मानो या न मानो: सभी में हैं भगवान लेकिन...

punjabkesari.in Monday, Apr 24, 2023 - 11:19 AM (IST)

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Religious Katha: आज बहुत से ऐसे लोग समाज में देखने को मिलते हैं जो पढ़ कर या सुनकर आधा-अधूरा ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं और स्वयं को बहुत बड़ा विद्वान समझ बैठते हैं। ऐसे ही लोग अपने अधूरे ज्ञान के कारण संकट में फंसते हैं। अत: किसी भी बात को अच्छी तरह समझ कर और मनन करके ही व्यवहार करना चाहिए। किसी गांव में एक महात्मा रहते थे। उनके कई शिष्य थे, जिन्हें वे अध्यात्म की शिक्षा दिया करते थे। भोला नामक एक शिष्य भी था। वह न सिर्फ नाम का भोला था बल्कि अक्ल से भी भोला था। गुरु का वाक्य उसके लिए ब्रह्मवाक्य था। अन्य शिष्य गुरु का कोई उपदेश भले ही भूल जाएं, मगर वह कभी नहीं भूलता था।
एक बार गुरु जी ने अपने सभी शिष्यों को ईश्वर की महत्ता बताई और कहा, ‘‘लोग गलत समझते हैं कि ईश्वर कहीं आकाश में या पाताल में रहते हैं। वास्तव में ईश्वर सभी प्राणियों में विद्यमान हैं।’’

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‘‘गुरु जी, क्या कुत्ते, बिल्ली, ऊंट, हाथी सभी में हैं भगवान?’’ भोला ने उत्सुकतावश पूछा।

‘‘हां बेटा, सभी में भगवान हैं लेकिन चूंकि वे जानवर हैं इसलिए उनमें जानवर वृत्ति है, अत: मनुष्य को हमेशा अपनी बुद्धि और विवेक से काम लेना चाहिए।’’

इसके बाद कक्षा समाप्त हो गई और सभी शिष्य अपने-अपने कार्यों में लग गए। भोला गुरु जी की आज्ञा लेकर बाजार के लिए निकल पड़ा। मार्ग में उसे जो भी दिखाई देता, वह उसे ईश्वर का स्वरूप मानकर प्रणाम करता और आगे बढ़ जाता।
अचानक बाजार में भगदड़ मच गई। पता चला कि एक हाथी क्रोधित हो गया है और इसी तरफ भागा आ रहा है। ‘‘अरे भइया हाथी में भी भगवान हैं और भगवान किसी का बुरा थोड़े ही करते हैं।’’

भोला ने यह कहा जरूर मगर उसका उपदेश सुनने के लिए आसपास कोई मौजूद नहीं था। सड़क बिल्कुल खाली हो चुकी थी। अचानक हाथी की नजर भोला पर पड़ी। बस फिर क्या था दिल दहला देने वाली चिंघाड़ मारता हुआ वह तेजी से भोला की ओर लपका।

महावत की नजर भोला पर पड़ चुकी थी। आशंकित होकर वह चिल्ला उठा, ‘‘अरे भाई, भागो यहां से। देखते नहीं क्या हाथी गुस्से में है।’’

‘‘अरे महावत जी इसमें भगवान हैं और भगवान भला मेरा अहित क्यों करेंगे?’’

‘‘अरे मूर्ख तू मारा जाएगा हट जा सामने से।’’

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लेकिन भोला ने उसकी एक नहीं सुनी और खड़ा रहा। हाथी तेजी से भोला की तरफ झपटा और अगले ही पल उसने उसे सूंड में लपेट कर किसी खिलौने की तरह पटक दिया। भोला का शरीर एक वृक्ष से जाकर टकरा गया और अगले ही पल पीड़ा और भय मिश्रित चीखें उसके मुंह से निकलने लगी ‘‘हाय मरा, हाय गुरुदेव। आपने तो कहा था कि भगवान किसी का अहित नहीं करते। यहां तो मैं मारा गया। अरे कोई मुझे बचाओ।’’

लोगों ने भोला को उठाया और उसे लेकर आश्रम की ओर चल पड़े। आश्रम में गुरुजी ने भोला का इलाज किया तो उसे थोड़ा होश आ गया। हालांकि, गुरुजी को लोगों की जुबानी सारी बात पता चल चुकी थी फिर भी उन्होंने भोला से पूछा कि क्या हुआ था?

इस पर भोला ने कहा आपने सुबह जो उपदेश दिया था उसी के कारण मेरी यह दुर्गति हुई है। आपने कहा था कि सभी में भगवान होते हैं, इसी बात पर विश्वास करके मैंने सोचा कि भगवान से क्या डरना और वे मेरा अहित क्यों करेंगे ? मगर देखिए हाथी ने मुझे उठाकर पटक दिया। अब बताइए गुरुदेव, जब हाथी में भगवान थे तो उन्होंने मुझे क्यों मारा?’’

‘‘बेटा तू भोला ही नहीं, मूर्ख भी है।’’ उसकी बात सुनकर गुरु जी उसकी नादानी पर मुस्करा दिए।

‘‘कैसे गुरुदेव, कैस मूर्ख हूं मैं।’’

‘‘क्या हाथी के इर्द-गिर्द कुछ लोग भी थे?’’

‘‘हां।’’

‘‘उन्होंने तुमसे कुछ कहा था।’’

‘‘हां वे मुझे डरा कर सामने से हटने के लिए कह रहे थे।’’

‘‘तो तुमने यह क्यों नहीं सोचा कि उनमें भी भगवान हैं और वे मुझे इस संकट से बचने की चेतावनी दे रहे हैं। मेरे भोले बच्चे, तुझे यह तो याद रहा कि सभी जीव-जंतुओं में भगवान होते हैं मगर तू यह भूल गया कि मनुष्य में भी भगवान का वास है। तुमने उस भगवान की बात क्यों नहीं सुनी, जो तुझे बचने के लिए कह रहा था ? और तुमने मेरी इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया कि जानवरों में भगवान होने के साथ-साथ पशु की वृत्ति भी होती है, अत: इंसान को अपनी बुद्धि और विवेक से काम लेकर व्यवहार करना चाहिए।’’

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गुरु जी की बात सुनकर भोला आगे कुछ न बोल सका।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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