कलियुग में आत्मा क्यों हुई अशुद्ध ? जानिए बी.के. शिवानी का आध्यात्मिक विश्लेषण

punjabkesari.in Wednesday, Jul 09, 2025 - 07:01 AM (IST)

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Anmol Vachan in Hindi: आत्मा की शुद्धि के बिना आनंद असंभव है। हमारा जीवन भौतिकता तक ही सीमित नहीं है। आत्मा हमारे विचारों, भावों और कर्मों का केंद्र है। आत्मा की शुद्धि तभी होती है जब हम परमात्मा से जुड़ते हैं। जब हम शरीर से संबंध जोड़ लेते हैं तो फिर अहंकार, क्रोध, लोभ दुर्गण जन्म लेते हैं। सतयुग में हमारी आत्मा पूर्ण रूप से शुद्ध थी। जन्म-जन्म के चक्कर ने हमें कलियुग तक पहुंचा दिया है। यहां हमारी आध्यात्मिकता कमजोर हो गई है। -बी.के. शिवानी 

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हम दूसरों के प्रति द्वेष भाव रख कर खुद को पतन की तरफ धकेल देते हैं। प्रभु इच्छा से जो मिला है उसे स्वीकार करो। आलोचना की कैंची चला कर अपना मजा किरकिरा न करो। प्रसन्नता वह चंदन है जिसे तुम प्रतिदिन माथे पर लगा सकते हो। कोई आपके द्वार पर आए, उसका भी तिलक कर अपने सौभाग्य को बदल सकते हो। प्रसन्नता का इत्र सब पर छिड़कें। इस पर न कोई टैक्स है, न ही कोई जी.एस.टी.। किसी को छोटा न समझें। -साध्वी शुभिता 

आज भारतीयों की औसत आयु 65 वर्ष है जबकि जापानियों की 90 वर्ष है। हमने चलना-फिरना बंद कर दिया। बीमारियों का कारण हम खुद हैं। योग सिखाता है कि हर व्यक्ति अपना डाक्टर खुद बने। स्वास्थ्य का मतलब है खुश रहना। योग करोगे तो शरीर की जकड़न मिट जाएगी। आपके अंदर उत्साह बढ़ेगा। फिटनेस योग का पहला नाम है। तनाव नहीं होगा। शरीर में लचीलापन आता है। सप्ताह में एक बार जरूर करें। -राष्ट्रसंत चंद्र प्रभ

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जिस मां की परवाह उसका बेटा करता है, वह दुनिया की सबसे अमीर मां है। ऐसी मां से भाग्यशाली व अमीर तो महलों में रहने वाली राज माता भी नहीं होती। ऐसे बेटे भी किस्मत से मिलते हैं।  -जया किशोरी

पैदा होने और मरने तक कई रिश्ते जीवन में बनते हैं, पर माता-पिता की तरह प्यार करने वाला, देखभाल करने वाला, चोट लगने पर फूंक मारने वाला। 

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Content Editor

Prachi Sharma

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