Shani Vakri 2025: 138 दिन के लिए शनि वक्री, 03 राशियों पर संकट के दस्तक
punjabkesari.in Thursday, May 29, 2025 - 11:07 AM (IST)
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Shani Vakri 2025: शनि देव वक्री होने जा रहे हैं। 138 दिन का पीरियड है जब शनि देव मीन राशि में वक्री हो जाएंगे। अब मीन राशि में जब शनि देव वक्री हो रहे हैं, तो उसका आपके ऊपर क्या असर पड़ेगा ? वैसे तो हर प्लेनेट हर साल वक्री होता है। गुरु 120 दिन के लिए वक्री होते हैं। शनि लगभग 140 दिन के लिए वक्री होते हैं। शनि देव का यह गोचर कुछ राशियों के लिए बेहद खास होने वाला है। मीन राशि में जब शनि है तो कुछ राशियों के ऊपर साढ़ेसाती चल रही है, कुछ राशियों के ऊपर ढैया चल रही है। कुछ राशियों के लिए गोचर यह अच्छा भी है। मीन राशि में जब शनि है तो कुछ राशियों के ऊपर साढ़ेसाती चल रही है। कुछ राशियों के ऊपर ढई चल रही है। कुछ राशियों के लिए गोचर यह अच्छा भी है। यहां बात करेंगे किन राशियों के लिए ये गोचर अशुभ होने जा रहा है।
कुंभ राशि: कुंभ राशि के जातकों के लिए शनि का यह गोचर दूसरे भाव में हो रहा है। यानी कि कुंभ राशि के जातक शनि की साढ़ेसाती के आखिरी प्रभाव में है। यानी कि आखिरी ढैया है उनके ऊपर चल रही है। इस राशि के जितने भी जातक शतभिषा नक्षत्र में पैदा हुए हैं और उनके ऊपर इस समय शनि की जो है वह दशा भी चल रही है, महादशा भी चल रही है। यदि आपकी उम्र 30 से 50 साल के बीच है, आपका नक्षत्र सतशा है। आपकी राशि जो है वह कुंभ है तो आपके ऊपर शनि की ढैया भी चल रही है और शनि की साढ़ेसाती अह शनि की महादशा भी चल रही है। महादशा नाथ का वक्री हो जाना ढैया में आखिरी फेस में होना यह आपके लिए थोड़ा सा अच्छा नहीं है। इसलिए थोड़ा सा आपको सावधानियां जरूर रखनी पड़ेंगी। कारण यह है कि यह आपकी राशि के स्वामी भी हैं। शनि आपके लिए 12वें भाव के भी स्वामी हैं। 12वां आपका आयु स्थान है, 12वां आपका खर्चे का भाव होता है। मोक्ष का स्थान होता है। शनि की मूल त्रिकोण राशि जरूर लग्न में है। राशि के स्वामी का दूसरे भाव में जाकर वक्री होना यह आपके धन की हानि कर सकता है। यहां पर आपको थोड़ी सी दिक्कत हो सकती है। खासतौर पर यदि आपके ऊपर महादशा भी शनि की चल रही है। क्योंकि महादशा में शनि वह दोनों भावों के फल कर जाएंगे। कुंभ राशि के जितने भी जातक हैं उनके खर्चे बढ़ सकते हैं। सबसे पहले दूसरा क्योंकि वह दूसरे भाव में बैठे हैं। फोर्थ को देख रहे हैं, फोर्थ आपके एसेट्स का भावहोता है। आपका सुख स्थान इसको कहा जाता है। आपकी मदर का विचार यहां से किया जाता है। तो कुंभ राशि के जितने भी जातक हैं उनको अपनी मदर की हेल्थ को लेकर कंसर्न हो सकते हैं। थोड़ी सी चिंता बढ़ सकती है इन 138 दिनों में। तीसरा यहां पर शनि आपके लिए सीधी दृष्टि दे रहे हैं