मानो या न मानो: पाने का हक उसी को है जो देना जानता है

punjabkesari.in Wednesday, Nov 08, 2023 - 08:17 AM (IST)

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एक आदमी ने ईश्वर से पूछा, ‘‘मैं इतना गरीब क्यों हूं?’’

PunjabKesari What is the significance of Daan

ईश्वर ने कहा, ‘‘तुमने देना नहीं सीखा।’’

आदमी ने कहा, ‘‘मेरे पास तो देने के लिए कुछ भी नहीं है।’’

तब ईश्वर ने कहा, ‘‘तुम्हारा चेहरा एक मुस्कान दे सकता है, तुम्हारा मुंह किसी की प्रशंसा कर सकता है या दूसरों को सुकून पहुंचाने के लिए दो मीठे वचन बोल सकता है, तुम्हारे हाथ किसी जरूरतमंद की सहायता कर सकते हैं और तुम कहते हो, तुम्हारे पास देने के लिए कुछ भी नहीं। आत्मा के गुणों की गरीबी ही वास्तविक गरीबी है। पाने का हक उसी को है जो देना जानता है।’’

भारत में आरंभ काल से ही दान का बड़ा महत्व बताया गया है, इसलिए हमारी संस्कृति में मनुष्यों से दान-पुण्य कराया जाता है। हमारी संस्कृति में यह मान्यता भी है कि कहीं भी खाली हाथ न जाएं, कुछ न कुछ लेकर जाएं या देकर आएं, इसलिए मंदिर में गरीब से गरीब व्यक्ति भी कुछ न कुछ लेकर जाता है या फिर चढ़ाकर आता है।

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देने की भावना श्रेष्ठतम भावना है। देने वाले को ‘देवता’ और लेने वाले को ‘लेवता’ कहा जाता है। आजकल हम देख रहे हैं कि लोग देने में कम, लेने में ज्यादा विश्वास रखते हैं। घर-परिवार, समाज, देश में हर व्यक्ति एक-दूसरे से हजारों उम्मीदें रखता है कि अमुक व्यक्ति हमारे लिए यह करे। यह बात सोचनी बहुत जरूरी है कि हम जिनसे इतनी उम्मीद रखते हैं, उन्हें बदले में क्या दे रहे हैं?
किसी भी व्यक्ति से प्रेम, दया, सुख, शांति, सम्मान, अपनापन आदि लेने की कामना रखने से पहले, हमें उसे ये चीजें खुद देनी होंगी, क्योंकि हम जो भी देते हैं, वही लौटकर हमारे पास आता है, चाहे वह नफरत हो या प्यार। न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत यही कहता है कि जो चीज हम ऊपर आसमान की तरफ फैंकते हैं, वही नीचे हमारे पास लौटकर आती है।  

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Content Writer

Niyati Bhandari

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