ट्रम्प की ‘प्रैशर टैक्टिक्स’ के चलते ‘ठंडे पडऩे लगे भारत-अमरीका संबंध’

punjabkesari.in Saturday, Jun 30, 2018 - 01:45 AM (IST)

भारत और अमरीका के बीच अच्छे रिश्ते रहे हैं। डोनाल्ड ट्रम्प के अमरीका का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनका अच्छा समीकरण बना था तथा दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होने की आशा बंधी थी परंतु अब ऐसा लगता है कि आर्थिक मोर्चे पर ट्रम्प भारत को कोई विशेष रियायत नहीं देना चाहते। 

दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों में कटुता का पहला संकेत इस वर्ष फरवरी में मिला जब ट्रम्प ने भारत को अमरीकी टैरिफ के अनुसार न चलने पर जवाबी टैक्स लगाने की धमकी दे डाली। सबसे पहले ट्रम्प ने भारत सरकार द्वारा अमरीकी हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिलों पर लगाई जा रही 50 प्रतिशत इम्पोर्ट ड्यूटी पर अपनी नाराजगी जताई। भारत द्वारा इस वर्ष फरवरी में इन मोटरसाइकिलों पर इम्पोर्ट ड्यूटी 75 प्रतिशत से घटाकर 50 प्रतिशत करने के बावजूद ट्रम्प खुश नहीं हुए और उन्होंने यहां तक कह दिया कि भारत को लगता है कि वह इम्पोर्ट ड्यूटी घटाकर अमरीका पर एहसान कर रहा है। 

ट्रम्प ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काफी आलोचना भी की और कहा कि भारत से आयात होने वाली मोटरसाइकिलों पर अमरीका में जीरो टैक्स लगाया जा रहा है परंतु यदि वे 25, 50 या 75 लगाते हैं तो हम भी उतना ही टैक्स लगाएंगे। इसके बाद अमरीका ने एल्यूमीनियम पर 10 प्रतिशत और स्टील पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया वहीं भारत ने भी इसके जवाब में जून में अमरीका द्वारा भारत को निर्यात करने वाले 29 अमरीकी उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा कर 70 प्रतिशत कर दी। अमरीका के विरुद्ध भारत द्वारा जवाबी कार्रवाई करने का यह पहला अवसर है। 

इस तरह के घटनाक्रम के बीच अमरीका ने ईरान के विरुद्ध लगाए गए एकतरफा प्रतिबंधों को बढ़ाते हुए भारत, चीन तथा अन्य देशों पर ईरान से तेल खरीद बंद करने के लिए दबाव बनाने की शृंखला में 4 नवम्बर तक भारत को ईरान से तेल का आयात समाप्त करने या अपने विरुद्ध प्रतिबंधों का सामना करने के लिए तैयार रहने को कह कर एक और धमाका कर दिया और कहा कि किसी भी देश को इससे छूट नहीं दी जाएगी। बहरहाल अमरीका की ओर से पड़ रहे दबाव के बीच भारत सरकार ने संयम का प्रदर्शन करते हुए अपना रुख नर्म करने के संकेत दिए हैं। इसमें नवम्बर से ईरान से कच्चे तेल का आयात न करना या इसमें कटौती करना तथा 4 अगस्त से 29 अमरीकी उत्पादों पर लगाई जाने वाली अतिरिक्त ड्यूटी में वृद्धि को वापस लेना शामिल है। 

भारत को रूस के साथ एस-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद संबंधी समझौते और ईरान से तेल आयात बंद न करने पर अमरीका की ओर से दोतरफा प्रतिबंधों का डर है। इसी बीच भारत आई संयुक्त राष्टï्र में अमरीका की राजदूत निक्की हेली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ईरानी तेल पर निर्भरता कम करने और ईरान से संबंधों पर पुनर्विचार करने के लिए कहने के साथ ही चेतावनी भी दी है कि उससे तेल खरीदने वाले किसी भी देश को 4 नवम्बर के बाद बख्शा नहीं जाएगा। इस तरह के माहौल के बीच भारत और अमरीका में 6 जुलाई को वाशिंगटन में अमरीकी विदेश मंत्री माइकल पोंपियो और भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज में होने वाली ‘टू प्लस टू’ वार्ता भी दूसरी बार स्थगित हो गई है। 

पहले यह वार्ता मार्च में होने वाली थी। इस पर जून, 2017 में नरेंद्र मोदी की अमरीका यात्रा के दौरान दोनों पक्षों में सहमति बनी थी और इस वार्ता में दोनों देशों के संबंधों को नई ऊंचाई देने की संभावना देखी गई थी। ट्रम्प प्रशासन के इस कदम से स्पष्टï है कि नई दिल्ली अब उसकी प्रमुखता सूची में नहीं है और यह वार्ता ऐसे समय में टली है जब वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच कटुता बढ़ रही है। 

हालांकि निक्की हेली के अनुसार इसका ईरान के विरुद्ध लगाए गए प्रतिबंधों या भारत द्वारा रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने से कोई मतलब नहीं है परंतु जिस प्रकार भारत और अमरीका के बीच घटनाक्रम नए मोड़ ले रहा है उसे देखते हुए इतना तो स्पष्टï है कि दोनों देशों के बीच संबंधों में गर्माहट घट रही है। इसका प्रमाण कुछ समय पूर्व उस समय भी मिला जब अमरीका ने एच-1 बी वीजा नियमों में बदलाव कर दिया जिससे भारत में विभिन्न कम्पनियों और लोगों के लिए एच.-1 बी वीजा प्राप्त करना कठिन हो जाएगा।—विजय कुमार


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Pardeep

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