Public Holiday: 7 अक्टूबर को सरकारी अवकाश घोषित...बंद रहेंगे सभी स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तर और निगम कार्यालय

punjabkesari.in Monday, Oct 06, 2025 - 02:04 PM (IST)

नेशनल डेस्क:  हर वर्ष की तरह इस बार भी आश्विन मास की पूर्णिमा को पूरा देश महर्षि वाल्मीकि की स्मृति में एकजुट होगा। यह महज एक पर्व नहीं, बल्कि उन मूल्यों और सिद्धांतों का उत्सव है जिन्हें आदिकवि वाल्मीकि ने अपने जीवन और काव्य के माध्यम से समाज को दिया। मानवता, धर्म, और नैतिकता के प्रतीक इस महान ऋषि की जयंती इस बार 7 अक्टूबर 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी।

आध्यात्मिक उत्सव और सांस्कृतिक रंग में रंगेगा भारत
इस दिन पूरे देश में भक्ति और आस्था का माहौल रहेगा। मंदिरों, समुदायिक केंद्रों और सांस्कृतिक स्थलों पर विशेष आयोजन होंगे। रामायण के रचयिता को याद करते हुए लोग उनकी शिक्षाओं और जीवन-दर्शन को अपनाने का संकल्प लेंगे। उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों ने इस दिन को सरकारी अवकाश घोषित कर दिया है, जिससे यह पर्व और भी व्यापक रूप से मनाया जा सके।

उत्तर प्रदेश: राज्यव्यापी अवकाश और विशाल आयोजन
योगी सरकार ने इस पावन अवसर पर प्रदेशभर में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। सरकारी आदेश के अनुसार, इस दिन सभी सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान, स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बंद रहेंगे। हालांकि यह अवकाश दिसंबर 2024 में जारी कैलेंडर में पहले ही दर्ज था, अब इसकी औपचारिक पुष्टि के साथ शासन ने स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए हैं।

लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज और कानपुर जैसे प्रमुख शहरों में भव्य शोभायात्राएं, धार्मिक झांकियां और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी। समाज में वाल्मीकि जी के विचारों को प्रसारित करने के लिए विशेष जागरूकता अभियान भी चलाए जाएंगे।

दिल्ली सरकार ने भी 7 अक्टूबर को महर्षि वाल्मीकि जयंती पर छुट्टी घोषित की है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने हाल ही में इसकी सार्वजनिक घोषणा की, जिससे दिल्लीवासी भी इस पर्व को श्रद्धा और उत्साह से मना सकें। दिल्ली में स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तर और निगम कार्यालय सभी बंद रहेंगे। राजधानी के प्रमुख वाल्मीकि मंदिरों और सामुदायिक भवनों को विशेष रूप से सजाया जा रहा है। यहां भजन संध्याएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और धार्मिक शोभायात्राएं आयोजित होंगी, जिनमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेने की तैयारी में हैं।

एक कालजयी विरासत को सम्मान
महर्षि वाल्मीकि सिर्फ एक कवि या संत नहीं थे, वे भारतीय सभ्यता के उन शिल्पकारों में से एक हैं जिन्होंने धर्म, कर्तव्य और करुणा को एक महाकाव्य के रूप में गढ़ा। रामायण केवल ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक शैली है - जिसे उन्होंने लोक तक पहुंचाया। इस वर्ष उनकी जयंती ऐसे समय पर आ रही है जब समाज को फिर से सद्भाव, नैतिकता और सत्य के मार्गदर्शन की ज़रूरत है। ऐसे में यह दिन केवल श्रद्धा का नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और प्रेरणा का भी होगा।


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Content Writer

Anu Malhotra

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