मकर संक्रांति 2022: ग्रहों से क्या है मकर संक्रांति का नाता, जानें यहां?

punjabkesari.in Thursday, Jan 13, 2022 - 08:19 PM (IST)

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खरमास की समाप्ति और शुभ कार्यों की शुरुआत है मकर संक्रांति। मकर संक्रांति को कुछ लोग खिचड़ी भी कहते हैं। हिंदू धर्म में इस त्योहार को प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है और पिछले कई साल से ये त्योहार 14 जनवरी को मनाया जा रहा है और इस साल भी 14 जनवरी को धूमझाम से मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा। आपको बता दें कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते है। तो चलिए अब मकर संक्रांति यानि खिचड़ी मनाने के पीछे की पौराणिक कथा सुनाते हैं।

एक पौराणिक कथा के अनुसार शनि देव को उनके पिता सूर्य देव पसंद नहीं करते थे। इसी कारण सूर्य देव ने शनि देव और उनकी मां छाया को अपने से अलग कर दिया। इस बात से गुस्से में आकर शनि और उनकी मां ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का श्राप दे डाला। पिता को कुष्ठ रोग में पीड़ित देख यमराज (जो कि सूर्य भगवान की दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र हैं) ने तपस्या की।

यमराज की तपस्या से सूर्यदेव कुष्ठ रोग से मुक्त हो गए। लेकिन सूर्य देव ने क्रोध में आकर शनि देव और उनकी माता के घर 'कुंभ' (शनि देव की राशि) को जला दिया। इससे दोनों को बहुत कष्ट हुआ। यमराज ने अपनी सौतेली माता और भाई शनि को कष्ट में देख उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य को समझाया। यमराज की बात मान सूर्य देव शनि से मिलने उनके घर पहुंचे। कुंभ में आग लगाने के बाद वहां सब कुछ जल गया था, लेकिन काले तिल अभी भी बाकी थे। इसीलिए शनि देव ने अपने पिता सूर्य देव की काले तिल से पूजा की। इसके बाद सूर्य देव ने शनि को उनका दूसरा घर 'मकर' मिला। तभी से मान्यता है कि शनि देव को तिल की वजह से ही उनके पिता, घर और सुख की प्राप्ति हुई, तभी से मकर संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा के साथ तिल का बड़ा महत्व माना जाता है। 

यहां जानिए मकर संक्रांति का क्या है ग्रहों से रिश्ता- 
मकर संक्रांति की खिचड़ी बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सफेद चावलों को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है। जबकि इसमें डाली जाने वाली काली दाल को शनि का। खिचड़ी में जलने वाली हरी सब्जियां बुध से संबंध रखती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खिचड़ी की गर्मी व्यक्ति को मंगल और सूर्य से जोड़ती है। जिसकी वजह से इस दिन यदि कोई व्यक्ति खिचड़ी का सेवन करता है तो उसकी राशि में ग्रहों की स्थिती मजबूत बनती है। बता दें साल में कुल मिलाकर 12 संक्रांति होती हैं, क्योंकि सूर्य हर महीने में राशि परिवर्तन करता है लेकिन इनमें से चार संक्रांति महत्वपूर्ण हैं जिनमें मेष, कर्क, तुला, मकर संक्रांति शामिल हैं। मकर संक्रांति के दिन से ही घरों में शादी-ब्याह, मुंडन और नामकरण जैसे शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं।
 


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Content Writer

Jyoti

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