अब ड्राइविंग लाइसेंस को आधार से करना होगा लिंक, सरकार कर रही है तैयारी

punjabkesari.in Wednesday, Feb 07, 2018 - 10:40 PM (IST)

नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय को बुधवार को सूचित किया गया कि फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस की समस्या दूर करने के लिए केन्द्र सरकार ड्राइविंग लाइसेन्सों को आधार नंबर से जोडऩे की प्रक्रिया पर काम रही है और सभी राज्यों को इसके दायरे में लाते हुए एक नया साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है।

न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ को उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के एस राधाकृष्णन की अध्यक्षता में शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त सड़क सुरक्षा समिति ने इसकी जानकारी दी। इस समिति द्वारा दी गई यह जानकारी महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि इस समय प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ आधार योजना और इससे संबंधित कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही है।
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समिति ने शीर्ष अदालत में दाखिल अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसने पिछले साल 28 नवंबर को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के संयुक्त सचिव के साथ फर्जी लाइसेंस प्राप्त करने की समस्या और इसे समाप्त करने सहित अनेक बिन्दुओं पर विचार विमर्श किया था।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘फर्जी लाइसेंस के बारे में संयुक्त सचिव ने सूचित किया कि एनआईसी सारथी-4 तैयार कर रहा है जिसके अंतर्गत सभी लाइसेन्स आधार से जोड़े जाएंगे। यह साफ्टवेयर सही समय के आधार पर सारे राज्यों को अपने दायरे में लेगा और फिर किसी के लिए भी डुप्लीकेट या फर्जी लाइसेन्स देश के किसी भी हिस्से से लेना संभव नहीं होगा।

समिति का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने पीठ से कहा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और दूसरे प्राधिकारियों के साथ 22-23 फरवरी को समिति की एक बैठक हो रही है जिसमें शीर्ष अदालत के निर्देशों पर अमल के बारे में विचार किया जाएगा। मंत्रालय की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पिंकी आनंद ने पीठ से कहा कि 2016 की तुलना में 2017 में प्राणघातक सड़क दुर्घटनाओं में करीब तीन प्रतिशत की कमी आई है। इस पर पीठ ने कहा कि यह जानकर प्रसन्नता हुई कि सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले और घायलों की संख्या में कमी आई है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े मांगे हैं।

समिति ने न्यायालय से कहा कि उसने पिछले साल 24 नवंबर को अपने पत्र में सभी राज्यों से सड़क सुरक्षा कोष बनाने के लिए कहा था जो समाप्त नहीं होगा और इसमें यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालो से मिलने जुर्माने की राशि का एक हिस्सा भेजा जाएगा। न्यायालय ने इस मामले को 23 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि उसके पहले के निर्देशों पर समिति को अमल सुनिश्चित करना चाहिए। समिति ने देश में सड़क दुर्घटनाओं के मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर ये निर्देश दिए थे।  


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