श्रावण में दूर करेंगे भोलेनाथ हर वास्तु दोष, जानिए कैसे

punjabkesari.in Monday, Jul 20, 2020 - 05:55 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
श्रावण में भोलेनाथ को खुश करने के लिए बहुत से काम किए जाते हैं। मगर बहुत कम लोग हैं जो इस बात से वाकिफ़ हैं कि इस दौरान वास्तु उपाय भी किए जा सकते हैं। जी हां, वास्तु शास्त्र में भी ऐसी कुछ बातों बताई गई हैं जिनका कहीं न कहीं भोलेनाथ से संबध है। इन चीज़ों के बारे में बताया जाता है कि ये तमाम चीज़ों घर के साथ-साथ जीवन में से ही हमेशा हमेशा के लिए वास्तु दोष का खात्मा कर देती हैं। अब इससे पहले कि आप सोचने लगे कि वो चीज़ें कौन सी आपको बताते हैं श्रावण में उपयोग होने वाली सबसे खास और भोलेनाथ की प्रिय वस्तु के बारे में।

हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले लगभग लोग जानते हैं कि भगवान विष्णु को तुलसी का पौधा अधिक प्रिय है। यही कारण है कि इन्हें पूजा आदि के दौरान तुलसी अर्पित करना अधिक लाभकारी व आवश्यक होता है। ठीक उसी तरह भगवान शिव को बिल्व अधिक पसंंद है। इसीलिए इनकी पूज में इसका उपयोग लाभकारी मानी जाता है। 


मान्यता है कि जो जातक श्रावण से खास रूप से गंध, पुष्प आदि से बिल्व के मूलभाग का पूजन करता है वह इस लोक में भी सुख-संतति पाने के बाद शिवलोक को प्राप्त होता है।

तो वहीं जो लोग बिल्व की जड़ के समीप आदरपूर्वक दीप जलाते हैं, उन पर भोलेनाथ का खास आशीर्वाद रहता है। 


बिल्व के नए पत्ते तोड़कर बिल्व वृक्ष की पूजा करने से भी सब पापों से मुक्ति मिलती है। बिल्व के वृक्ष या पौधे की जड़ के समीप भगवान शिव के भक्त को श्रद्धा पूर्वक भोजन करवाता है, उसे पुण्य प्राप्ति होती है। 

इसकी जड़ के पास किसी अन्य शिवभक्त को खीर और घृतयुक्त भोजन दान करवाने से व्यक्ति कभी दरिद्र नहीं होता। वास्तु शास्त्र के अनुसार बेल के पेड़ के दर्शन से ही लाभ होता है साथ ही साथ वंश वृद्धि भी होती है। 

समाज में मान-सम्मान बढ़वाता है ये शक्तिशाली पौधा-
जिस घर में बेल यानि बिल्व का पौधा होता है उस घर के लोग हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा से बचे रहते हैं। इतना ही नहीं वास्तुदोष के नाश के साथ-साथ घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। मगर ध्यान रहे इसे हमेशा घर की उत्तर-पश्चिम दिशा में लगाएं, इस स्थान पर ये पौधा लगाने से घर के लोग यशस्वी और तेजवान बनते हैं। मगर ध्यान रहे सम्मान और प्रसिद्धि की चाह रखने वाले लोग इस पौधे को इस दिशा में कभी न लगाएं।


 


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Jyoti

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