होटल में रात गुजारी, पति बोला धोखा… पत्नी कोई संपत्ति नही, हाईकोर्ट का फैसला, द्रौपदी की कहानी से हिला देश!

punjabkesari.in Saturday, Apr 19, 2025 - 02:30 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो समाज में महिलाओं को लेकर चली आ रही रूढ़िवादी सोच को खुली चुनौती देता है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि पत्नी पति की संपत्ति नहीं होती है, बल्कि उसे अपनी मर्जी से जीवन जीने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ पति द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया जिसमें पत्नी पर व्यभिचार यानी अवैध संबंधों का आरोप लगाया गया था।

क्या था पूरा मामला?

यह याचिका एक ऐसे पति की थी जिसने कोर्ट में आरोप लगाया कि उसकी पत्नी का किसी अन्य पुरुष से प्रेम संबंध है। शिकायतकर्ता के अनुसार, उसकी पत्नी अपने प्रेमी के साथ दूसरे शहर गई, जहां दोनों एक होटल के कमरे में पूरी रात रुके। पति का दावा था कि इस दौरान दोनों ने यौन संबंध भी बनाए और होटल में खुद को पति-पत्नी बताया।

कोर्ट ने पति की सोच को बताया गलत

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने साफ कहा कि केवल होटल में एक साथ रुकना यह साबित नहीं करता कि दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने। जज ने कहा कि किसी भी महिला के चरित्र पर केवल संदेह के आधार पर सवाल नहीं उठाया जा सकता।

महाभारत की द्रौपदी से दी मिसाल

अपने फैसले में कोर्ट ने महाभारत की द्रौपदी का उदाहरण देकर बताया कि समाज में महिलाओं को संपत्ति समझने की परंपरा बहुत पुरानी रही है। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा: “पांडवों ने द्रौपदी को अपनी संपत्ति समझा और उसे जुए में दांव पर लगा दिया। उससे उसकी इच्छा नहीं पूछी गई। इसी अन्याय के चलते महाभारत का विनाशकारी युद्ध हुआ।” यह उदाहरण देकर उन्होंने समझाया कि महिलाओं को वस्तु की तरह देखना समाज के लिए घातक साबित हो सकता है।

आईपीसी की धारा 497 और सुप्रीम कोर्ट का फैसला

जज ने 2018 में आए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक जोसफ शाइन बनाम भारत सरकार फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 497 को असंवैधानिक घोषित किया गया था। इस धारा के तहत पहले एक पुरुष को किसी विवाहित महिला से संबंध रखने पर अपराधी माना जाता था, लेकिन अब इसे हटाकर बराबरी की बात कही गई है।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जब कोई कानून असंवैधानिक घोषित कर दिया जाता है तो उसका असर पुराने मामलों पर भी होता है। यानी अब IPC की धारा 497 के तहत किसी को अपराधी नहीं कहा जा सकता।

कोर्ट ने आरोपी को बरी किया

जज नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि केवल एक कमरे में साथ रुकना या खुद को पति-पत्नी बताना इस बात का प्रमाण नहीं है कि दोनों ने यौन संबंध बनाए। इसलिए अदालत ने महिला के कथित प्रेमी को भी मामले से बरी कर दिया और याचिका खारिज कर दी।

 


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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