नाराज लोग लेने लगे ‘नेताओं के विरुद्ध पत्थरबाजी का सहारा’

punjabkesari.in Tuesday, Apr 16, 2024 - 05:00 AM (IST)

एक ओर देश में इन दिनों चुनावी बुखार जोरों पर है तो दूसरी ओर किसी न किसी बात को लेकर नेताओं से नाराज लोग कहीं उन पर पथराव करके तो कहीं किसी अन्य तरीके से अपना विरोध जता रहे हैं। यहां निम्न में प्रस्तुत हैं ऐसी ही चंद ताजा घटनाएं : 

* 30 मार्च, 2024 को मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) में ‘खतौली’ क्षेत्र के ‘मढ़ करीमपुर’ गांव में एक चुनावी सभा के दौरान कुछ युवकों ने भाजपा प्रत्याशी एवं केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान के विरुद्ध नारेबाजी करने के अलावा उनके काफिले पर पथराव कर दिया। इसके परिणामस्वरूप कुछ गाडिय़ों के शीशे टूट गए और 10 से अधिक कार्यकत्र्ता घायल हो गए। 

* 1 अप्रैल को कूचबिहार (पश्चिम बंगाल) में मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के नेता उदयन गुहा के काफिले पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। 
* 13 अप्रैल को ‘युवजन श्रमिका रायतू पार्टी (वाई.एस.आर.सी.पी.) के अध्यक्ष तथा आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रैड्डी जब एक रोड शो के दौरान लोगों का अभिवादन कर रहे थे, तो कुछ लोगों ने उन पर पथराव कर दिया। इसके परिणामस्वरूप जगनमोहन रैड्डी के माथे पर और उनकी बगल में खड़े विधायक वेल्लमपल्ली की बाईं आंख पर चोट लग गई। 

* 13 अप्रैल को ही मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल) के बहरामपुर क्षेत्र के कांग्रेस उम्मीदवार और वर्तमान सांसद अधीर रंजन चौधरी ने चुनाव प्रचार के दौरान अपना आपा खो दिया और उनके विरुद्ध ‘गो बैक’ का नारा लगा रहे एक नाराज व्यक्ति को थप्पड़ जड़ दिया। 
* 14 अप्रैल को नाराज मतदाताओं ने तेलुगू देशम पार्टी (टी.डी.पी.) के प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर गुंटूर में तथा जनसेवा पार्टी (जे.एस.पी.) के नेता पवन कल्याण पर विशाखापत्तनम में पथराव किया। 

* 14 अप्रैल को ही सिंहभूम (झारखंड) से भाजपा प्रत्याशी और सांसद ‘गीता कोड़ा’ को ‘गम्हरिया’ ब्लॉक के मोहनपुर में तीर-धनुष और लाठी-डंडा लिए हुए क्रुद्ध ग्रामवासियों ने गांव में घुसने से रोक दिया। 
जब उन्होंने दूसरे रास्ते में गांव में प्रवेश किया तो एक ट्रैक्टर व 10 बाइकों पर सवार 50 लोगों ने डेढ़ घंटे तक उन्हें बंधक बनाए रखा। इस दौरान ‘गीता कोड़ा’ के समर्थकों और विरोधियों में धक्का-मुक्की और जमकर मारपीट हुई। 
पहले तो नाराजगी व्यक्त करने के लिए मामला अपशब्दों तक ही सीमित था परंतु अब नेताओं के आचरण के कारण अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए लोग पत्थरबाजी तक का सहारा लेने लगे हैं। 
हालांकि सम्बन्धित दल ऐसी घटनाओं को विरोधी दलों की करतूत बता कर प्ल्ला झाडऩे की कोशिश करते हैं परंतु नेताओं को इसे एक चेतावनी के रूप में लेना चाहिए कि यदि उन्होंने जन-भावनाओं की अवहेलना जारी रखी तो लोगों की नाराजगी अधिक उग्र रूप भी धारण कर सकती है।—विजय कुमार 


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