शिंगणापुर कैसे पहुंचे शनिदेव?

punjabkesari.in Friday, Jul 01, 2016 - 07:45 AM (IST)

महाराष्ट्र के शिंगणापुर धाम में शनि महाराज की कोई मूर्त नहीं है बल्कि एक बड़ा सा काला पत्थर है जिसे शनि का विग्रह माना जाता है। शनि के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए देश-विदेश के लोग यहां आते हैं और शनि विग्रह की पूजा करके शनि के कुप्रभाव से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। माना जाता है कि यहां पर शनि महाराज का तैलाभिषेक करने वाले को शनि कभी कष्ट नहीं देते। 
 
शनि महाराज के शिंगणापुर पहुंचने की कहानी बड़ी ही रोचक है। सदियों पहले शिंगनापुर में खूब वर्षा हुई। वर्षा के कारण यहां बाढ़ की स्थिति आ गई। लोगों को वर्षा प्रलय के समान लग रही थी। इसी बीच एक रात शनि महाराज एक गांववासी के सपने में आए। 
 

शनि महाराज ने कहा कि मैं पानस नाले में विग्रह रूप में मौजूद हूं। मेरे विग्रह को उठाकर गांव में लाकर स्थापित करो। सुबह इस व्यक्ति ने गांव वालों को यह बात बताई। सभी लोग पानस नाले पर गए और वहां मौजूद शनि का विग्रह देखकर सभी हैरान रह गए। गांव वाले मिल कर उस विग्रह को उठाने लगे लेकिन विग्रह हिला तक नहीं, सभी हारकर वापस लौट आए।  शनि महाराज फिर उस रात उसी व्यक्ति के सपने में आए और बताया कि कोई मामा-भांजा मिल कर मुझे उठाएं तभी मैं उस स्थान से उठूंगा। मुझे उस बैलगाड़ी में बैठाकर लाना जिसमें लगे बैल भी मामा-भांजा हों। अगले दिन उस व्यक्ति ने जब यह बात बताई तब एक मामा भांजे ने मिल कर विग्रह को उठाया। बैलगाड़ी पर बिठाकर शनि महाराज को गांव में लाया गया और उस स्थान पर स्थापित किया जहां वर्तमान में शनि विग्रह मौजूद है। इस विग्रह की स्थापना के बाद गांव की समृद्धि बढ़ी और यहां दर्शन कर तैलाभिषेक करने वालों की खुशहाली बढऩे लगी। 


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