Kailash Mansarovar: क्या पांडव भी पहुंचे थे कैलाश मानसरोवर ? जानें धर्म शास्त्र का रहस्य
punjabkesari.in Wednesday, May 07, 2025 - 12:38 PM (IST)

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Kailash Mansarovar: कैलाश मानसरोवर यात्रा सनातन धर्म में प्राचीनकाल से ही विशेष महत्व रखती है। हमारे पवित्र धर्म ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है। इसे महादेव का निवास स्थान और आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र माना जाता है। आज भी हर साल अनेक श्रद्धालु देश-विदेश से कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार आज तक कोई भी यहां नहीं चढ़ पाया है। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि क्या पांडवों ने इस पवित्र पर्वत तक पहुंच पाए थे ? अगर आप भी यह जानने के लिए इच्छुक है तो यह आर्टिकल आपके लिए बेहद ही खास होने वाला है।
महाभारत में कैलाश पर्वत को एक हिमाच्छादित पर्वत के रूप में वर्णित किया गया है, जो मलयवत और गंधमादन पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित है। महाभारत में यह भी बताया गया है कि कैलाश पर्वत के आसपास झीलें, मनमोहक वन, फलदार वृक्ष, मूल्यवान रत्न, औषधियां और नदियां विद्यमान हैं, जो आज भी सत्य प्रतीत होते हैं। इसके अलावा, महाभारत में कैलाश को स्वर्ग तक पहुंचने का मार्ग भी माना गया है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया गया है कि केवल वही व्यक्ति इस पर्वत को फतह कर सकता है जो पापों से मुक्त हो। कहा जाता है कि युधिष्ठिर ने अपने भाइयों और पत्नी के साथ यहीं से स्वर्ग की यात्रा प्रारंभ की थी।
क्या पांडव कैलाश यात्रा पर गए थे ?
महाभारत की समाप्ति के बाद पांचों पांडव और द्रौपदी और साथ में एक कुत्ता भी पैदल यात्रा पर निकल गए थे। मान्यताओं के अनुसार सिर्फ धर्मराज युधिष्ठिर ही जीवित स्वर्ग तक पहुंच पाए थे। इस बात की पुष्टि नहीं की जाती की यह कैलाश पर्वत की ही यात्रा थी। कोई ग्रंथों में कैलाश को ही स्वर्ग का नाम दिया गया है इस वजह से कई लोगों द्वारा यह कहा जाता है कि उन्होंने कैलाश पर्वत की यात्रा की थी।
धार्मिक मान्यताएं
स्कंद पुराण और शिव पुराण में मानसरोवर की महिमा का विस्तार से वर्णन मिलता है। इनके अनुसार सिर्फ महापुरुष, ऋषि-मुनि ही इस पवित्र तीर्थ की यात्रा करने में सक्षम होते हैं। कुछ किवदिंतियों के अनुसार पांडव कैलाश मानसरोवर गए थे लेकिन महाभारत के किसी भी श्लोक में इस बात की पुष्टि नहीं है। कुछ लोक मान्यताओं और प्रचलित कथाओं में यह भी कहा जाता है कि पांडवों ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा की थी और वहां भगवान शिव के दर्शन किए थे। हालांकि, महाभारत के किसी भी श्लोक में इस बात का स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता। फिर भी, लोककथाओं और मान्यताओं के आधार पर यह विश्वास बना हुआ है कि पांडवों ने कैलाश क्षेत्र में भगवान शिव के दर्शन किए थे।