अष्टम भाव में। अष्टम भाव दुर्घटना का भाव होता है, अचानक से लॉस का भाव अष्टम होता है। लंबी बीमारी अष्टम से आती है। तो आपकी राशि के स्वामी का दूसरे जाकर अष्टम को देखना यह आपके अष्टम के सिग्निफिकेंट डिस्टर्ब करेगा। आपकी सीक्रेसी कॉम्प्रोमाइज हो सकती है इसलिए अपने पासवर्ड जरूर चेंज करिए। ड्राइविंग थोड़ी सी स्लो करें। आपके दूसरे भाव में बैठे शनि दशम को दृष्टि दे रहे हैं। प्रमोशन से जुड़ी चीजें आपकी लटक सकती हैं। यहां पर आपको थोड़ी सी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। आपको सेहत से लेकर भी दिक्कत आ सकती हैं। 12वां हॉस्पिटलाइजेशन का भी भाव होता है। तो खासतौर पर जिनका शतभिषा नक्षत्र है उनके लिए तो यह दिक्कत ही है क्योंकि दशा महादशा भी शनि की चल रही है। जिनका नहीं है उनको भी थोड़ा सा ज़रूर ध्यान रखना चाहिए क्योंकि ढैया चल रही है। शनि का आखिरी फेस में आकर वक्री हो जाना अच्छा नहीं है। कुंभ राशि के जितने भी जातक हैं वो इन दिनों के दौरान अपनी हेल्थ का जरूर ध्यान रखें, गाड़ी थोड़ा सा धीमी चलाएं। ऑफिस में किसी भी तरह की पॉलिटिक्स में इन्वॉल्व न हो। यदि आपको आपके ऊपर कोई आरोप लगता है, कोई दोषारोपण लगता है तो कोशिश करिए कि वहां से निकलने की कोशिश करिए क्योंकि चीजें दिक्कत भरी हो सकती हैं क्योंकि शनि का गोचर आपके लिए फेवरेबल नहीं है। शनि का वक्री होना आपके लिए फेवरेबल नहीं है। यदि इन सारी चीजों का थोड़ा सा ध्यान रखेंगे तो हो सकता है कि इन 138 दिनों के दौरान आपके ऊपर कोई बहुत ज्यादा इंपैक्ट न आए।
सिंह राशि: सिंह राशि के जातकों के लिए शनि का गोचर हो रहा है अष्टम भाव में। अष्टम भाव में शनि गोचर कर रहे हैं क्योंकि यहां पर सिंह राशि के लिए जो मीन राशि है वो अष्टम में आ जाती है। इसको अष्टम ढैया बोलते हैं शनि की। तो जब शनि अष्टम ढैया में होते हैं तो निश्चित तौर पर परेशान करते हैं खूब क्योंकि अष्टम भाव आपकी आयु का भाव है। शनि आयु के कारक हैं, अष्टम लंबी बीमारी का भाव है। अष्टम से दुर्घटना देखी जाती है, सडन लॉस अष्टम से ही आता है। तो जब शनि अष्टम में बैठते हैं तो आपके लिए दो चीजें ज्यादा जो है वह खराब हो सकती हैं। तीसरी दृष्टि से दशम भाव को देख रहे हैं तो कर्म भाव से संबंधित चीजें रिजल्ट आपको डिले मिलने शुरू हो जाते हैं। यदि आप जॉब करते हैं तो प्रमोशन में डिले हो जाती है। यदि आप अपना कोई कारोबार है तो आपकी पेमेंट्स में डिले हो सकती है। सिंह राशि के जितने भी जातक हैं वह शनि के 138 दिन के इस गोचर के दौरान थोड़ा सा सावधान जरूर रहें। खासतौर पर ड्राइविंग को लेकर जो लोग काम ऐसा करते हैं जहां पर दुर्घटना होने की संभावना रहती है। अष्टम में शनि वक्री होने जा रहे हैं और अष्टम आयु का भाव है, यह अच्छा भाव नहीं है। यदि सिंह राशि के जातकों की बात करते हैं