Guru Vakri 2024: 120 दिन के लिए गुरु हुए वक्री, तुला राशि वालों को लगेगा बड़ा झटका

punjabkesari.in Friday, Oct 18, 2024 - 08:01 AM (IST)

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Guru Vakri 2024: आज बात करेंगे देव गुरु बृहस्पति की। देव गुरु बृहस्पति 9 अक्टूबर को वक्री हो गए हैं और 4 फरवरी तक वक्री अवस्था में रहेंगे। यह एक सामान्य खगोलीय घटना है जो हर साल होती है 120 दिन के लिए। सूर्य यदि आपकी कुंडली में लगन में पड़े हैं तो यदि शनि पंचम में आ जाएंगे और डिग्री कली 120 डिग्री पार कर जाएंगे तो वो वक्री हो जाएंगे। ऐसा ही गुरु और मंगल के साथ भी होता है। शास्त्र कहता है कि वक्री प्लेनेट जो होता है उसका चेष्टा बल बढ़ जाता है।  चेष्टा बल बढ़ने का मतलब यह है कि ग्रह जो अपने अच्छे या बुरे परिणाम बहुत तेजी से करता है और इसी कारण इसका अचानक से असर नजर आता है। तो चलिए जानते हैं तुला राशि पर कैसा रहेगा इसका असर। 

 वक्री प्लेनेट का चेष्टा बल बढ़ जाता है। चेष्टा बल बढ़ने का मतलब यह है कि ग्रह वह अपने अच्छे या बुरे परिणाम बहुत तेजी से करता है और इसी कारण इसका अचानक से असर नजर आता है। खास तौर पर शनि जैसे प्लेनेट हैं जो वक्री अवस्था में बहुत जो है वो कई बार मार्क रिजल्ट कर जाते हैं। यदि आपकी कुंडली में वो मार्क स्थानों में पड़े हो और कुंडली में नेटिव कुंडली में भी वक्री अवस्था में हैं तो यह तो वक्री और मार्गी का कांसेप्ट है। तुला राशि शुक्र की राशि है।   गुरु और शुक्र आपस में मित्र भाव नहीं रखते। एक देव गुरु है एक दैत्य गुरु है तो निश्चित तौर शुक्र की राशि के लिए गुरु अच्छे भावों के स्वामी नहीं बनते। यहां पर गुरु की मूल त्रिकोण राशि धनु वह तीसरे भाव में आ जाती है और गुरु की जो मीन राशि है व छठे भाव में आ जाती है। गुरु दोनों अच्छे भावों के स्वामी नहीं होते। गुरु के इन दोनों भावों से संबंधित भी हानि हो सकती है, यह गोचर अच्छा नहीं है। निश्चित तौर पर लिहाजा यहां पर वक्री होना भी अच्छा नहीं है। 

अष्टम भाव आपका आयु स्थान होता है। अष्टम भाव आपका सीक्रेसी, रिसर्च का भाव होता है। अष्टम के ज्यादा सिग्निफिकेंट नेगेटिव है तो यहां पर गुरु का वक्री होना इस भाव में निश्चित तौर पर अच्छे रिजल्ट नहीं लेकर आएगा। तुला राशि के जातक चार महीनों के लिए गाड़ी धीमी चलाइए। किसी पर भी विश्वास मत करिए, अपने पासवर्ड सिक्योर रखिए। यहां पर धन की हानि हो सकती है चूंकि अष्टम धन हानि का भाव है इसलिए सीक्रेसी का भी भाव है। आपकी सीक्रेसी कंप्रोमाइज हो सकती है। आपकी प्राइवेसी लीक हो सकती है। इसका खास तौर पर ध्यान आपको जरूर रखना है। 

तीसरा भाव पराक्रम, भाई का भाव है। ऐसा हो सकता है इस वक्री अवस्था के दौरान कि आपकी अपने भाई के साथ थोड़ी सी ट्यूनिंग में आपको दिक्कत आए। छोटा भाई खास तौर पर पराक्रम में आप थोड़ी सी कमी देखने को आपको मिल सकती है।  कोई भी चीज आप करेंगे उसमें आपका कॉन्फिडेंस पूरा बनता हुआ नजर नहीं आएगा। छठा भाव चूंकि गुरु का भाव है यहां पर इसलिए यह भाव रोग, ऋण और शत्रु का भाव होता है। इसके नेगेटिव फल गुरु कर सकते हैं। अष्टम भाव में बैठने के दौरान वक्री अवस्था के दौरान तो यहां पर यदि आपका कोई लिटिगेशन चल रहा है तो कोशिश करिए कि लिटिगेशन में आपको डेट्स जो मिले 4 फरवरी के बाद की मिले। किसी कि गारंटी मत लीजिए, पैसा उधार मत दीजिए। पैसा उधार देंगे तो पैसा फंस जाएगा। ऑफिस में यदि आप काम करते हैं तो हो सकता है कोई न कोई आपके ऊपर ऐसा एलिगेशन लगा दे जो आपकी छवि को धूमिल कर दे। तो ये जो समय है चार महीने का तुला राशि के जातकों के लिए सावधान रहने का समय है। छठे भाव के गुरु स्वामी हैं अष्टम भाव में वो बैठे हैं। अष्टम भाव लंबी बीमारी दे जाता है तो कोशिश करिए इस अवधि में यदि आपको कोई ऐसा प्रॉब्लम होता है जो लंबा खींच सकता है। तुला राशि के जातकों को वो खराब रिजल्ट देकर जाएगा। गुरु का अष्टम भाव में वक्री होना क्योंकि शुभ गोचर में नहीं है क्योंकि मित्र नहीं है। इसलिए अशुभ गोचर में होना वक्री होना अष्टम में गुरु का तुला राशि के जातकों के लिए अच्छा नहीं है। यदि आपकी कुंडली में गुरु की पोजीशन खराब है। 

यदि आपकी कुंडली में गुरु की पोजीशन खराब है तो ये उपाय जरूर करें- 

जरूरतमंदों को ज्ञान बांटे। 

ॐ बृं बृहस्पतये नम: का जाप करें। 

चने की दाल या फिर पीला वस्त्र गुरुवार के दिन दान करें। 

इसके अलावा आप पुखराज धारण कर सकते हैं लेकिन पुखराज धारण करने से पहले यह जरूर सुनिश्चित करिए कि आपकी कुंडली में गुरु की पोजीशन छठे, आठवें, 12वें भाव में दूसरा भाव में हो। 

नरेश कुमार
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Content Editor

Prachi Sharma

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