने की शुद्धता (जैसे 375 = 9K)
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ज्वैलर की पहचान