आपातकाल : इंदिरा ने गद्दी बचाने के लिए देश को कैदगाह बना डाला

punjabkesari.in Saturday, Jun 25, 2022 - 06:32 AM (IST)

1975 इसी तरह जून महीने की 25 तारीख। मैं आराम से आर्य ब्वॉयज स्कूल में पढ़ा रहा था कि अचानक सुबह 10.30 बजे स्कूल को पुलिस ने घेर लिया। पुलिस इंस्पैक्टर स. मुख्तयार सिंह प्रिंसिपल ऑफिस में मेरी गिरफ्तारी की प्रतीक्षा करने लगे। क्लास में ही स्कूल के चपड़ासी मुंशी राम ने कान में कहा कि आपको पुलिस पकडऩे आई है। 

तब मैं पठानकोट जनसंघ का महामंत्री था। मैंने मुंशीराम से कहा चुपचाप जो मैं कहता हूं करो। वह सामने सीढ़ी है उस कमरे के सामने लगा दो। उसने वैसा ही किया। मैं सीढ़ी द्वारा छलांग लगा, पड़ोसी के मकान में कूद गया। मकान दो मंजिला था। मेरी छलांग से मकान मालिक वेदव्रत शाह उसके पारिवारिक मैंबर तत्काल इकट्ठे हो गए। शोर मचाने लगे, ‘चोर, चोर’। मैंने सोचा स्कूल से पुलिस की नजर से तो बच गया परन्तु यह लोग तो मुझे पकड़ कर स्वयं पुलिस के हवाले कर देंगे। 

उसी 25 जून को पुलिस मेरे स्कूल के ड्राइंगमास्टर श्री कस्तूरी लाल को लेकर गंदे नाले पर मेरे पुराने घर पहुंच गई। मेरी छोटी-सी लाइब्रेरी को पुलिस ने तहस-नहस कर दिया। मेरी डायरी लेकर, मेरे बड़े भाई को मेरे स्थान पर दो-तीन दिन बिना कसूर बैठाए रखा। मेरे परिवार को पता नहीं था कि मैं कहां हूं। आठ महीने के बाद सत्याग्रह कर जेल चला गया। पूछो, यह सब पुलिस ने क्यों  किया? देश में आपातकाल (एमरजैंसी) घोषित हो चुका था। 

देश भर में पक्ष-विपक्ष के बड़े-बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। 25 जून, 1975 को देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी आज के कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा  की दादी ने सिर्फ अपनी गद्दी बचाने के लिए सारे देश को कैदगाह बना दिया।

अटल बिहारी वाजपेयी, एल.के. अडवानी, मोरारजी देसाई, राज नारायण, चौ. चरण सिंह, चौ. देवी लाल, मधु लिमये, मधु दंडवते, सिकंदर बख्त, चंद्रशेखर, रामधन, मोहन धारिया, जैसे अनेक नेताओं को जेल में बंद कर दिया। वयोवृद्ध विपक्ष के नेता गांधीवाद की विचारधारा के अग्रणी श्री जय प्रकाश नारायण को बीमारी की अवस्था में भी चंडीगढ़ के पी.जी.आई. को जेल में परिवर्तित कर बंदी बना लिया। प्रैस पर सैंसरशिप लगा दी और मौलिक अधिकारों को निरस्त कर दिया। सारी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बिंदू राहुल गांधी के चाचा संजय गांधी को बना दिया। आज की पीढ़ी फिर प्रश्र करेगी, ऐसा क्यों किया गया? 

तो सुनो, तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज श्रीमान जगमोहन लाल सिन्हा ने लोकसभा 1971 के चुनाव में रायबरेली लोकसभा क्षेत्र में अपना चुनाव लडऩे में भ्रष्ट साधन अपनाने का दोषी ठहराया था। उन्हें छ: साल तक कोई भी चुनाव लडऩे के अयोग्य भी ठहराया गया।

रायबरेली के लोकसभा चुनाव में श्रीमती इंदिरा गांधी ने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया था। यह निर्णय श्रीमती इंदिरा गांधी के विरुद्ध चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवार राज नारायण की याचिका पर दिया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री और उनकी किचन कैबिनेट के साथी किसी भी कीमत पर नहीं चाहते थे कि हाईकोर्ट के निर्णय को मानते हुए प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी त्यागपत्र दें। इससे गहरा राजनीतिक संकट पैदा हो गया। लिहाजा 25 जून, 1975 से 21 मार्च, 1977 तक की 21 महीने की अवधि में भारत में आपात काल घोषित था। 

तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल था। आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए तथा नागरिक अधिकारों को समाप्त करके मनमानी की गई। राजनीतिक विरोधी जेल में डाल दिए और प्रैस प्रतिबंधित कर दिया। प्रधानमंत्री के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर नसबंदी अभियान चलाया गया। जय प्रकाश नारायण-सर्वोदय नेता ने इसे ‘भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि’ कहा। ‘विनाशकाले विपरीत बुद्धि’ इन सबके बावजूद इंदिरा गांधी टस से मस न हुईं। यहां तक कि कांग्रेस पार्टी ने भी बयान जारी कर कहा कि इंदिरा का नेतृत्व पार्टी के लिए अपरिहार्य है। सब तरफ नारे गुंजाए जाने लगे, ‘इंदिरा इज इंडिया एंड इंडिया इज इंदिरा।’ 

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को प्रतिबंधित कर दिया गया क्योंकि यह संगठन विपक्षी नेताओं को श्रीमती इंदिरा गांधी के विरुद्ध भड़का रहा था और सर्वोदय नेता जय प्रकाश नारायण के आंदोलन को भड़काने में घी का काम कर रहा था। पुलिस भी इस संगठन पर टूट पड़ी, इसके हजारों कार्यकत्र्ताओं को कैद कर लिया। सिखों के जत्थे नारे लगाते हुए कि ‘शहरी आजादियां बहाल करो’, ‘आपातकाल हटाओ’ के साथ गिरफ्तारियां देने लगे।

लाखों संघ के स्वयं सेवकों और शिरोमणि अकाली दल के कार्यकत्र्ताओं ने एमरजैंसी के विरुद्ध सत्याग्रह पर गिरफ्तारियां दीं। बच्चे, बूढ़े और जवान सबने इकट्ठे होकर इस आपातकाल का विरोध किया। जिसके परिणामस्वरूप श्रीमती इंदिरा गांधी ने 21 महीनों के बाद आपातकाल हटाया। देश में मार्च 1977 में लोकसभा के चुनाव में एक नया राजनीतिक दल जिसका नाम ‘जनता पार्टी’ था राजनीति के क्षितिज पर उदय हुआ। लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी को भारी बहुमत प्राप्त हुआ। 

केंद्र में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी। इसे देश का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि जनता पार्टी की सरकार अपने ही विरोधाभासों से मात्र अढ़ाई साल चली। जनता की उम्मीदें धराशायी हो गईं।1980 में लोकसभा के पुन: चुनाव हुए जिसमें श्रीमती इंदिरा गांधी पुन: केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनाने में सफल हो गईं। आज यदि हम देश के वर्तमान दृश्य पर नजर डालते हैं तो पता चलता है कि विपक्ष है ही नहीं। कांग्रेस के वर्तमान गांधी परिवार के नेतृत्व को जनता स्वीकार नहीं कर पा रही। विपक्ष पहले तो है ही नहीं और यदि थोड़ा-बहुत दिखाई भी देता है तो बिखरा हुआ है।-मा. मोहन लाल(पूर्व परिवहन मंत्री, पंजाब)


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