भारत व अमरीका में ‘बर्ड फ्लू’ और ‘जॉम्बी डीयर’ रोगों की दस्तक

punjabkesari.in Saturday, Apr 27, 2024 - 05:00 AM (IST)

पशु-पक्षियों से इंसानों को होने वाले संक्रामक रोगों में बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू, इबोला, सार्स आदि मुख्य हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बर्ड फ्लू इंसानों में गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। इसमें रोगी को गंभीर शरीर दर्द, बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सर्दी लगने जैसी शिकायतें होती हैं। यह रोग मुर्गी, बत्तख, बटेर, हंस, टर्की (मुरगाबी) जैसे पक्षियों को अपनी चपेट में ले सकता है। ‘एच. 5 एन. 1’ वायरस पोल्ट्री व्यवसाय के लिए घातक है। भारत में बर्ड फ्लू ने एक बार फिर दस्तक दे दी है तथा केरल में इसके मामले सामने आए हैं। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जार्ज ने बर्ड फ्लू फैलने के दृष्टिगत स्वास्थ्य विभाग को बचावात्मक कार्रवाई करने तथा बर्ड फ्लू से प्रभावित क्षेत्रों  में लगभग 21,000 बत्तखों एवं प्रभावित क्षेत्रों के एक किलोमीटर के दायरे में सभी पालतू पक्षियों को मारने का आदेश दे दिया है। 

इससे पहले पिछले महीने अमरीका के 7 राज्यों में जंगली पक्षियों में बर्ड फ्लू वायरस पाया गया, जिनमें से अधिकांश टैक्सास में पाए गए। इसके दृष्टिगत स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को वन्यजीवों से दूर रहने की सलाह दी है। मैनहट्टन में जंगली पक्षियों व लाल पूंछ वाले बाज के अलावा यह बीमारी घरेलू मुर्गे-मुर्गियों में भी पाई गर्ई है। जैसे कि इतना ही काफी नहीं था, अमरीका के कई राज्यों में बर्ड फ्लू के बढ़ते खतरे के साथ-साथ गायों के भी बर्ड फ्लू की शिकार होने का पता चला है। टैक्सास में गायों के रहस्यमय बीमारी से पीड़ित होने की रिपोर्ट के बाद वैज्ञानिकों ने गायों में ‘एच. 5 एन. 1’ वायरस की पुष्टि भी की है। इससे गायें सुस्त हो गईं हैं तथा उनके दूध की मात्रा में भी कमी आई है। अमरीकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफ.डी.ए.) ने पाश्चराइज्ड दूध में बर्ड फ्लू के वायरस के अवशेष पाए जाने की भी पुष्टि की है। 

इसके साथ ही, अमरीका में हिरणों पर ‘क्रोनिक वेस्टिंग डिजीज’ नामक एक भयानक बीमारी, जिसे ‘जॉम्बी डीयर डिजीज’ भी कहते हैं, कहर ढाने लगी है। तेजी से फैल रही इस बीमारी से संक्रमित हिरण का मांस खाने वाले 2 अमरीकी शिकारियों की मौत भी हो चुकी है। इस बीमारी के कारण हिरण ‘भ्रमित’ हो जाते हैं तथा मुंह से लार टपकाने लगते हैं। वैसे तो हिरण एक डरपोक जानवर है परंतु इस रोग का शिकार हो जाने पर उनमें इंसानों का डर खत्म हो जाता है। ऐसे हिरण का मांस खाने के बाद इन शिकारियों में अचानक भ्रम और आक्रामकता के लक्षण दिखाई देने लगे। पिछले कुछ समय के दौरान उत्तरी कैरोलिना में भी इस रोग के 24 मामले सामने आए हैं। ‘न्यूरोलॉजी जर्नल’ के अनुसार यह बीमारी लगभग 100 प्रतिशत घातक है, जिससे इसके मनुष्यों में फैलने का खतरा बढ़ जाता है। 

इस रोग के लिए ‘प्रायन्स’ नामक एक विशेष प्रकार का प्रोटीन जिम्मेदार बताया जाता है। ये असल में गलत तरीके से फोल्ड (मुड़े) हुए प्रोटीन होते हैं,  जो दिमाग में मौजूद सामान्य प्रोटीन को भी गलत तरीके से फोल्ड होने (मुडऩे)  के लिए मजबूर कर देते हैं और व्यक्ति इस रोग का शिकार हो जाता है। इन रोगों से बचाव के लिए निवारक उपाय करने, सावधानियां बरतने तथा स्वयं को वन्यजीवों के साथ अपने संपर्क को सीमित करने की जरूरत है। लोगों को पक्षियों की बीठ के संपर्क में आने के बाद हाथ अच्छी तरह धोने चाहिएं। डाक्टरों का यह भी कहना है कि जानवरों तथा पक्षियों का मांस खाने से इंसानों में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है तथा संक्रमित चिकन खाने से बर्ड फ्लू हो सकता है। अत: लोगों के लिए मांस न खाना ही बेहतर है। 

वैसे भी मांसाहार को इंसानों के लिए सही भोजन नहीं माना जाता तथा ‘तामसिक भोजन’ माना जाता है। इसीलिए हिंदू धर्म में मांसाहार की मनाही की गई है तथा राजॢष मनु ने मनुस्मृति में कहा है कि, ‘‘मांसाहार करने वाला मनुष्य राक्षस या पिशाच कोटि का मनुष्य कहलाता है।’’जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने जीव हत्या और मांसाहार दोनों के त्याग का संदेश देते हुए अङ्क्षहसा को सबसे बड़ा धर्म (अहिंसा परमोधर्म:) कहा है। इंसान की भांति पशु-पक्षियों को भी जीने का अधिकार है। अत: इस जगत के सभी जीवों के प्रति मैत्री भाव रखें।—विजय कुमार


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