40 साल में टूटे 2,000 से ज्यादा पुल, जानिए ब्रिज क्यों बन रहे हैं मौत की वजह?

punjabkesari.in Friday, Jul 11, 2025 - 04:04 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत में हर बार किसी पुल के गिरने की खबर आती है तो सरकार की तरफ से एक जैसे बयान सामने आते हैं - “जांच के आदेश दे दिए गए हैं”, “जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई होगी”। लेकिन हकीकत यह है कि इन बयानों से आगे शायद ही कभी कोई ठोस कदम उठाया जाता है। जांच की रिपोर्टें कभी सार्वजनिक नहीं होतीं और अधिकांश मामलों में दोषी लोग बिना किसी सज़ा के छूट जाते हैं। यह न केवल प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है, बल्कि देशभर में बने लाखों पुलों की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
हाल ही में गुजरात में वडोदरा और आणंद को जोड़ने वाला गंभीरा ब्रिज हाल ही में भारी बारिश के चलते टूट गया। इस भयावह हादसे में कई वाहन नदी में गिर गए और 9 लोगों की जान चली गई। राज्य के मंत्री ऋषिकेश पटेल ने हादसे पर दुख जताया और बताया कि पुल की मरम्मत पहले कर दी गई थी। इसके बावजूद ब्रिज का गिरना कई सवाल खड़े करता है - क्या मरम्मत केवल कागजों पर हुई थी?

पुलों का गिरना देश में नई बात नहीं

गंभीर चिंता की बात ये है कि ये कोई पहली घटना नहीं है। एक अंतरराष्ट्रीय शोध के अनुसार पिछले 40 वर्षों में भारत में 2,130 पुल गिर चुके हैं। यानी हर साल औसतन 50 पुल ढहते हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि यह समस्या केवल किसी एक राज्य की नहीं, बल्कि देशव्यापी संकट बन चुकी है।

40 सालों का आंकड़ा डराने वाला है

साल 2020 में प्रकाशित एक व्यापक अध्ययन ‘भारत में 1977 से 2017 तक पुलों के टूटने का विश्लेषण’ (Analysis of Bridge Failures in India from 1977 to 2017) में भारत में पुलों के गिरने के प्रमुख कारणों का गहराई से विश्लेषण किया गया। यह शोध Structure and Infrastructure Engineering Journal में प्रकाशित हुआ था। अध्ययन के अनुसार, भारत में पुलों के ढहने के सबसे बड़े कारण प्राकृतिक आपदाएं रही हैं, जिनमें बाढ़, अत्यधिक बारिश और भूकंप जैसे तत्व शामिल हैं। कुल घटनाओं में से 80.3% ब्रिज प्राकृतिक आपदाओं की वजह से गिरे। इसके अलावा, 10.1% पुलों के गिरने का कारण निर्माण सामग्री की खराब गुणवत्ता था। 3.28% हादसे ओवरलोडिंग यानी तय सीमा से अधिक भार डालने की वजह से हुए, जबकि शेष घटनाएं डिज़ाइन की खामी, निर्माण में लापरवाही और रखरखाव की कमी के चलते सामने आईं। यह रिपोर्ट यह दर्शाती है कि तकनीकी, प्रबंधन और प्राकृतिक सभी स्तरों पर गंभीर सुधार की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी सुरक्षित नहीं पुल

साल 2024 की एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले तीन वर्षों में 21 पुल केवल राष्ट्रीय राजमार्गों पर ही गिर चुके हैं।
इनमें:

  • 15 ब्रिज पहले से चालू थे

  • 6 निर्माणाधीन थे

यह दिखाता है कि पुराने पुल ही नहीं बल्कि नए निर्माण भी सुरक्षित नहीं हैं।

भारत में हुए बड़े पुल हादसे: एक नजर

1. मोरबी सस्पेंशन ब्रिज (30 अक्टूबर, 2022)

  • स्थान: मच्छू नदी, गुजरात

  • कारण: तकनीकी खराबी और मेंटेनेंस की कमी

  • हताहत: 135 मौतें, 56 घायल

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2. मुंबई फुट ओवरब्रिज (14 मार्च, 2019)

  • स्थान: CSMT स्टेशन के पास

  • हताहत: 6 मौतें, 30 घायल

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3. वाराणसी फ्लाईओवर हादसा (15 मई, 2018)

  • निर्माणाधीन पुल का हिस्सा गिरा

  • हताहत: 18 लोगों की मौत

4. माजेरहाट फ्लाईओवर, कोलकाता (4 सितंबर, 2018)

  • 50 साल पुराना पुल

  • हताहत: 3 मौतें, 24 घायल

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5. विवेकानंद रोड फ्लाईओवर, कोलकाता (31 मार्च, 2016)

  • निर्माण के दौरान ढह गया

  • हताहत: 27 मौतें, 80 घायल

6. दार्जिलिंग फुटब्रिज हादसा (22 अक्टूबर, 2011)

  • लकड़ी का पुराना पुल

  • हताहत: 32 लोगों की जान, 60 घायल

7. अरुणाचल प्रदेश फुटब्रिज (29 अक्टूबर, 2011)

  • कामेंग नदी पर बना था

  • हताहत: 30 से ज्यादा मौतें, अधिकतर बच्चे

क्यों गिर रहे हैं पुल? मुख्य कारण

  1. प्राकृतिक आपदाएं: भारी बारिश, बाढ़ और भूकंप से नींव कमजोर हो जाती है।

  2. निर्माण की गुणवत्ता: घटिया सामग्री और भ्रष्टाचार निर्माण में लापरवाही लाता है।

  3. ओवरलोडिंग: पुलों की भार क्षमता से अधिक लोड डाला जाता है।

  4. पुरानी संरचना: दशकों पुराने पुल आज की ट्रैफिक ज़रूरतों के लिए उपयुक्त नहीं।

  5. रखरखाव की कमी: नियमित जांच नहीं होती, मरम्मत में देरी होती है।

  6. अप्रशिक्षित मजदूर और डिजाइन की खामी भी एक बड़ी वजह है।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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