Sankashti Chaturthi 2020: इस दिन का है शास्त्रों में खास महत्व

punjabkesari.in Tuesday, Feb 11, 2020 - 09:47 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
जैसे कि सब जानते ही हैं कि भगवान गणेश को प्रथम पुज्य देव के रूप में जाना जाता है। कहते हैं कि किसी भी शुभ काम की शुरुआत में अगर उनका पूजन पहले किया जाएतो वह काम जल्दी व विघ्न रहित पूरा होता है। इसलिए तो उन्हें विघ्न हरता के नाम से भी जाना जाता है। बुधवार के दिन उनकी पूजा का विशेष दिन माना जाता है। लेकिन इसी के साथ ही हम माह में आने वाली चतुर्थी तिथि को भी इनका पूजन किया जाता है। इस माह में ये तिथि कल यानि 12 फरवरी को पड़ रही है। इस बात जानकारी बहुत कम लोगों को होगी लेकिन हम आपको बता दें कि पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। 
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शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – फरवरी 12, 2020 को 02:52 ए एम बजे 
चतुर्थी तिथि समाप्त – फरवरी 12, 2020 को 11:39 पी एम बजे
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संकष्‍टी चतुर्थी का महत्व: 
शास्त्रों के अनुसार इस दिन गणपति के 32 स्वरुपों में से छठे स्वरुप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि द्विजप्रिय गणपति के चार मस्तक और चार भुजा हैं। गणपति के इस स्वरूप की आराधना से अच्छे स्वास्थ्य और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि भगवान गणेश को समर्पित संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से सभी प्रकार के दुखों का अंत हो जाता है और सुख की प्राप्ति होती है।
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पूजा विधि: 
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इसके बाद उत्तर दिशा की तरफ मुख करके भगवान गणेश की आराधना करें, गौरी गणेश को जल अर्पित करें। जल में तिल मिलाकर अर्घ्य देना सबसे ज्यादा उत्तम माना गया है। 
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मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है। शाम के समय भी भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें। भगवान गणपति को दुर्वा जरूर अर्पित करें लेकिन भूल से भी उन्हें तुलसी के पत्ते न चढ़ाएं। 
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भगवान गणेश की तिल के लड्डुओं का भोग लगाएं और उनकी आरती उतारें। इस विधि से पूजा करने के बाद चांद को अर्घ्य दें। इसके बाद तिल के लड्डू या तिल खाकर व्रत खोलें।


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