Muni Shri Tarun Sagar- गले में सोने की चेन है पर रात में सोने के लिए बेचैन है

punjabkesari.in Friday, Jul 30, 2021 - 10:41 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Muni Shri Tarun Sagar: एक दिन मुझे भी मरना है- सच बोलना ऐसा आपको कब लगता है? जब कोई सगा-संबंधी मर जाता है और उसे अंतिम संस्कार के लिए श्मशान ले जाते हैं, तब आपको लगता है कि एक दिन मुझे भी मर जाना है और उस समय थोड़ी देर के लिए ‘श्मशानी वैराग्य’ जाग्रत होता है। पर मेरा मानना है कि श्मशान में जाने के बाद किसी को वैराग्य आए तो वह वैराग्य झूठा है और वैराग्य आ जाने के बाद कोई श्मशान जाए तो वह वैराग्य अनूठा है।

PunjabKesari Muni Shri Tarun Sagar
रसोई घर को चौका कहा जाता है जहां चार बातों पर विचार किया जाता है-  1. कब, 2. कितना, 3. कैसे 4. क्या? मतलब कब खाना? कितना खाना? कैसे खाना और क्या खाना?  कल तक चौके को रसोई घर कहा जाता था, आज वह किचन हो गया है। रसोई घर और किचन में अंतर है। जहां रस बरसे वह रसोई है तथा जहां किच-किच हो वह किचन है। दबा-दबा कर खाएगा तो फिर दवाखाना भी जाएगा।

काम-धंधा करोगे तो कभी लाभ तो कभी नुक्सान होगा। लाभ हो तो अकड़ना नहीं और नुक्सान हो तो सिकुडऩा नहीं, बल्कि सोचना कि ‘‘जो भी दे दे मालिक तू कर ले कबूल, कभी-कभी कांटों में भी खिलते हैं फूल।’’

मेरा एक मंत्र हर समय याद रखना। मंत्र, ‘‘जो तुम्हारा है वह कभी जा नहीं सकता और जो चला गया वह तुम्हारा था ही नहीं।’’ कभी कोई नुक्सान हो भी जाए तो सोचना, जो जाना था सो चला गया।

PunjabKesari Muni Shri Tarun Sagar
आज की जिंदगी की सच्चाई यह है कि गले में भले चेन है, पर जिंदगी में चैन नहीं है। गले में सोने की चेन है पर रात में सोने के लिए बेचैन है। ऐसा क्यों हो रहा है? इसलिए कि आदमी रहता तो ए.सी. में है पर दिमाग में हीटर लगा हुआ है। बाहर से तो शांत दिखता है पर दिमाग में विचारों का विश्वविद्यालय खुला हुआ है। मैं कहूंगा चैन से सोना है तो जाग जाइए और सोने की चैन (सुख की नींद) चाहिए तो त्याग अपनाइए।

PunjabKesari Muni Shri Tarun Sagar


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News