जज्बे को सलाम... बिना हाथों के उड़ाती है प्लेन, सरकार ने भी दिया है लाइसेंस, जानिए कैसे बनी सब की इंस्पिरेशन
punjabkesari.in Saturday, Apr 06, 2024 - 04:11 PM (IST)
नेशनल डेस्क: अगर हौसला हो तो इंसान क्या कुछ नहीं कर सकता। ऐसे ही बुलंद हौसले की कहानी आज हम आपको बताने जा रहे है। ये कहानी है जेसिका कॉक्स की जिनका जन्म 2 फरवरी 1983 में अमेरिका के एरिजोना में हुआ था। जब वे पैदा हुई थीं, तो उनका शरीर पूरी तरह स्वस्थ था, लेकिन हाथ नहीं थे। हालांकि शरीर की यह अवस्था जन्म से पहले हुए किसी भी टेस्ट में पता नहीं चल पाई थी। उसने पियानो बजाना, कार चलाना, प्रमाणित स्कूबा गोताखोर बनना और ताइक्वांडो में थर्ड-डिग्री ब्लैक बेल्ट हासिल करना, सब कुछ करने के लिए अपने पैरों का उपयोग करना सीखा।
हाथ नहीं होने के कारण उन्होंने 14 साल की उम्र तक प्रोस्थेटिक, यानी कृत्रिम अंगों का इस्तेमाल किया लेकिन आठवीं कक्षा में पहुंचने के बाद वे बिना प्रोस्थेटिक्स के ही स्कूल जाने लगीं। इसके बाद उन्होंने तय किया कि वे जैसी हैं वैसे ही जीवन में आगे बढ़ेंगी। लेकिन यह फैसला उनके लिए आसान नहीं होने वाला था। लोगों के सवाल उनकी आंखों में जेसिका को साफ दिखते थे। बिना कृत्रिम अंगों को इस्तेमाल किए वे खुद को बहुत हल्का महसूस करती थीं। बचपन में भी हाथ नहीं होने के कारण उन्हें बच्चों के साथ खेलने नहीं दिया जाता था। जेसिका हमेशा से अपने सपनों की दुनिया में रहती थीं, वे सुपर वुमन बनकर सबकी मदद करना चाहती थीं। इसके अलावा द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान की घटना के केंद्र में रखकर रूसी पत्रकार बोरिस पोलेवई ने एक किताब लिखी थी- "ए स्टोरी अबाउट ए रीयल मैन"। इस किताब में बताया गया है कि कैसे एक पायलट के दोनों पैर कट जाने के बाद भी उसने सेना के लिए लड़ाकू विमान उड़ाया।
जेसिका के पिता ने कभी अपनी बेटी की काबिलियत और हिम्मत पर भरोसा टूटने नहीं दिया था। अपने माता-पिता के इस विश्वास को देखते हुए जेसिका का आत्मविश्वास और बढ़ने लगा था। इसके अलावा भी जब उन्होंने बचपन से ही डांस सीखना शुरू किया था तो जब उनका पहला परफॉर्मेंस हुआ, तो उस दिन उन्होंने अपनी डांस टीचर से कहा कि वे उन्हें सबसे पीछे खड़ा कर दें क्योंकि उन्हें लग रहा था कि लोग क्या सोचेंगे।
लेकिन टीचर ने कहा कि पीछे कि कोई लाइन नहीं बन रही है इसलिए उन्हें आगे खड़े होकर ही बाकी बच्चों के साथ परफॉर्म करना होगा। जैसे ही परफॉर्मेंस समाप्त हुई ऑडिएंस ने जेसिका के हौसले और हिम्मत को सराहा और उनके लिए तालियां भी बजाईं। उस समय वे केवल 14 साल की थीं। इसके बाद जेसिका के माता-पिता की मुलाकात उनके ताइक्वांडो टीचर से हुई। जब उनके माता-पिता ने ताइक्वांडो इंस्ट्रक्टर को जेसिका के बारे में बताया, तो उन्होंने कहा कि वे बहुत ही खास बच्ची हैं और वे और बेहतर कर सकती हैं बशर्ते वे अपने आप को किसी से कम ना समझें।
14 साल की उम्र में ही जेसिका ने अंतरराष्ट्रीय ताइक्वांडो फेडरेशन में अपनी पहली ब्लैक बेल्ट भी जीती थी। एक दिन नॉन-प्रॉफिट ग्रुप के एक सदस्य ने जेसिका से पूछा कि क्या वे हवाई जहाज उड़ाना चाहेंगी? तो उनका जवाब था ‘हां’। इसके बाद जेसिका ने तीन साल तक खूब मेहनत की और आखिरकार पायलट का लाइसेंस पा लिया। आम तौर पर पायलट की ट्रेनिंग छह महीने की होती है लेकिन जेसिका को तीन साल तक ट्रेनिंग की जरूरत थी। अपनी दिन-रात की मेहनत से जेसिका ने 80 घंटे की पायलट ट्रेनिंग को तीन अलग-अलग हिस्सों में पूरा किया। जल्द ही उन्हें पायलट लाइसेंस मिल गया।
जेसिका ताइक्वांडो में पहली आर्मलेस ब्लैकबेल्ट हैं। साथ ही वे जिमनास्टिक्स, डांसिंग और स्विमिंग भी करती हैं। उन्होंने बचपन से ही सेल्फ डिफेंस के लिए और अपना आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए मार्शल आर्ट्स सीखना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपनी पहली ब्लैक बेल्ट तब जीती थी जब वे 7वीं कक्षा में थीं। उन्होंने युनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना से साइकोलॉजी में ग्रेजुएशन किया और मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं। समंदर की गहराइयों में डुबकी लगाने वाली बेहतरीन स्कूबा डाइवर भी हैं। वे आम लोगों की तरह ही कार चलाती हैं और पियानो भी बजाती हैं। वे अपने कॉन्टैक्ट लेंस खुद ही लगाती और हटाती हैं। इन सब कामों को करने के लिए वे अपने पैरों का इस्तेमाल करती हैं।
वे बिना हाथों के क्यों और कैसे पैदा हुई थीं, डॉक्टर कभी समझ नहीं पाए। लेकिन जेसिका ने वह कर दिखाया जो आम इंसान के लिए आसान नहीं है। उन्होंने अपनी जिंदगी की जंग पैरों के सहारे लड़ी और जीती भी। वे कहती हैं कि आप जैसा सोचते हैं उसी का प्रभाव आपकी जिंदगी पर पड़ता है, ना कि किसी शारीरिक कमी का। आज जेसिका का नाम गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दुनिया की पहली आर्मलेस पायलट के रूप में दर्ज है।