सड़कों पर पड़े गड्ढों से बड़ी संख्या में हो रही मौतें

punjabkesari.in Friday, Aug 23, 2019 - 12:18 AM (IST)

वैसे तो हमारे देश में 12 महीने सड़कों पर गड्ढों आदि के कारण दुर्घटनाएं होती ही रहती हैं परंतु वर्षा ऋतु के आने पर तो सड़कों की हालत बदतर हो जाती है और बड़े-बड़े गड्ढे उभर आते हैं। प्रतिवर्ष सड़कों की मुरम्मत और देखभाल के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हो रहा व असंख्य वाहन दुर्घटनाग्रस्त होकर लोगों की मौत का कारण बन रहे हैं जिनके चंद ताजा उदाहरण निम्र में दर्ज हैं : 

27 जुलाई को तेलंगाना के वारंगल में सड़क के गड्ढों से बचने के प्रयास में एक बस सामने से आ रही दूसरी बस से जा टकराई जिससे एक यात्री की मृत्यु हो गई। 08 अगस्त को महाराष्ट्र के अम्बरनाथ में सड़क पर गड्ढों से बच कर निकल रहे कांस्टेबल को पीछे से आ रहे ट्रक ने रौंद कर मार डाला। 15 अगस्त को झारखंड के गुमला में सड़क पर पड़े गड्ढों में धंस कर गिर जाने से मोटरसाइकिल सवार युवक की मृत्यु हो गई। 16 अगस्त को उल्हास नगर में सड़क पर गड्ढों में फंस कर वहां से गुजर रहे डम्पर का पहिया फट जाने से उसकी लोहे की रिंग वहां से गुजर रहे बच्चे को लगने से उसकी मृत्यु हो गई। 16 अगस्त को ही अलीगढ़ में यमुना एक्सप्रैस पर गड्ढों से बचने की कोशिश कर रहे 2 मोटरसाइकिल सवार युवकों को पीछे से आ रहे ट्रक द्वारा कुचल देने से दोनों की मौत हो गई। 

19 अगस्त को रीवा में गड्ढों के कारण अनियंत्रित होकर पलट जाने से बस में सवार डेढ़ दर्जन यात्री घायल हो गए। 19 अगस्त को जालंधर में टांडा रोड पर स्कूल से लौट रही साक्षी नामक 9 वर्षीय बच्ची सड़क पर पड़े गड्ढों  के कारण आटो से उछल कर सड़क पर जा गिरी और उसकी मृत्यु हो गई। 20 अगस्त को जमशेदपुर में मैरीन ड्राइव पर गड्ढों से बचाने के लिए लगाई ब्रेक के चलते एक मोटरसाइकिल के सड़क किनारे लगी बैरीकेड से टकरा जाने से एक युवती की मृत्यु हो गई। 20 अगस्त को पटना के बाढ़ थाना क्षेत्र में यात्रियों से भरी वैन सड़क किनारे पानी से भरे गड्ढों में पलट जाने से 2 दर्जन यात्री घायल हो गए। 

गड्ढों की इस समस्या से निपटने के लिए मुम्बई में चंद पॉट होल्स वारियर्स आगे आए हैं जो अपने दम पर सड़कों पर गड्ढों की तस्वीरें खींच कर सोशल मीडिया पर डालते हैं ताकि अपनी तैयारियों का दावा करने वाली बी.एम.सी. की आंखों सेपट्टी उतर जाए जिसके बाद बी.एम.सी. इन गड्ढों को भरने के लिए मजबूर हो जाती है। आखिर कब तक सरकारी निकायों की लापरवाही की कीमत देशवासी अपनी जान देकर चुकाते रहेंगे और या फिर सड़कों के गड्ढों भरने के लिए मुम्बई की भांति ही पॉट होल्स वारियर्स को आगे आना होगा।—विजय कुमार 


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