सात झीलों की घाटी में बसा है गुरुद्वारा नंगली साहिब, जानें पुंछ से जुड़ी रोचक बातें
punjabkesari.in Wednesday, Feb 16, 2022 - 01:17 PM (IST)

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Poonch valley: जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले तक पहुंचने के लिए जम्मू से अखनूर रोड अथवा मुगल रोड से होकर जाना पड़ता है। रास्ते में अखनूर, चौकी-चौरा, भांवलघ आदि के उपरांत सुंदर बनी का पूरा का पूरा मिलिट्री एरिया और वन व खेतों की हरियाली एक अलौकिक सौंदर्य की अनुभूति करवाते थे। यह सारा क्षेत्र नाम के बिल्कुल अनुरूप ही सुंदर लग रहा था। यात्री इन दृश्यों की बदौलत यात्रा का पूरा आनंद लेते हुए राजौरी पहुंच जाते हैं। राजौरी के उपरांत ठंडी-कस्सी, मंजा कोट और सुरन कोट आदि स्थानों से होते हुए पुंछ की खूबसूरत वादियों में प्रवेश होता है।
Poonch is famous for तीन ओर से पाकिस्तान से घिरा है पुंछ
लगभग 42 किलोमीटर लम्बी और 17 किलोमीटर की चौड़ी पट्टी के 1673 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले तथा छ: तहसीलों- बालाकोट, हवेली, मंडी, मेंढर, मानकोट और सुरनकोट वाली पुंछ घाटी समुद्र तल से 10 से 15 हजार फुट की ऊंचाई पर है। पुंछ का पूरा जिला तीन ओर से पड़ोसी देश पाकिस्तान की सीमा के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा से घिरा हुआ है। पुंछ को स्थानीय लोगों द्वारा जहां ‘मिनी कश्मीर’ की संज्ञा भी दी जाती है वहां इसे ‘वैली आफ सैवन लेक्स’ अर्थात ‘सात झीलों की घाटी’ के रूप में भी जाना जाता है।
चूंकि स्थानीय बोली में झीलों को ‘सर’ कहा जाता है, इसलिए इन झीलों के नाम के साथ सर लगा हुआ है। यूं तो पूरी पुंछ घाटी की पीरपंजाल शृंखला में 27 के लगभग झीलें मानी गई हैं परंतु ये 7 झीलें बहुत बड़ी और अति सुंदर हैं इसलिए ज्यादा ख्याति प्राप्त हैं। इसके अतिरिक्त चंदन सर, सुख सर, भाग सर, नील सर, गुम सर और अकाल दर्शनी हैं।
ह्यून सांग के लेखों में है घाटी का जिक्र
माना जाता है कि छठी शताब्दी में जब चीनी यात्री ह्यून सांग अपनी यात्रा के मध्य यहां से गुजरा था और उसने जब इस घाटी के अद्भुत सौंदर्य का वर्णन किया, तब से ही इस क्षेत्र की महत्ता विश्व स्तर पर बढ़ गई थी।
भारत-पाकिस्तान सीमा रेखा पर स्थित ट्रेड-सैंटर पुंछ से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर ‘चकन का बाग’ नामक स्थान स्थित है जो बहुत बड़ा व्यापारिक संस्थान है। यहीं से भारत और पाकिस्तान के मध्य आपसी व्यापार होता था। चूंकि कुछ वर्षों से सभी व्यापारिक गतिविधियां बंद थीं इसलिए वहां पर बिल्कुल सूनापन छाया हुआ था।
यहां पर वे स्थान तथा भवन भी देखे जा सकते हैं जहां पर पाकिस्तान की ओर से होने वाली गोलाबारी से पड़े हुए निशान दीवारों के साथ-साथ दरवाजों-खिड़कियों पर नजर आते हैं। वे बंकर भी यहां हैं जहां पर गोलीबारी के समय वहां पर काम करने वाले एकदम से जाकर शरण लेते रहे थे। कई दर्दनाक किस्से भी सुनने को मिल सकते हैं जिन्हें सुनकर रौंगटे खड़े हो जाते हैं परंतु सीजफायर का समझौता होने के बाद से हालात तकरीबन सामान्य बने हुए हैं।
‘चकन का बाग’ से पाकिस्तान प्रशासित इलाके में स्थित रावलाकोट लगभग 40 किलोमीटर दूर है। ‘चकन का बाग’ से लौटते समय एक सुंदर व हरे-भरे स्थान पर सड़क के एक किनारे पर सिखों का गुरुद्वारा और दूसरी और मुस्लिम समुदाय की मस्जिद है। पुंछ से 23 किलोमीटर की दूरी पर बुड्ढा अमरनाथ मंदिर भी देखने योग्य है।
Gurdwara Nangli Sahib गुरुद्वारा नंगली साहिब के दर्शन
बुड्ढा अमरनाथ जी के दर्शनों के उपरांत वापसी में शिरोमणि डेरा श्री संतपुरा गुरुद्वारा नंगली साहिब के दर्शन भी अवश्य करने चाहिएं। इस गुरुद्वारा का निर्माण ठाकुर भाई मेला सिंह जी (1783-1854) ने सन् 1803 ईस्वी में करवाया था। यह गुरुद्वारा सन् 1947 में एक अग्निकांड से जल गया था और फिर महंत विचित्र सिंह जी द्वारा इसका पुनर्निर्माण करवाया गया। इतिहास इस बात का साक्षी है कि शेरे-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह सन् 1814 ईस्वी में और राजा गुलाब सिंह जी दो बार ठाकुर भाई मेला सिंह जी से मिलने इसी गुरुद्वारा साहिब में आए थे। आज भी बहुत दूर-दूर से अनेक सिख एवं अन्य श्रद्धालु यहां माथा टेकने आते हैं और विशेष रूप से गुरु पर्वों और बैसाखी का त्यौहार मनाने के लिए हजारों की संख्या में संगतें यहां पर पहुंचती हैं। पुंछ के बाजार और वहां की कई ऐतिहासिक इमारतों व पावन स्थल भी दर्शनीय हैं। इनमें पुंछ-ड्योढ़ी भी शामिल है जो दूर से ही अपनी प्राचीनता के साथ आकर्षण का केंद्र बनी दिखाई देती है।
Poonch पुंछ का प्राचीन नाम
स्थानीय लोगों से बात करने पर पता चलता है कि पुंछ का प्राचीन नाम ‘पुंछ बाग हवेली’ था जो बाद में केवल पुंछ ही रह गया। पुंछ में उपरोक्त आकर्षणों के अतिरिक्त ब्रह्मागला, सुरनकोट, मंडी, देहरा गली, लोगान आदि-आदि प्राकृतिक सौंदर्य की छटा को समेटे दर्शनीय स्थलों के अतिरिक्त दशनामी अखाड़ा मंदिर, राम मंदिर, जियारत छोटे शाह साहिब और जियारत सैन निरन साहिब आदि भी सुंदर और दर्शनीय स्थान हैं।