लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव में हिंसा, तोड़फोड़ और पत्थरबाजी

punjabkesari.in Monday, Apr 22, 2024 - 05:07 AM (IST)

18वीं लोकसभा के चुनाव के लिए देश के 21 राज्यों की 102 सीटों पर बूथ कैप्चरिंग, इलैक्ट्रानिक वोटिंग मशीनें तोडऩे और हिंसा की घटनाओं के बीच औसतन 61 प्रतिशत मतदान के साथ मतदान का पहला चरण 19 अप्रैल को सम्पन्न हो गया। इसमें सर्वाधिक मतदान (80.46 प्रतिशत) त्रिपुरा में और सबसे कम बिहार में (48.50 प्रतिशत) हुआ। पश्चिम बंगाल की 3 सीटों में से कूचबिहार में तृणमूल और भाजपा के समर्थक आपस में भिड़ गए। कूचबिहार के ‘चांदमाड़ी’ इलाके में 2 गुटों के बीच जमकर पथराव में अनेक लोग घायल हो गए। चांदमाड़ी इलाके में भाजपा के बूथ अध्यक्ष लोब सरकार और बारोकोडाली ग्राम पंचायत में तृणमूल कांग्रेस के एक नेता पर हमला किया गया। अनेक चुनाव एजैंटों पर भी हमले किए गए।

‘दिनहाटा’ में एक बम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने पर लोगों में दहशत फैल गई। बंगाल में निर्वाचन आयोग को विभिन्न पक्षों द्वारा 383 से अधिक शिकायतें मिलीं। तृणमूल कांग्रेस पर भाजपा के कुछ वर्करों को पीटने तथा अपने समर्थकों को मतदान केंद्रों तक पहुंचने से रोकने के लिए हिंसा का सहारा लेने का आरोप लगाया गया है। नक्सलवाद ग्रस्त छत्तीसगढ़ के बीजापुर में एक मतदान केंद्र में ग्रेनेड फटने से एक जवान की मौत हो गई तथा एक सहायक कमांडैंट घायल हो गया। हिंसाग्रस्त आंतरिक और बाहरी मणिपुर के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में विभिन्न गुटों के बीच संघर्ष के परिणामस्वरूप कुछ देर के लिए मतदान रोकना पड़ा। इम्फाल पश्चिम के बूथ में सशस्त्र बदमाशों ने अंदर घुस कर ई.वी.एम. में तोडफ़ाड़ की, गोलियां चलाईं तथा कई जगह बूथों पर कब्जा करने की कोशिश की। मणिपुर के ‘थमनपोपकी’ में एक मतदान केंद्र पर गोलीबारी में 3 लोग घायल हो गए। राज्य में कुकु समुदाय के ‘यंग कुकी ग्रुप’ ने मतदान का बहिष्कार करने की घोषणा कर रखी है। 

बिहार के नवादा में एक सिपाही की एस.एल.आर. राइफल तथा 20 गोलियां चोरी हो गईं। नागालैंड के 6 जिलों के 20 विधानसभा क्षेत्रों में एक भी वोट नहीं डाला गया। ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स फ्रंट ने अलग राज्य की मांग को लेकर यहां मतदान का बहिष्कार किया था। इस तरह के माहौल में मतदान का पहला चरण कुछ प्रश्न छोड़ कर सम्पन्न हो गया। हम कहते हैं कि विश्व में हमारा सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है परंतु क्या हमारे संविधान निर्माताओं ने इस तरह के लोकतंत्र की कल्पना की थी? इस तरह के हालात के बीच हमारे निर्वाचन आयोग को और हमारे पुलिस प्रशासन तथा अन्य सुरक्षा बलों को अधिक सजग और सतर्क होना पड़ेगा ताकि चुनावों में हिंसा न हो और हमारा देश सही अर्थों में विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहलाने का हकदार बन सके। ऐसा नहीं है कि पहले भी चुनावों के दौरान हिंसा नहीं हुई थी परंतु 2024 के लोकसभा चुनावों के पहले चरण में ङ्क्षहसा की ऐसी वारदातों का घटना निश्चित तौर पर चिंताजनक बात है।


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