तो शनि वैसे ही सिंह राशि के जातकों के लिए मारक हो जाते हैं। मारक इसलिए क्योंकि वह सप्तम के भी स्वामी हैं और अष्टम में भी उनकी अष्टम राशि है वह अष्टम में आ जाती है। एक राशि अष्टम में शनि की एक राशि सप्तम में आ जाती है और एक राशि छठे भाव में आ जाती है। सिंह राशि की कुंडली में मकर राशि आपके छठे भाव में आएगी और कुंभ राशि आपके सप्तम भाव में आ जाएंगे। तो छठे और सातवें दोनों का स्वामी होने के कारण सिंह राशि के जातकों के लिए शनि वैसा ही अच्छा फल वैसे भी अच्छा फल नहीं करते और यदि इन दोनों स्थानों का स्वामी अष्टम में चला जाए तो वह अच्छा नहीं है। खासतौर पर आपकी वाइफ के लिए अच्छा नहीं है। सप्तमेश अष्टम में चला गया वह आपकी वाइफ को लेकर यदि आप मैरिड हैं तो पार्टनर को लेकर बिजनेस पार्टनर को लेकर या लाइफ पार्टनर को लेकर दिक्कत हो सकती है, यह चीज़ जरूर ध्यान रखिए। दूसरा शनि की सीधी दृष्टि आपके दूसरे भाव पर है। पत्नी के साथ दिक्कत आएगी तो पारिवारिक प्रॉब्लम भी आ सकती है। आपको यह चीजें थोड़ी सी ध्यान में जरूर रखने वाली है। छठे भाव का स्वामी शनि अष्टम में जाना गोचर में और उसका वक्री हो जाना छठे भाव से संबंधित फलों को भी खराब करेगा। छठा क्या है? रोग का भाव है, ऋण का भाव है, शत्रु का भाव है। और यदि शनि यहां पर वक्री अवस्था में है, आपके कर्म को खराब कर रहे हैं। आपके दशम को खराब कर रहे हैं। आपके फिफ्थ हाउस को खराब कर रहे हैं। संतान पक्ष से भी आपको परेशानी हो सकती है। वाइफ की हेल्थ का भी ध्यान रखना पड़ेगा। कारोबार में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कुल मिलाकर सिंह राशि के जातकों के लिए 138 दिन शनि का वक्री होना अच्छा नहीं है। सिंह राशि के जो जातक मघा नक्षत्र में पैदा हुए हैं, जिनकी उम्र 30 से 40 साल के बीच है उनके ऊपर मंगल की दशा चल रही है। मंगल और शनि एक्सिस में भी आ जाएंगे, यह भी अच्छा नहीं है। जिनके ऊपर मंगल की दशा चल रही है, उनको थोड़ा सावधान रहना पड़ेगा। सिंह राशि के बहुत सारे जातक हैं जो मंगल की दशा में हैं। मंगल शनि 68 एक्सिस में आएंगे। वक्री मंगल, वक्री शनि मंगल के साथ 68 एक्सिस में आना भी अच्छा नहीं है। तो थोड़ा सा जरूर ध्यान रखना पड़ेगा। सिंह राशि के जातकों के लिए यह थोड़ा सा जरूर चिंता का विषय हो सकता है।
धनु राशि: धनु राशि के जातकों के लिए शनि का यह गोचर इसलिए अच्छा नहीं है क्योंकि धनु राशि के जातक इस समय शनि की ढैया से गुजर रहे हैं। शनि आपकी राशि से चौथे भाव में गोचर कर रहे हैं, यह केंद्र का भाव है। शनि आपकी कुंडली में उस भाव से गोचर कर रहे हैं जहां से हम सुख देखते हैं। पीस ऑफ माइंड यहां से देखा जाता है, इसे सुख स्थान कहते हैं। यहां पर से शनि का गोचर का मतलब है कि दसवीं दृष्टि आपकी राशि के ऊपर जा रही है। मतलब साफ है कि आपकी राशि