Kurma Jayanti: धरती की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने लिया था कूर्म अवतार, जानें शास्त्रों की बात
punjabkesari.in Saturday, May 10, 2025 - 08:28 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Kurma Jayanti Katha: हर साल वैशाख महीने की पूर्णिमा को कूर्म जयंती का पर्व आता है। 2025 में में ये त्यौहार 12 मई, सोमवार को है। भगवान विष्णु के कूर्म अवतार को लेकर हिंदू धर्म के ग्रंथों में मतभेद हैं। कूर्म अवतार को कहीं भगवान विष्णु का ग्यारहवां अवतार कहा गया है तो अन्य पुराणों में द्वितीय अवतार माना जाता है।
Story of Kurma Jayanti 2025 कूर्म जयंती कथा: पद्मपुराण में वर्णन हैं कि इंद्र ने अहंकारवश ऋषि दुर्वासा द्वारा दी गई बहुमूल्य माला का निरादर कर दिया था। कुपित ऋषि दुर्वासा ने देवगणों को बलहीन, तेजहीन व ऐश्वर्यहीन कर दिया, जिससे देवगण अत्यंत निर्बल हो गए। मौका देखकर दैत्यराज बलि ने असुरों के साथ देवों पर आक्रमण कर स्वर्ग पर अपना आधिपत्य जमा लिया। सभी देवगण श्रीहरि के पास पहुंचे। श्रीहरि ने उन्हें समुद्र-मंथन कर अमृत प्राप्त कर उसका पान करने को कहा। अमृत के लालच में असुरों ने देवताओं के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया। क्षीर सागर में मंद्राचल पर्वत को मंथनी, वासुकि नाग को रस्सी बनाया। श्रीहरि ने कच्छप अवतार धारण कर मंद्राचल को अपनी पीठ पर स्थापित कर समुद्र मंथन आरम्भ किया। कूर्म अवतार के कारण ही समुद्र मंथन संभव हो पाया, जिसके फलस्वरूप निधियों व लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई व देवताओं को अमृत की प्राप्ति हुई।
शास्त्र भागवत पुराण, शतपथ ब्राह्मण, महाभारत व पद्मपुराण में उल्लेख है कि संतति प्रजनन के लिए प्रजापति ने कच्छप रूप धारण कर पानी में संचरण किया था। लिंग पुराण के अनुसार जब पृथ्वी रसातल को जा रही थी, तब विष्णु ने कच्छप रूप में अवतार लिया। उक्त कच्छप की पीठ का घेरा एक लाख योजन था।