कभी न करें दौलत का अहंकार वरना...

punjabkesari.in Sunday, Feb 09, 2020 - 12:48 PM (IST)

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एक व्यक्ति के घर में बहुत सारे चूहे हो गए। एक दिन तो हद हो गई। एक चूहे ने घर में रखा एक हीरा निगल लिया। उस व्यक्ति ने चूहे पकड़ने वाले व्यक्ति को बुलाया और उससे उस चूहे को पकड़ने के लिए कहा जिसने हीरा निगल लिया था। चूहे पकड़ने वाले व्यक्ति ने देखा कि वहां सैंकड़ों चूहे थे । तभी चूहे पकड़ने वाले व्यक्ति की नजर एक चूहे पर पड़ी जो सबसे दूर अलग बैठा था। उसने फौरन सबसे अलग बैठे उस चूहे को पकड़ कर मार डाला और उसके अंदर से हीरा निकालकर हीरे के स्वामी को दे दिया। घर का मालिक अपना हीरा वापस पाकर बहुत प्रसन्न हुआ। उसने चूहे मारने वाले व्यक्ति को काफी ईनाम भी दिया। फिर उससे पूछा, ''भाई एक बात तो बताओ, तुम्हें कैसे पता चला कि इसी चूहे ने हीरा निगल लिया था? चूहे मारने वाले व्यक्ति ने जवाब दिया, ''जब बेवकूफों के पास धन-दौलत अथवा समृद्धि आ जाती है तो वे अपनों से मिलना-जुलना बंद कर देते हैं और उनसे दूर-दूर रहने लगते हैं।
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यह एक प्रतीक कथा है, लेकिन इसके निहितार्थ बड़े गहरे हैं जो हमारे समाज की वास्तविकता को दिखलाते हैं। आज समाज की कमोबेश यही स्थिति है। जब लोगों के पास धन-दौलत बढ़ जाती है तो वे स्वयं को विशिष्ट समझने लगते हैं और अलग-अलग रहने लगते हैं। धन-दौलत अथवा समृद्धि कोई दोष नहीं लेकिन जब इसके कारण हम में अहंकार उत्पन्न होने लगता है तो यह बहुत बुरी बात हो जाती है। वैसे तो धनी अथवा समृद्ध व्यक्ति से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने मित्रों, रिश्तेदारों अथवा निकटस्थ व्यक्तियों से न केवल उसी तरह समानता का व्यवहार करे जैसे पहले करता था अपितु आवश्यकता पड़ने पर यथासम्भव उनकी मदद भी करे, लेकिन प्राय: देखने में आता है कि ऐसे व्यक्ति अपने मित्रों, रिश्तेदारों अथवा निकटस्थ व्यक्तियों से समानता का व्यवहार करना तो दूर उन्हें महत्वहीन समझ कर उनकी उपेक्षा तक करने लगते हैं। 


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