के ऊपर शनि का नेगेटिव इंपैक्ट पहले ही है और उस राशि उस गोचर के दौरान शनि का वक्री हो जाना यह भी अच्छा नहीं है। शनि धनु राशि के लिए अच्छा फल नहीं करते वैसे भी क्योंकि शनि उसके लिए धनु राशि के लिए मारक स्थान के स्वामी हो जाते हैं। दूसरा स्थान मारक स्थान होता है, तीसरा भाव भी अच्छा भाव नहीं होता है क्योंकि तीसरा अष्टम का अष्टम होता है तो वह भी एक तरीके से अच्छा नहीं है। तो धनु राशि क्योंकि गुरु की राशि है उसके लिए शनि वैसे ही अच्छा फल नहीं करते। जब चंद्रमा से चौथे आ जाएंगे और वहां पर वक्री अवस्था में है तो हो सकता है कि उसके सिग्निफिकेंस ज्यादा खराब हो। तीसरी दृष्टि छठे भाव के ऊपर है तो इस दौरान किसी की गरंटी न लें। 30 से 40 साल के जो युवा हैं इस समय धनु राशि के वो मंगल की दशा में हैं। मूला नक्षत्र वाले खासतौर पर तो किसी की गारंटी मत लीजिएगा। मंगल और शनि आमने-सामने भी आएंगे, इसी वक्री अवस्था के दौरान ही आएंगे। शनि ज्यादा मूव नहीं करेंगे, मंगल मूव करता रहेगा तो मंगल शनि के सामने भी आएगा। मंगल शनि के साथ 68 एक्सिस में भी आएगा, यह एक्सिस अच्छा नहीं है। शनि यहां पर चौथे भाव में और भाव में बैठकर तीसरी दृष्टि से छठे भाव को देखेंगे। तो छठा भाव आपका रोग, ऋण और शत्रु का भाव है। किसी की फाइनेंशियलऔर लीगल गारंटी मत लीजिएगा। कोर्ट केसेस के मामले में हो सकता है कि आपको चीजें आपके फेवर में न आएं, इस दौरान मंगल के उपाय अवश्य करें। यदि आपको लगे कि कहीं कोई आपको फिजिकल समस्या आ रही है, डॉक्टर कोई एडवाइस कर रहे हैं, तो निश्चित तौर पर उसको सीरियसली लें। शनि यहां पर बैठे हैं, सीधी दृष्टि आपके कारोबार के स्थान को देंगे। कारोबार से संबंधित चीजें स्लो हो सकती हैं। हो सकता है कि नौकरी जहां पर आप करते हैं, वहां पर चीजें आपके फेवर में न जाएं। आपको आपके काम का पूरा क्रेडिट न मिल पाए। जितने भी धनु राशि के जातक हैं उनको ध्यान रखना है। अपनी एक्टिविटी का खासतौर पर अपनी फिजिकल स्थिति का जरूर ध्यान रखें। यदि कोई दिक्कत आती है तो उसको सीरियसली लिया जाए क्योंकि शनि आपके लिए राशि के मित्र तो नहीं है। छठे को प्रभावित कर रहे हैं, दशम को प्रभावित कर रहे हैं। आपकी राशि को प्रभावित कर रहे हैं तो निश्चित तौर पर आपके लिए थोड़ा सा दिक्कत हो सकती है। यदि आपकी कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर है।
शनि सूर्य के प्रभाव में है, अस्त है तो ऐसी स्थिति में आपको सैटर्न से संबंधित रेमेडीज़ जरूर करनी चाहिए-
शनिवार के दिन शाम के समय काली उड़द की दाल दान करें।
इसके अलावा शनि देव की आरती में भाग ले सकते हैं और शनि देव की शिला पर तेल अर्पित कर सकते हैं। यह छोटी-छोटी रेमेडीज हैं।
ओम शनि शनिश्चराय नमः का जाप करें।
नरेश कुमार
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