दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: पत्नी पति की संपत्ति नहीं, अपनी मर्जी से जीने का हक

punjabkesari.in Saturday, Apr 19, 2025 - 02:06 PM (IST)

नेशनल डेस्क. दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि कोई भी औरत अपने पति की जायदाद नहीं होती। उसे अपनी इच्छा से अपनी जिंदगी जीने का पूरा अधिकार है। हाईकोर्ट ने यह बात तब कही जब वह एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें एक पति ने अपनी पत्नी पर किसी दूसरे आदमी के साथ गलत संबंध रखने का आरोप लगाया था। हाईकोर्ट ने पति की इस शिकायत को खारिज कर दिया। शिकायत करने वाले पति का कहना था कि उसकी पत्नी किसी और आदमी के साथ दूसरे शहर गई थी और वहां एक होटल के कमरे में पूरी रात रुकी थी। पति ने यह भी कहा कि इस दौरान दोनों ने शारीरिक संबंध बनाए।

दिल्ली हाईकोर्ट ने पति की सोच को बताया गलत 

इस मामले की सुनवाई कर रहीं जज नीना बंसल कृष्णा ने अपने फैसले में महाभारत की द्रौपदी का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि पांडव द्रौपदी को अपनी चीज मानते थे, इसीलिए युधिष्ठिर उसे जुए में हार गए। द्रौपदी से उसकी राय नहीं पूछी गई थी और उसके साथ जो गलत हुआ, उसी से महाभारत का युद्ध हुआ जिसमें बहुत नुकसान हुआ।

जज ने यह भी कहा कि हमारे समाज में लंबे समय तक औरतों को पति की संपत्ति की तरह देखा जाता रहा है, लेकिन यह सोच बिल्कुल गलत है। उन्होंने याद दिलाया कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में व्यभिचार (किसी और के साथ संबंध बनाना) को अपराध बताने वाली कानून की धारा को हटा दिया था। उस फैसले से समाज को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि औरतों को भी बराबरी का हक मिलना चाहिए।

पति ने कोर्ट में लगाए थे क्या आरोप 

पति ने कोर्ट में कहा था कि उसकी पत्नी और उसका प्रेमी दूसरे शहर गए थे और एक होटल में साथ में रुके थे। उसने यह भी कहा कि होटल में उन्होंने खुद को पति-पत्नी बताया था और उनके बीच शारीरिक संबंध बने थे, जब पति ने अपनी पत्नी से इस बारे में पूछा तो पत्नी ने कहा कि अगर उसे कोई परेशानी है तो वह घर छोड़कर जा सकता है। हालांकि, हाईकोर्ट ने सिर्फ एक कमरे में रुकने के आधार पर यह मानने से इनकार कर दिया कि दोनों के बीच यौन संबंध बने होंगे।

जज नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि सिर्फ होटल में एक कमरा साझा करने से यह साबित नहीं होता कि कुछ गलत हुआ है। सिर्फ इसी बात पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि जब किसी कानून को हटा दिया जाता है, तो उसका असर पहले के और चल रहे सभी मामलों पर भी होता है। इसलिए, व्यभिचार अब कानूनन अपराध नहीं माना जाता और इस आधार पर किसी को भी अपराधी नहीं कहा जा सकता। इसके बाद कोर्ट ने जिस आदमी पर पत्नी का प्रेमी होने का आरोप था, उसे बरी कर दिया और पति की शिकायत को रद्द कर दिया।

महाभारत की कहानी से समझाया

पति की शिकायत पर सुनवाई करते हुए जज नीना बंसल कृष्णा ने महाभारत की द्रौपदी की पूरी कहानी सुनाई। उन्होंने यह भी बताया कि कानून की धारा 497 (जो व्यभिचार को अपराध मानती थी) अब सही नहीं है और इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी बात की। औरत को पति की संपत्ति समझना गलत है और महाभारत में इसके बुरे नतीजे देखने को मिले थे। पांडवों ने जुए में अपनी पत्नी द्रौपदी को दांव पर लगा दिया था, जिससे बहुत बड़ा युद्ध हुआ और बहुत से लोग मारे गए।

जस्टिस कृष्णा ने आगे कहा कि इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं, जब औरतों को अपनी संपत्ति समझा गया, जिससे उन्हें बहुत तकलीफें उठानी पड़ीं। हालांकि, जो लोग औरतों को कम समझते थे, उन्हें यह बात तब समझ में आई जब सुप्रीम कोर्ट ने कानून की धारा 497 को हटा दिया। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले को खारिज कर दिया।


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Content Editor

Parminder Kaur

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