Health Alert: सस्ता तेल, महंगा इलाज, ट्रांस फैट से बढ़ रहा दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा; जानें कैसे करें बचाव

punjabkesari.in Tuesday, Jul 22, 2025 - 12:41 PM (IST)

नेशनल डेस्क: आजकल स्वस्थ रहने के लिए लोग अपनी डाइट पर खास ध्यान दे रहे हैं। फैट को लेकर भी जागरूकता बढ़ी है क्योंकि फैट का सेवन हमारे शरीर पर बड़ा असर डालता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सभी फैट एक जैसे नहीं होते? ट्रांस फैट एक ऐसा अनहेल्दी फैट है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदायक माना जाता है। ट्रांस फैट खासतौर पर इंडस्ट्रियल प्रोसेसिंग के जरिए बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए वेजिटेबल ऑयल में हाइड्रोजन मिलाकर ठोस रूप दिया जाता है जिससे तेल की शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है और खाने की चीजें लंबे समय तक खराब नहीं होतीं। यह सस्ता होता है इसलिए कई खाद्य कंपनियां इसका उपयोग करती हैं।

ट्रांस फैट के प्रकार

ट्रांस फैट दो प्रकार के होते हैं। पहला है नेचुरल ट्रांस फैट, जो प्राकृतिक रूप से जानवरों की आंत में बनता है और नॉनवेज तथा डेयरी प्रोडक्ट्स में पाया जाता है। दूसरा है इंडस्ट्रियल ट्रांस फैट, जिसे वेजिटेबल ऑयल में हाइड्रोजन मिलाकर बनाया जाता है। यह मुख्य रूप से बेकरी प्रोडक्ट्स, तली हुई चीजें, मार्जरीन, शॉर्टनिंग और अन्य प्रोसेस्ड फूड में पाया जाता है।

ट्रांस फैट कहां-कहां मिलता है?

ट्रांस फैट कई आम खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, जिनका हम रोजाना सेवन करते हैं। इनमें बेकरी प्रोडक्ट्स जैसे बिस्किट, केक, पाई और कुकीज शामिल हैं। इसके अलावा तली हुई चीजें जैसे फ्रेंच फ्राइज, भटूरा, पकौड़ा, पूरी और डोनट्स में भी ट्रांस फैट मौजूद होता है। शॉर्टनिंग, मार्जरीन और वेजिटेबल फैट स्प्रेड भी ट्रांस फैट के स्रोत हैं। प्रोसेस्ड स्नैक्स और नमकीन, माइक्रोवेव पॉपकॉर्न, फ्रोजन पिज्जा, फ्राइड चिकन और नॉनडेयरी कॉफी क्रीमर में भी यह फैट पाया जाता है। खास बात यह है कि जब तेल को बार-बार गर्म किया जाता है तो उसमें ट्रांस फैट की मात्रा और बढ़ जाती है, जिससे स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव और भी अधिक हानिकारक हो जाता है।

ट्रांस फैट के नुकसान: सस्ता तेल, महंगा इलाज

डॉक्टरों के अनुसार, ट्रांस फैट हमारे दिल और दिमाग के लिए बहुत खतरनाक होता है। इसका अधिक सेवन कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। सबसे पहले यह मोटापे को बढ़ाता है, खासकर पेट की चर्बी जमा करता है जिससे शरीर का वजन बढ़ता है। दिल की बीमारी का खतरा भी ट्रांस फैट के कारण बढ़ जाता है क्योंकि यह 'खराब' कोलेस्ट्रॉल (LDL) को बढ़ाता है और 'अच्छा' कोलेस्ट्रॉल (HDL) को कम करता है, जिससे दिल का दौरा पड़ने का जोखिम बढ़ जाता है। साथ ही, यह धमनियों में थक्के जमने और रक्त प्रवाह में रुकावट पैदा कर स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ाता है। इसके अलावा, ट्रांस फैट के अधिक सेवन से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा भी हो सकता है। कुछ शोधों में यह भी पाया गया है कि ट्रांस फैट प्रोस्टेट और कोलोरेक्टल कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है, हालांकि इस पर और अध्ययन जरूरी है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी ट्रांस फैट खतरनाक हो सकता है क्योंकि यह बच्चे के कम वजन से जुड़ा हो सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि ट्रांस फैट शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है जिससे धमनियां सख्त और ब्लॉकेज हो जाती हैं, जबकि एचडीएल कोलेस्ट्रॉल कम करता है जो खराब कोलेस्ट्रॉल को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। इसलिए ट्रांस फैट का सेवन सेहत के लिए बेहद नुकसानदेह साबित होता है।

भारत और विश्व में ट्रांस फैट की स्थिति

भारत में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि पिछले कुछ वर्षों में मोटापे के मामले काफी बढ़े हैं। इसे नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने FSSAI के माध्यम से ट्रांस फैट की सीमा घटाई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी ट्रांस फैट और सेचुरेटेड फैट के सेवन पर सख्त नियम बनाए हैं। WHO का कहना है कि ट्रांस फैट का सेवन कुल कैलोरी का 1 प्रतिशत से कम होना चाहिए। भारत में इस दिशा में कदम उठाए गए हैं जिससे दिल की बीमारियों और मौतों को कम किया जा सके। दूसरी तरफ अमेरिका में 2015 से ट्रांस फैट वाले तेलों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और पैकेजिंग पर ट्रांस फैट की जानकारी देना अनिवार्य कर दिया गया है।

ट्रांस फैट से कैसे बचें?

ट्रांस फैट के खतरों को ध्यान में रखते हुए इसका सेवन कम करना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप कुछ सरल और प्रभावी उपाय अपना सकते हैं। सबसे पहले तली हुई और प्रोसेस्ड फूड से बचें, खासकर वे चीजें जो बार-बार गर्म तेल में तली जाती हैं क्योंकि इनमें ट्रांस फैट की मात्रा ज्यादा होती है। पैकेज्ड स्नैक्स, बिस्किट, केक जैसी चीजों की पैकेजिंग पर ट्रांस फैट की जानकारी ध्यान से पढ़ें और कोशिश करें कि ट्रांस फैट फ्री विकल्प ही चुनें। खाना पकाने के लिए हमेशा शुद्ध और हेल्दी तेलों जैसे सरसों का तेल, तिल का तेल या ऑलिव ऑयल का उपयोग करें, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। घर का बना ताजा खाना ज्यादा खाएं और बाहर से फास्ट फूड का सेवन कम करें। तला-भुना या फ्राइड खाने की बजाय स्टीम्ड या ग्रिल्ड विकल्प चुनना भी बेहतर होता है। इसके अलावा अगर किसी फूड प्रोडक्ट की सामग्री में ‘partially hydrogenated oil’ लिखा हो तो उसे खरीदने से बचें क्योंकि यह ट्रांस फैट का मुख्य स्रोत होता है। इन सरल कदमों को अपनाकर आप ट्रांस फैट से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को काफी हद तक कम कर सकते हैं।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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