Shani vakri 2025: 138 दिन के लिए शनि वक्री, सिंह राशि वाले रहें सावधान
punjabkesari.in Friday, May 30, 2025 - 08:51 AM (IST)
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Shani vakri 2025: शनि देव वक्री होने जा रहे हैं। 138 दिन का पीरियड है जब शनि देव मीन राशि में वक्री हो जाएंगे। अब मीन राशि में जब शनि देव वक्री हो रहे हैं, तो उसका आपके ऊपर क्या असर पड़ेगा ? वैसे तो हर प्लेनेट हर साल वक्री होता है। गुरु 120 दिन के लिए वक्री होते हैं। शनि लगभग 140 दिन के लिए वक्री होते हैं। शनि देव का यह गोचर कुछ राशियों के लिए बेहद खास होने वाला है। मीन राशि में जब शनि है तो कुछ राशियों के ऊपर साढ़ेसाती चल रही है, कुछ राशियों के ऊपर ढैया चल रही है। कुछ राशियों के लिए गोचर यह अच्छा भी है। मीन राशि में जब शनि है तो कुछ राशियों के ऊपर साढ़ेसाती चल रही है। कुछ राशियों के लिए गोचर यह अच्छा भी है। यहां बात करेंगे किन राशियों के लिए ये गोचर अशुभ होने जा रहा है।
सिंह राशि: सिंह राशि के जातकों के लिए शनि का गोचर हो रहा है अष्टम भाव में। अष्टम भाव में शनि गोचर कर रहे हैं क्योंकि यहां पर सिंह राशि के लिए जो मीन राशि है वो अष्टम में आ जाती है। इसको अष्टम ढैया बोलते हैं शनि की। तो जब शनि अष्टम ढैया में होते हैं तो निश्चित तौर पर परेशान करते हैं खूब क्योंकि अष्टम भाव आपकी आयु का भाव है। शनि आयु के कारक हैं, अष्टम लंबी बीमारी का भाव है। अष्टम से दुर्घटना देखी जाती है, सडन लॉस अष्टम से ही आता है। तो जब शनि अष्टम में बैठते हैं तो आपके लिए दो चीजें ज्यादा जो है वह खराब हो सकती हैं। तीसरी दृष्टि से दशम भाव को देख रहे हैं तो कर्म भाव से संबंधित चीजें रिजल्ट आपको डिले मिलने शुरू हो जाते हैं। यदि आप जॉब करते हैं तो प्रमोशन में डिले हो जाती है। यदि आप अपना कोई कारोबार है तो आपकी पेमेंट्स में डिले हो सकती है। सिंह राशि के जितने भी जातक हैं वह शनि के 138 दिन के इस गोचर के दौरान थोड़ा सा सावधान जरूर रहें। खासतौर पर ड्राइविंग को लेकर जो लोग काम ऐसा करते हैं जहां पर दुर्घटना होने की संभावना रहती है। अष्टम में शनि वक्री होने जा रहे हैं और अष्टम आयु का भाव है, यह अच्छा भाव नहीं है। यदि सिंह राशि के जातकों की बात करते हैं तो शनि वैसे ही सिंह राशि के जातकों के लिए मारक हो जाते हैं। मारक इसलिए क्योंकि वह सप्तम के भी स्वामी हैं और अष्टम में भी उनकी अष्टम राशि है वह अष्टम में आ जाती है। एक राशि अष्टम में शनि की एक राशि सप्तम में आ जाती है और एक राशि छठे भाव में आ जाती है। सिंह राशि की कुंडली में मकर राशि आपके छठे भाव में आएगी और कुंभ राशि आपके सप्तम भाव में आ जाएंगे। तो छठे और सातवें दोनों का स्वामी होने के कारण सिंह राशि के जातकों के लिए शनि वैसा ही अच्छा फल वैसे भी अच्छा फल नहीं करते और यदि इन दोनों स्थानों का स्वामी अष्टम में चला जाए तो वह अच्छा नहीं है। खासतौर पर आपकी वाइफ के लिए अच्छा नहीं है। सप्तमेश अष्टम में चला गया वह आपकी वाइफ को लेकर यदि आप मैरिड हैं तो पार्टनर को लेकर बिजनेस पार्टनर को लेकर या लाइफ पार्टनर को लेकर दिक्कत हो सकती है, यह चीज़ जरूर ध्यान रखिए। दूसरा शनि की सीधी दृष्टि आपके दूसरे भाव पर है। पत्नी के साथ दिक्कत आएगी तो पारिवारिक प्रॉब्लम भी आ सकती है। आपको यह चीजें थोड़ी सी ध्यान में जरूर रखने वाली है। छठे भाव का स्वामी शनि अष्टम में जाना गोचर में और उसका वक्री हो जाना छठे भाव से संबंधित फलों को भी खराब करेगा। छठा क्या है? रोग का भाव है, ऋण का भाव है, शत्रु का भाव है। और यदि शनि यहां पर वक्री अवस्था में है, आपके कर्म को खराब कर रहे हैं। आपके दशम को खराब कर रहे हैं। आपके फिफ्थ हाउस को खराब कर रहे हैं। संतान पक्ष से भी आपको परेशानी हो सकती है। वाइफ की हेल्थ का भी ध्यान रखना पड़ेगा। कारोबार में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कुल मिलाकर सिंह राशि के जातकों के लिए 138 दिन शनि का वक्री होना अच्छा नहीं है। सिंह राशि के जो जातक मघा नक्षत्र में पैदा हुए हैं, जिनकी उम्र 30 से 40 साल के बीच है उनके ऊपर मंगल की दशा चल रही है। मंगल और शनि एक्सिस में भी आ जाएंगे, यह भी अच्छा नहीं है। जिनके ऊपर मंगल की दशा चल रही है, उनको थोड़ा सावधान रहना पड़ेगा। सिंह राशि के बहुत सारे जातक हैं जो मंगल की दशा में हैं। मंगल शनि 68 एक्सिस में आएंगे। वक्री मंगल, वक्री शनि मंगल के साथ 68 एक्सिस में आना भी अच्छा नहीं है। तो थोड़ा सा जरूर ध्यान रखना पड़ेगा। सिंह राशि के जातकों के लिए यह थोड़ा सा जरूर चिंता का विषय हो सकता है।
शनि सूर्य के प्रभाव में है, अस्त है तो ऐसी स्थिति में आपको सैटर्न से संबंधित रेमेडीज़ जरूर करनी चाहिए-
शनिवार के दिन शाम के समय काली उड़द की दाल दान करें।
इसके अलावा शनि देव की आरती में भाग ले सकते हैं और शनि देव की शिला पर तेल अर्पित कर सकते हैं। यह छोटी-छोटी रेमेडीज हैं।
ओम शनि शनिश्चराय नमः का जाप करें।
नरेश कुमार
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