बांग्लादेश की राह पर बिहार? सीमांचल क्षेत्रों में 70 फीसदी तक पहुंची मुस्लिम आबादी, हिंदू आबादी में गिरावट
punjabkesari.in Tuesday, Jan 07, 2025 - 07:26 PM (IST)
नई दिल्ली: बिहार के सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति और अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण हिंदू आबादी में तेजी से गिरावट देखी जा रही है। खासकर किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया जिलों में मुस्लिम जनसंख्या के बढ़ने के साथ-साथ इन क्षेत्रों की जनसांख्यिकी में महत्वपूर्ण बदलाव आया है।
यह मामला लालू यादव की पार्टी आरजेडी और उनके सहयोगी दलों की बढ़ती मुस्लिम तुष्टिकरण नीति से जुड़ा हुआ है, जो बिहार में एक गंभीर संकट का रूप ले सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1951 से 2011 के बीच बिहार के सीमांचल क्षेत्रों में मुसलमानों की आबादी 16% बढ़ी, और अब यह संख्या 40% से 70% के बीच पहुंच चुकी है। खासतौर पर किशनगंज में मुसलमानों की जनसंख्या सबसे ज्यादा है।
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बंटवारे के समय बिहार मुसलमानों की भूमिका
इतिहासकारों के अनुसार, बिहार के मुसलमानों ने विभाजन के समय पाकिस्तान बनाने में योगदान दिया था। पाकिस्तान के सिंध प्रांतीय विधानसभा के सदस्य सैयद एजाज उल हक ने हाल ही में इस बात की पुष्टि की कि बिहार के मुसलमानों ने गर्व से भारत के विभाजन में हिस्सा लिया था और पाकिस्तान के निर्माण में योगदान दिया था।
मुसलमानों की खुशामद के लिए RJD का आक्रामक रवैया
राजद के नेता मुस्लिम समुदाय को खुश करने के लिए अक्सर हिंदू धार्मिक आयोजन और मान्यताओं का विरोध करते हैं। हाल ही में, रबड़ी देवी के घर के बाहर एक पोस्टर लगाया गया था, जिसमें 'मंदिर का मतलब मानसिक गुलामी' लिखा था। यह पोस्टर राजद के विधायक फतेह बहादुर सिंह द्वारा लगाया गया था, जो हिंदू देवी-देवताओं पर विवादित बयान देने के लिए कुख्यात रहे हैं।
हिंदू धार्मिक आयोजनों पर हमले
बिहार में, खासकर दरभंगा और सीमांचल क्षेत्र में, जब राजद का शासन होता है, तो हिंदू धार्मिक आयोजनों पर हमले बढ़ जाते हैं। हाल ही में दरभंगा में सरस्वती पूजा के दौरान प्रतिमा विसर्जन के जुलूस पर मुस्लिम समुदाय ने हमला किया था। ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, खासकर जब राज्य में राजद की सत्ता होती है।
हिंदुओं के अधिकारों की अनदेखी
आरजेडी और उसके सहयोगियों ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का विरोध किया था, जबकि इस कानून का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देना था। आरजेडी और इंडिया ब्लॉक की पार्टियों ने इस कानून के खिलाफ मुसलमानों को भड़काया और इस मुद्दे पर कोई ठोस समाधान नहीं दिया।
संविधान बदलने की धमकी
तेजस्वी यादव (जो बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम रह चुके हैं) ने हाल ही में यह कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो उनकी सरकार मुसलमानों को दलित का दर्जा देने के लिए संविधान में बदलाव करने पर विचार करेगी। यह बयान उस वक्त आया जब बिहार में सीमांचल में मुसलमानों को आरक्षण देने की बात हो रही है।